रांचीः साइबर क्राइम के लिए झारखंड बदनाम रहा है. खासकर प्रदेश का एक जिला, जिसका नाम लगभग हर केस में सामने आता है. कई राज्यों की पुलिस यहां आकर कार्रवाई भी कर चुकी है. आलम ऐसा है कि इस जिले के नाम पर ओटीटी पर एक वेब सीरीज भी बनाई गयी है. जिसमें यहां से जुड़े साइबर क्राइम के कई तथ्यों को नाटकीय तरीके से दर्शाया गया है.
हालांकि साइबर क्राइम के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है न सिर्फ जामताड़ा बल्कि झारखंड के हर जिले में इसको लेकर प्रशासन सख्त है. राज्य में पिछले 6 वर्षों के दौरान 5146 साइबर अपराधी पकड़े गए. पुलिसिया शिकंजे का आलम यह है कि कई जिलों की जेलों में कैदियों की संख्या में सबसे ज्यादा साइबर अपराधी हैं. इसके बावजूद आए दिन किसी न किसी व्यक्ति के साथ साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दिया जा रहा है.
साइबर अपराध नहीं साइबर क्रिमिनल बढ़े हैं- डीजीपी
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार झारखंड में साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ा है यह नहीं कह सकते हैं. साइबर अपराधी बढ़े हैं, यह भी अभी सटीक नहीं कहा जा सकता है. लेकिन यह तय है कि हम कार्रवाई बहुत सटीक कर रहे है. डीजीपी के अनुसार झारखंड के बाहर से हो रही साइबर ठगी के आकड़ों को झारखंड से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है. डीजीपी के अनुसार साइबर अपराध का आंकड़ा हम डायल 1930 पर आई शिकायतों पर करते हैं. इसमें झारखंड से बाहर के मामले भी रिपोर्ट होते हैं.
प्रतिबिंब ऐप देशभर के लिए बेहतर साबित हो रहा
झारखंड के डीजीपी ने बताया कि झारखंड सीआईडी के द्वारा बनाए गए प्रतिबिंब ऐप (PRATIBIMB APP) के जरिए देश भर में 2000 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी की गई है. इस ऐप से साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मोबाइल नंबर की मैपिंग की जाती है. मैपिंग के आधार पर उनके मोबाइल सिम और उससे जुड़े बैंक खाते को फ्रिज करवाया जाता है.
झारखंड सीआईडी ने साइबर अपराधियों के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सिम कार्ड का डाटा बेस तैयार कर प्रतिबिंब ऐप पर फीड करती है. साथ ही ठगी के लिए जिन इलाकों का इस्तेमाल सर्वाधिक हो रहा है, उसकी मैपिंग भी की जा रही है. जिसे सीआईडी के प्रतिबिंब पोर्टल पर रजिस्टर किया जाता है. सिम कार्ड और ठगी के लिए जहां से फोन किए जा रहे हैं, उन इलाकों की भी मैपिंग की जा रही है. प्रतिबिंब में उन सारे नंबर्स को दर्ज किया जाता है, जिनका इस्तेमाल साइबर ठगी में देशभर में कहीं भी किया जा रहा है.
साइबर ठगी में इस्तेमाल किए जा रहे इन नंबर्स को राज्य के संबंधित जिले के एसपी को भेजा जाता ताकि उन नंबर्स को ब्लॉक कराया जा सके. ऐसे मामलों में पुलिस एफआईआर होने का इंतजार नहीं करती, इसमें सीधे मिली सूचना के आधार पर तुरंत कार्रवाई की जाती है. प्रतिदिन में हर दिन 4 से 5 हजार कंप्लेंट आते हैं. प्रतिबिंब ऐप साइबर अपराध को लेकर एक बड़ा गेम चेंजर बना है. इसके जरिए झारखंड से अलग दूसरे राज्यों में भी बड़ी कार्रवाई की जा रही है.
क्या है गिरफ्तारी के आंकड़े
झारखंड देशभर में साइबर अपराधियों के खिलाफ सबसे ज्यादा कार्रवाई करने वाला राज्य है. सीआईडी से मिले आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में वर्ष 2019 से लेकर दिसंबर 2024 तक कुल 5146 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए गए. साल 2024 में कुल 1003 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए गए. साल 2019 में 537, 2020 में 1022, 2021 में 1188, 2022 में 526, 2023 में 870 और साल 2024 में 1003 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए गए.
छह साल में कितने कांड दर्ज
इस लिस्ट में राजधानी रांची टॉप पर है. जहां साइबर ठगी के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. साल 2019 से साइबर अपराध के आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 में राजधानी में 481 मामले रिपोर्ट हुए, 2020 में ये मामले घट कर 286 हो गए, 2021 में 257, 2022 में 257 और साल 2023 में 234 और साल 2024 में 185 मामले दर्ज किए गए. इसके अलावा कुल आंकड़ों को साल के हिसाब से देखें तो 2019 में 1385 केस, 2020 में 1240, 2021 में 1050, 2022 में 901, 2023 में 893 और साल 2024 में 714 साइबर अपराध के केस दर्ज किए गए हैं.
बाकी जिलों की स्थिति
साइबर अपराधी के लिए सुर्खियों में रहे धनबाद में 2019 से लेकर 2024 तक कुल 616 मामले रिपोर्ट हुए हैं. वहीं देवघर में 491, जामताड़ा में 438, जमशेदपुर में 485, हजारीबाग में 435, गिरिडीह में 389, रामगढ़ में 283, पलामू में 279, लातेहार में 264, सरायकेला में 230, बोकारो में 200, दुमका में 201, गोड्डा में 199, चतरा में 194, गढ़वा में 140, चाईबासा में 150, गुमला में 106, पाकुड़ में 95, साहिबगंज में 97, कोडरमा में 98, लोहरदगा में 85, खूंटी में 76 और सिमडेगा में 60 मामले रिपोर्ट हुए हैं.
