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विधानसभा उपचुनाव में भाजपा बेशक जीत जाए सभी सीट, फिर भी खतरे में नहीं सुक्खू सरकार, जानिए गणित - Himachal By Elections 2024 - HIMACHAL BY ELECTIONS 2024

Himachal By Elections 2024: 1 जून को हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा की 6 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. जिसको लेकर भाजपा दावा कर रही है कि 4 जून को सुक्खू सरकार अल्पमत में आ जाएगी. लेकिन हिमाचल विधानसभा में सीटों का अंकगणित समझे तो भाजपा के इस दावे में दम नहीं दिखता है. क्योंकि अगर भाजपा सभी 6 सीटें जीत जाती है तो भी बहुमत का आंकड़ा कांग्रेस के पास ही रहेगा.ऐसे में सुक्खू सरकार पर कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है.

खतरे में नहीं सुक्खू सरकार
खतरे में नहीं सुक्खू सरकार (FILE)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 8, 2024, 8:25 PM IST

शिमला:हिमाचल में इस समय छह सीटों पर होने वाले उपचुनाव चर्चा के केंद्र में हैं. कांग्रेस सरकार बचाने के लिए प्रयास कर रही है और भाजपा सत्ता में आने का सपना देख रही है. लेकिन सीटों का अंकगणित ये है कि बेशक उपचुनाव में भाजपा सभी सीटें भी जीत जाए तो भी सुक्खू सरकार को कोई खतरा नहीं है. आइए सत्ता पर बने रहने के लिए जरूरी अंक गणित को आगे की पंक्तियों में जानते हैं.

प्रदेश में उपजा सियासी घटनाक्रम:राज्य सभा के लिए 27 फरवरी को हुई क्रॉस वोटिंग के बाद उपजे सियासी घटनाक्रम से हिमाचल विधानसभा की 6 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. जिसके बाद विधानसभा में विधायकों की संख्या घटकर अब 62 रह गई है. इस हिसाब से सरकार को बहुमत के लिए 32 विधायकों की जरूरत है, कांग्रेस के पास अभी 34 विधायक है. जो वर्तमान स्थिति के हिसाब से बहुमत आंकड़े से दो अधिक हैं. ऐसे में सरकार को अभी भी कोई खतरा नहीं है.

लोगों के मन में ये सवाल:वहीं अब लोगों के मन में सवाल है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा की खाली हुई छह विधानसभा सीटों पर 1 जून को मतदान होना है. इसके बाद सरकार का क्या होगा? भाजपा भी लगातार दावा कर रही है कि उपचुनाव में पार्टी सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगी और 4 जून के बाद सुक्खू सरकार के अल्पमत आने से नेतृत्व परिवर्तन होना निश्चित है. वहीं हिमाचल में अभी 3 निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार न होने और हिमाचल में चुनाव की नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही तय हो गया है कि अब सिर्फ विधानसभा की 6 सीटों पर ही उपचुनाव होगा.

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सुक्खू सरकार को कोई खतरा नहीं: इस हिसाब से हिमाचल की सुक्खू सरकार आने वाले समय में भी सेफ है, भले ही भाजपा इन सभी 6 सीटों पर जीत भी जाए. वह ऐसे कि हिमाचल में 68 विधानसभा सीटें हैं, लोकसभा सहित विधानसभा चुनाव के लिए 7 मई को नोटिफिकेशन जारी हो चुकी है. इस तरह अगर अब स्पीकर निर्दलीयों का इस्तीफा मंजूर कर लेते हैं और बीजेपी सभी सीटें जीतती है तो विधानसभा की स्ट्रेंथ 65 हो जाएगी. जिससे बहुमत का आंकड़ा भी 33 होगा और कांग्रेस के पास पहले से ही 34 विधायकों का समर्थन है. इस अंकगणित के हिसाब से अगले उपचुनाव तक सुक्खू सरकार को कोई खतरा नहीं होगा.

भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए संख्या बल नहीं:हिमाचल में भले ही भाजपा 4 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस सरकार की विदाई के लाख दावे कर रही हो, लेकिन प्रदेश में भाजपा किसी भी स्थिति में सरकार बनाते हुए नजर नहीं आ रही है. वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में 40 सीटें जीतकर कांग्रेस स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. वहीं, भाजपा के खाते में 25 सीटें आई थी. इसी तरह से सदन में निर्दलीय विधायकों की संख्या 3 है. हिमाचल में अब बदली हुई परिस्थितियों को देखे तो 6 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद विधानसभा की स्ट्रेंथ घटकर अब 62 की रह गई है. इस हिसाब से बहुमत के लिए कांग्रेस को 32 विधायकों की जरूरत है, लेकिन कांग्रेस के पास अभी भी 34 विधायक है. जो बहुमत से अभी भी 2 अधिक है. वहीं भाजपा के पास पहले की ही तरह 25 विधायक हैं. निर्दलीय विधायकों की संख्या भी विधानसभा में 3 है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इस लिहाज से भी भाजपा का सरकार के अल्पमत में होने का दावा सही नहीं है.

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अब आगे क्या:हिमाचल में अब लोकसभा चुनाव सहित विधानसभा उपचुनाव के लिए अब अधिसूचना जारी हो चुकी है. इस से ये तय हो गया है कि अब प्रदेश में 6 विधानसभा सीटों पर ही उपचुनाव होना है. इस स्थिति में अगर अब भाजपा सभी 6 सीटों पर उपचुनाव जीत भी जाती है तो पार्टी में विधायकों की संख्या 31 हो जाएगी. ये संख्या कांग्रेस के विधायकों से फिर भी 3 कम होगी. वहीं, निर्दलीय विधायकों की संख्या 3 हैं. अगर भाजपा इन विधायकों को भी अपने साथ जोड़ती है तो भाजपा 34 तक के आंकड़े पर पहुंच सकती है, लेकिन अब दिक्कत ये है कि निर्दलीय विधायकों ने पहले ही विधानसभा अध्यक्ष को विधायक पद से इस्तीफा सौंप रखा है. जिसके बाद तीनों निर्दलीय विधायकों ने भाजपा का भी दामन भी थाम लिया है.

निर्दलीय विधायकों ने किया HC का रुख: इस बीच राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने तीनों निर्दलीय विधायकों के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका दायर की है. जिसमें इस्तीफा मंजूर होने से पहले ही भाजपा में शामिल होने पर तीनों विधायकों के खिलाफ दल बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई किए जाने की मांग की है. जिस पर सुनवाई होनी बाकी है. वहीं तीन निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस्तीफा स्वीकार न किए जाने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. जिसमें विधायकों ने जल्द इस्तीफा मंजूर किए जाने की गुहार लगाई है. लेकिन सीजे की खंडपीठ में अलग-अलग मत होने के बाद अब तीसरे जज इस मामले की सुनेंगे. ऐसे में अभी हाई कोर्ट में भी मामला लंबित हो गया है.

भाजपा के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं: वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति के जानकार महेंद्र प्रताप सिंह राणा का कहना है कि स्थिति अभी भी सरकार के पक्ष में हैं. वह ऐसे कि बीजेपी उपचुनाव में सभी 6 सीटें जीत जाती है तो पार्टी में विधायकों की संख्या 31 हो जाएगी. वहीं अगर अभी के हालत में 3 निर्दलीय विधायक भी समर्थन देते हैं तो भाजपा के पास 34 विधायक हो जाएंगे. लेकिन इसकी संभावना अब न के बराबर है. निर्दलीय विधायकों ने खुद ही अपने पदों से इस्तीफा दिया है और हाई कोर्ट में भी इस्तीफा मंजूर करने के लिए ही याचिका दायर की है. ऐसे में गेंद विधानसभा अध्यक्ष के पाले में हैं. उनका कहना है कि अगर भाजपा उपचुनाव में सभी सीटें जीत जाती है तो इस स्थिति के स्पीकर तीनों निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर सकते हैं. जिससे विधानसभा की स्ट्रेंथ घटकर 65 हो जाएगी. इस स्थिति में कांग्रेस को 33 विधायकों की जरूरत होगी, जो उसके पास पहले से ही है. ऐसे में जब तक खाली हुई सीटों पर फिर से उपचुनाव नहीं होते हैं. सरकार को कोई खतरा नहीं होगा.

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