उमरिया: लोढ़ा गांव की रहने वाली प्रसिद्ध बैगा चित्रकार जोधइया बाई अब इस दुनिया में नहीं रहीं. जोधइया बाई का रविवार शाम को 86 साल की उम्र में निधन हो गया. बताया जा रहा है कि जोधइया बाई लंबे समय से बीमार चल रहीं थीं, जिनका इलाज चल रहा था. उनका निधन गृह ग्राम लोढ़ा में ही हुआ.
जोधइया बाई एक साल से थीं बीमार
बताया जा रहा है कि जोधइया बाई बीते साल भर से पैरालिसिस सहित कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं. जिनका इलाज भी चल रहा था, लेकिन रविवार शाम को 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. जोधइया बाई ने बैगा चित्रकला को ना केवल आगे बढ़ाया बल्कि अपनी पेंटिंग के माध्यम से इसे बचाने की कोशिश की. बैगा चित्रकला को देश दुनिया में एक अलग पहचान दी. इस बैगा चित्रकला को संरक्षित करने के चलते उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया.
प्रसिद्ध बैगा चित्रकार जोधइया बाई (ETV Bharat) जोधइया बाई को मिले कई सम्मान (ETV Bharat) जोधइया बाई ने बैगा चित्रकला को किया संरक्षित
जोधइया बाई बैगा ने ढलती उम्र में ऐसा काम किया है जिससे उनकी पहचान देश दुनिया में हो गई थी. इसी की बदौलत उन्हें कई सम्मान से भी सम्मानित किया गया. बड़ा देव और बघासुर के चित्र जो कभी बैगा समाज के घरों की दीवारों पर सजते थे, उन्हीं चित्रों को जोधइया बाई ने कैनवास और ड्राइंग शीट पर आधुनिक रंग दिया और बैगा जनजाति की कला को फिर से जीवित कर दिया.
बैगा चित्रकला को दी अंतरराष्ट्रीय पहचान (ETV Bharat) जोधइया बाई को मिले कई सम्मान
जोधइया बाई बैगा को 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए साल पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था. इसके अलावा जोधइया बाई बैगा को 8 मार्च 2022 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला सशक्तिकरण की दिशा में असाधारण कार्य के लिए नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
2023 में जोधइया बाई को मिला था पद्मश्री (ETV Bharat) इंटरनेशनल कलाकार थीं जोधइया बाई
जोधइया बाई एक इंटरनेशनल कलाकार थीं और उनकी कला की दुनिया ने कद्र की. इसलिए दुनिया भर के अलग-अलग जगह पर प्रदर्शनी में उनकी पेंटिंग्स प्रदर्शित की जाती थीं. जोधइया बाई ने विलुप्त होती बैगा चित्रकला को इंटरनेशनल लेवल पर एक अलग पहचान दिलाई. उनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी अक्सर विदेश में भी लगती थी. 2019 में उनकी पेंटिंग को इटली में शोकेस में रखा गया था. जोधईया बाई ने बैगा जनजाति के लिए वो काम किया, जो अब तक किसी ने नहीं किया था.