साइबर क्राइम के लिए सबसे ज्यादा बदनाम हैं ये जिले
झारखंड के चार जिले जामताड़ा, धनबाद, गिरिडीह और देवघर साइबर अपराध के लिए देशभर में बदनाम हैं. लेकिन आज के दौर में भी सबसे खतरनाक जामताड़ा ही है, उसके बाद देवघर और गिरिडीह है. सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट के अनुसार आज भी साइबर अपराध के देश के सबसे पुराना मॉड्यूल जामताड़ा ही सबसे ज्यादा एक्टिव है और ये काफी खतरनाक भी है.
साइबर अपराधियों ने जामताड़ा मॉड्यूल का विस्तार कर दिया है. जिसकी वजह से रिकार्ड में जामताड़ा नहीं आता है. लेकिन क्राइम वहीं से हो रहा या फिर जामताड़ा के साइबर अपराधी दूसरे राज्यों में जाकर क्राइम कर रहे हैं. ऐसी बातें भी कई मामलों की जांच के दौरान सामने आई हैं.
जामताड़ा मॉड्यूल का विस्तार
पिछले दो वर्ष के दौरान सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच के जांच में साइबर अपराधियों का विदेशी कनेक्शन सामने आ रहा है. दरअसल विदेशी कनेक्शन को साइबर अपराध की दुनिया में लाने का श्रेय भी जामताड़ा मॉड्यूल को ही जाता है. साइबर अपराध को लेकर जब झारखंड का जामताड़ा जिला बदनाम हुआ और देशभर की पुलिस जामताड़ा में छापेमारी कर साइबर अपराधी को गिरफ्तार करने लगी.
इसके बाद जामताड़ा मॉड्यूल को हाईटेक करते हुए उसका कनेक्शन विदेश से कर दिया गया. पहले जो ठगी के पैसे देश के अंदर फर्जी डॉक्यूमेंट पर खोले गए बैंक खाते में जाते थे अब वही पैसा विदेशी अकाउंट में जाने लगा. झारखंड डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार आज के दौर में भी जामताड़ा, देवघर और गिरिडीह माड्यूल साइबर अपराध के लिए बदनाम है.
ट्रेसलेस स्कीम
पुलिस और प्रतिबिंब ऐप जो कहीं से भी साइबर अपराधियों का लोकेशन न खोज ले इसके लिए भी साइबर अपराधी नई जुगत लगा चुके हैं. ये जुगत भी जामताड़ा मॉड्यूल का ही विकसित किया हुआ है. अब जामताड़ा के खेतों और कस्बों से निकल कर साइबर अपराध के नेटवर्क को अब लग्जरी कारों में बैठकर ऑपरेट किया जाने लगा है. पुलिस की ट्रैकिंग सिस्टम से बचने के लिए जामताड़ा के साइबर अपराधियों ने यह नायाब तरीका खोज निकाला है.
साइबर अपराधी अपने शिकार को लग्जरी वाहनों में बैठकर फंसा रहे हैं. लग्जरी वाहनों में बैठकर एक शहर से दूसरे शहर घूमकर पुलिस को चकमा देते हुए उसी लग्जरी वाहन से साइबर अपराधी अपने शिकार को फांस रहे हैं. जब शिकार फंस जाता है तब वह उसी शहर के एटीएम से उनका पैसा गायब कर दूसरे शहर का रुख कर लेते हैं. ऐसे में जब पुलिस उन्हें ट्रेस करती है तब उनके वास्तविक लोकेशन का पता नहीं चल पाता है. पुलिस को साइबर अपराधियों के आगे वाले स्थान का लोकेशन हासिल होता है और जब तक पुलिस वहां पहुंचती है अपराधी वहां से अपने शहर पहुंच चुके होते हैं. जहां से उन्हें ढूंढ पाना पुलिस के लिए काफी मुश्किल भरा काम होता है.
चुनौती के बावजूद बेहतर काम कर रही झारखंड पुलिस
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार झारखंड में न सिर्फ साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हो रही है बल्कि पिछले 1 साल के अंदर हजारों सिम कार्ड, लैपटॉप, मोबाइल फोन, वाहन, पासबुक और एटीएम कार्ड भी जब्त किए गए हैं. झारखंड पुलिस प्रतिबिंब ऐप के जरिए लगातार साइबर अपराधियों पर प्रहार कर रही है जो आगे भी जारी रहेगा.
क्या है बरामदगी का आंकड़ा
साल 2019 से लेकर 2024 तक पूरे झारखंड में 9000 मोबाइल फोन, 14 हजार 400 सिम कार्ड, 3834 एटीएम कार्ड, 2003 पासबुक, 600 चेकबुक, 170 लैपटॉप, 472 मोटरसाइकिल, 120 चार पहिया वाहन, चार क्वैश मशीन, 37 स्वाइप मशीन और 16 राउटर बरामद किया गया है. इसके साथ ही इस दौरान हुई कार्रवाई में साइबर अपराधियों के पास से लाखों रुपये भी जब्त हुए हैं. आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में 26 लाख 05 हजार 550, 2020 में 93,86, 670, 2021 में 64,52,645, 2022 में 15,48,693, 2023 में 13,90,410 और साल 2024 में 2 लाख 95 हजार 785 रुपए साइबर अपराधियों से जब्त किए गए हैं.
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