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सीरिया में मोसाद के जासूस को बीच चौराहे पर दी गई थी फांसी, 60 साल से कब्र का पता लगा रहा इजराइल - ELI COHEN STORY

सीरिया में असद शासन के पतन के बाद इजराइल ने मोसाद जासूस एली कोहेन के अवशेषों को वापस लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं.

Israel fresh efforts to retrieve body of mossad spy Eli Cohen from Syria who hanged in 1965
मोसाद जासूस एली कोहेन और इजराइली पीएम नेतन्याहू (X @IsraelMFA)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 5, 2025, 11:02 PM IST

तेल अवीव: इजराइल दुनिया भर में ऑपरेशन को अंजाम देने वाले अपने जासूसों के साथ हमेशा खड़ा रहता है और उन्हें वापस लाने के लिए हर संभव कोशिश करता है चाहे वो जीवित हों या उनकी मौत हो गई हो. इसी नीति के तहत इजराइसी खुफिया एजेंसी मोसाद के एक जासूस की मौत के 60 साल बाद भी इजराइल उसके अवशेष को सीरिया से वापस लाने की कोशिश कर रहा है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जासूस एली कोहेन (Eli Cohen) के अवशेषों का पता लगाने और उन्हें वापस लाने के लिए इजराइली सरकार नए सिरे से प्रयास करते हुए सीरियाई और विदेशी अधिकारियों से संपर्क किया है. सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद इजराइल ने यह कदम उठाया है.

मोसाद के एजेंट कोहेन ने सीरिया में एक कथित सीरिया व्यवसायी कामेल अमीन थाबेट की पहचान के तहत घुसपैठ की थी और एक प्रभावशाली नेटवर्क बुनने में कामयाबी हासिल की. पकड़े जाने से पहले उन्होंने सीरिया के शीर्ष राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों के साथ संबंध स्थापित किए. 18 मई, 1965 को दमिश्क में मरजेह चौक पर उन्हें फांसी दे दी गई थी. तब से सीरिया के अधिकारियों ने उनकी कब्र के स्थान को गुप्त रखा है.

एली कोहेन को बचाने के लिए इजराइल ने पूरी कोशिश की थी और अरब कैदियों के साथ आदान-प्रदान का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सीरिया ने सभी मध्यस्थता प्रयासों को अस्वीकार कर दिया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल कथित तौर पर सीरिया में उन समूहों के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, जिन्होंने 1982 में लेबनान पर आक्रमण के दौरान बेका में सुल्तान याकूब की लड़ाई के दौरान गायब हुए तीन सैनिकों में से एक का शव खोजने के लिए फिलिस्तीनी गुटों के साथ सहयोग किया था. यह लड़ाई 10 जून, 1982 को सीरियाई और इजराइली सेनाओं के बीच हुई थी.

कोहेन को फांसी पर लटकाए जाने के बाद यह अनुमान लगाया गया कि दफन स्थल कई बार बदला गया है, और उनके कब्र का पता लगाने के इजराइल के प्रयासों को विफल करने के लिए वर्षों से उन्हें अलग-अलग स्थानों पर दफनाया गया था. इजराल के सूत्रों का मानना है कि कोहेन की कब्र को ढूंढने के लिए पूर्व सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के परिवार या उनके करीबी लोगों तक पहुंचना जरूरी है.

एली कोहेन की पत्नी नादिया कोहेन ने एक साक्षात्कार में कहा, "हमने 60वें वर्ष की शुरुआत की है, जब एली को सीरिया में दफनाया गया था, मैंने अपना जीवन अकेले जिया और मुझे लगता है कि मैं इसके बाद भी अकेली रहूंगी." उन्होंने कहा, "जब भी सीरिया के साथ बातचीत होती है और उम्मीद होती है, तो निराशा होती है." मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "डेविड बार्निया ने मुझे आगाह किया था कि शायद उन्हें शव न मिले."

यह भी पढ़ें- 120 कमांडो, 21 फाइटर जेट और ...., इजराइल ने नष्ट की सीरिया की मिसाइल फैक्ट्री

तेल अवीव: इजराइल दुनिया भर में ऑपरेशन को अंजाम देने वाले अपने जासूसों के साथ हमेशा खड़ा रहता है और उन्हें वापस लाने के लिए हर संभव कोशिश करता है चाहे वो जीवित हों या उनकी मौत हो गई हो. इसी नीति के तहत इजराइसी खुफिया एजेंसी मोसाद के एक जासूस की मौत के 60 साल बाद भी इजराइल उसके अवशेष को सीरिया से वापस लाने की कोशिश कर रहा है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जासूस एली कोहेन (Eli Cohen) के अवशेषों का पता लगाने और उन्हें वापस लाने के लिए इजराइली सरकार नए सिरे से प्रयास करते हुए सीरियाई और विदेशी अधिकारियों से संपर्क किया है. सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद इजराइल ने यह कदम उठाया है.

मोसाद के एजेंट कोहेन ने सीरिया में एक कथित सीरिया व्यवसायी कामेल अमीन थाबेट की पहचान के तहत घुसपैठ की थी और एक प्रभावशाली नेटवर्क बुनने में कामयाबी हासिल की. पकड़े जाने से पहले उन्होंने सीरिया के शीर्ष राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों के साथ संबंध स्थापित किए. 18 मई, 1965 को दमिश्क में मरजेह चौक पर उन्हें फांसी दे दी गई थी. तब से सीरिया के अधिकारियों ने उनकी कब्र के स्थान को गुप्त रखा है.

एली कोहेन को बचाने के लिए इजराइल ने पूरी कोशिश की थी और अरब कैदियों के साथ आदान-प्रदान का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सीरिया ने सभी मध्यस्थता प्रयासों को अस्वीकार कर दिया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल कथित तौर पर सीरिया में उन समूहों के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, जिन्होंने 1982 में लेबनान पर आक्रमण के दौरान बेका में सुल्तान याकूब की लड़ाई के दौरान गायब हुए तीन सैनिकों में से एक का शव खोजने के लिए फिलिस्तीनी गुटों के साथ सहयोग किया था. यह लड़ाई 10 जून, 1982 को सीरियाई और इजराइली सेनाओं के बीच हुई थी.

कोहेन को फांसी पर लटकाए जाने के बाद यह अनुमान लगाया गया कि दफन स्थल कई बार बदला गया है, और उनके कब्र का पता लगाने के इजराइल के प्रयासों को विफल करने के लिए वर्षों से उन्हें अलग-अलग स्थानों पर दफनाया गया था. इजराल के सूत्रों का मानना है कि कोहेन की कब्र को ढूंढने के लिए पूर्व सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के परिवार या उनके करीबी लोगों तक पहुंचना जरूरी है.

एली कोहेन की पत्नी नादिया कोहेन ने एक साक्षात्कार में कहा, "हमने 60वें वर्ष की शुरुआत की है, जब एली को सीरिया में दफनाया गया था, मैंने अपना जीवन अकेले जिया और मुझे लगता है कि मैं इसके बाद भी अकेली रहूंगी." उन्होंने कहा, "जब भी सीरिया के साथ बातचीत होती है और उम्मीद होती है, तो निराशा होती है." मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "डेविड बार्निया ने मुझे आगाह किया था कि शायद उन्हें शव न मिले."

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