जबलपुर (विश्वजीत सिंह राजपूत) : ठंड के मौसम में मटर का इंतजार हर किसी को होता है. दो दशक पहले जबलपुर में पेंसिल मटर का उत्पादन शुरू हुआ था. अब यहां के किसान मटर के उत्पादन में मास्टर हो गए हैं. उन्होंने रवि और खरीफ दोनों ही सीजन में मटर उगाना सीख लिया है. इसलिए जबलपुर में सितंबर के महीने से ही मटर की आवक शुरू हो जाती है जो अप्रैल के महीने तक चलती है. जबलपुर में लगभग 60000 एकड़ में मटर की खेती हो रही है. यहां की मटर भारत की कई मंडियों में तो जाती ही है साथ ही विदेशों तक इसकी जबरदस्त डिमांड है. खाड़ी देशों के अलावा सिंगापुर और न्यूजीलैंड भी मटर जाती है.
'देश के साथ विदेशों तक जाती है मटर'
जबलपुर की पेंसिल मटर के विदेशी दीवाने हो चुके हैं. यहां की पेंसिल मटर ईरान इराक तक अपनी पहचान बना चुके हैं. मटर उत्पादक किसान अच्छे भाव की वजह से तगड़ा मुनाफा ले रहे हैं. सब्जी विक्रेता संघ के अध्यक्ष और मटर के कारोबारी अजीत साहू बताते हैं कि "जबलपुर का मटर भारत के हर कोने में जाता है. यहां 6 कंपनियां ऐसी हैं जो मटर को प्रोसेस करके फ्रीज करती हैं. इसके बाद यह फ्रोजन मटर दुबई, सिंगापुर और ईरान, इराक तक भेजा जाता है. अब धीरे-धीरे फ्रोजन मटर का कारोबार करने वाली कंपनियों में बढ़ोतरी हो रही है. पहले एक कंपनी ही काम करती थी अब 6 कंपनियां हो गई है."
पिछले साल बिका था 1200 करोड़ का मटर
मटर के कारोबार की वजह से जबलपुर के आसपास के सैकड़ों किसानों को रोजगार मिला हुआ है. हजारों मजदूर मटर की खेती के चलते रोजगार पा रहे हैं. पिछले साल जबलपुर में 1200 करोड़ रुपये का मटर बेचा गया था. सरकार को इससे केवल जबलपुर मंडी से ही 9 करोड़ का राजस्व मिला था.
भोपाल से पहुंचते हैं मटर कारोबारी
भोपाल के मटर कारोबारी अजीम मिर्जा मटर के कारोबार के सिलसिले में पूरे सीजन जबलपुर में रहते हैं. जबलपुर से उनका मटर शुक्रवार को कोलकाता के लिए रवाना हो रहा है. उन्होंने जबलपुर की मटर मंडी से 35 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मटर खरीदा है. अजीम मिर्जा का कहना है कि "इस साल यहां शानदार मटर का उत्पादन हुआ है. यहां की मटर मीठी होने के साथ ही लंबी और अच्छी होती है इसलिए इसे पेंसिल मटर कहते हैं."
'मटर मंडी को लेकर किसान हैं परेशान'
बता दें कि जबलपुर जिला प्रशासन ने मटर के लिए शहर के बाहर एक नई मंडी बना दी है. मटर कारोबारी अजीम मिर्जा और अजीत साहू का कहना है कि "मंडी के नाम पर हाईवे के पास एक खेत में बाजार लगा दिया गया है. मटर बहुत जल्दी खराब होने वाली सब्जी है और इसके दाम इसकी ताजगी के आधार पर ही मिलते हैं. इसलिए इसे जितने जल्दी ग्राहक तक पहुंचाया जाए उतना अधिक दाम मिलता है लेकिन नई मंडी में मटर की गाड़ियों को निकालने में 3 घंटे से ज्यादा का समय लगता है और इसका नुकसान मटर के कारोबार में लगे सभी कारोबारी को उठाना पड़ रहा है."
- मटर मंडी से नहीं जाम होगा जबलपुर का ट्रैफिक, प्रशासन ने दी 17 एकड़ जमीन, 137 एकड़ में बन रही स्मार्ट मंडी
- मालवा के मटर और करेले का जायका लेंगे दुबईवासी, 1500 किलो सब्जी उड़कर पहुंची शारजाह
'जल्द बनेगी आधुनिक मटर मंडी'
मटर कारोबारी अजीत साहू का कहना है कि "इस साल जिला प्रशासन ने आधी अधूरी मंडी में मटर के कारोबार को शिफ्ट करके मटर कारोबारियों को निराश कर दिया है. जबलपुर के लाखों लोगों को रोजगार देने वाले इस कारोबार को एक व्यवस्थित और अत्यधिक मंडी की जरूरत है." जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी मीशा सिंह का कहना है कि "राज्य सरकार जबलपुर के मटर कारोबार के लिए एक बेहद आधुनिक मंडी बनाने जा रही है."