गिरिडीहः ठंड के आगमन के साथ ही दूसरे देश से आने वाले पक्षियों का आगमन भारत में होने लगता है. पक्षियां गिरिडीह के अलावा झारखंड के कई जिलों के जलाशयों में पहुंचती हैं. गिरिडीह के खंडोली में भी प्रवासी पक्षियां विचरण करती हैं. हालांकि हाल के कुछेक वर्ष के दरमियान पक्षियों को लेकर चिंताजनक खबर सामने आ रही है.
पहले की अपेक्षा में विदेशी पक्षियों का आगमन कम हो गया है. पहले जहां 10 से 12 प्रजाति के पक्षी आते थे. तीन से चार माह गुजारते. ठंड में प्रजनन करते फिर अपने बच्चों के साथ अपने देश लौट जाते थे. अब ऐसा नहीं हो रहा है. इस साल तो महज चार प्रजाति ही गिरिडीह पहुंची है.
पक्षियों की जानकारी रखने वाले पत्रकार अभिषेक सहाय कहते हैं कि प्रवासी पक्षियों का शिकार होना और प्राकृतिक असंतुलन का सीधा प्रभाव पड़ा है. इन दो वजह से प्रवासी पक्षियों की संख्या घटी है. पहले यहां 10 से 12 प्रजाति की पक्षियों का आगमन होता था, लेकिन अभी महज चार प्रजाति ही यहां आ रही है. इस बार भी चार प्रजाति यहां पहुंची है, जिनमें साइबेरियन डक, क्रैन, लिटिल ग्रेवी और ब्रह्माणी शामिल है. इसी तरह शिक्षक संजीव कुमार भी पक्षियों की संख्या के कम होने को चिंतनीय बता रहे हैं.
क्या कहता है वन विभाग
इस विषय पर वन विभाग के रेंज ऑफिसर सुरेश रजक से बात की गई. इनका कहना है कि प्रवासी पक्षी को मारना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इनका शिकार नहीं हो, इसे लेकर वन विभाग की टीम एक्टिव है. सजगता के साथ कर्मी भ्रमण करते हैं.
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