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हिमाचल के बागवानों की पुकार, निर्मला सीतारमण के बजट में सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी करे सरकार, पीएम नरेंद्र मोदी का वादा भी पूरा होने का इंतजार - IMPORT DUTY ON APPLES

हिमाचल के बागवानों को बजट से बहुत उम्मीदें हैं, साथ ही सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी करने की मांग भी उठाई जा रही है.

Import Duty on Himachal Apple
हिमाचली बागवानों की सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी की मांग (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 9:11 AM IST

Updated : Jan 31, 2025, 10:54 AM IST

शिमला: बजट पेश करने का जैसे ही समय आता है, हिमाचल के बागवान भरपूर उम्मीद के साथ सेब पर आयात शुल्क सौ फीसदी किए जाने की मांग उठाने लगते हैं. हिमाचल के बागवानों की ये आवाज कई कारणों से अनसुनी रह जाती है. इस बार भी इंपोर्ट ड्यूटी यानी आयात शुल्क सौ प्रतिशत किए जाने के साथ-साथ अन्य उम्मीदें लेकर बागवान बजट की प्रतीक्षा कर रहे हैं. सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी से जुड़ा वादा पीएम नरेंद्र मोदी ने भी किया था. अप्रैल 2014 में जिस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में प्रचार में डटे थे, उन्होंने सोलन की रैली में वादा किया था कि यूपीए सरकार ने सेब के बाजार को खुला छोड़ दिया है. दुनिया का कोई भी देश यहां सेब भेज सकता है. यदि उन्हें सरकार में आने का मौका मिला तो ये सब ठीक किया जाएगा. बागवानों को आस जगी थी कि सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी की जाएगी, लेकिन ये संभव नहीं हुआ. आखिर क्यों खास है हिमाचल की एप्पल इंडस्ट्री और यहां के बागवानों को क्यों चाहिए विदेश से आयात होने वाले सेब पर सौ फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी, इसकी पड़ताल करते हैं.

NIRMALA SITHARAMAN UNION BUDGET 2025
निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट 2025 (File Photo)

हिमाचल और सेब

सबसे पहले हिमाचल की परिस्थितियों और यहां के बागवानों की मुश्किलों के बारे में बात करते हैं. हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन का दौर सौ साल का सफर पूरा कर चुका है. सेब यहां के बागवानों की आर्थिकी का बड़ा सहारा है. हिमाचल में हर साल ढाई से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. सालाना कारोबार 3500 से 4500 करोड़ रुपए का है. हिमाचल के अलावा देश में कश्मीर, उत्तराखंड व अरुणाचल प्रदेश में सेब उगाया जाता है. सेब उत्पादन के मामले में हिमाचल अन्य राज्यों से कई मायनों में आगे है. यदि कठिनाई की तरफ देखा जाए तो हिमाचल में सेब बागवानों के लिए सिंचाई की सुविधाओं की कमी, मुश्किल टैरेन, पहाड़ी रास्तों से मंडियों तक सेब पहुंचाने में दिक्कत और प्रति हेक्टेयर उत्पादन का खर्च सामने आता है. ऐसे में सेब उत्पादन की लागत अधिक हो जाती है. विदेश से आने वाला सेब सस्ता पड़ता है. कारण ये है कि वहां अत्याधुनिक तकनीक व सिंचाई सुविधाओं का प्रसार बहुत है. वहां उत्पादन की लागत कम है. ऐसे में हिमाचल के बागवान चाहते हैं कि विदेश से आने वाले सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी की जाए. सौ फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी होने पर अन्य देशों को यहां सेब निर्यात करने में हतोत्साहित किया जा सकेगा और हिमाचल के बागवानों को अपनी उपज के अच्छे दाम मिल सकेंगे.

Himachal Apple Production
हिमाचल में सेब का उत्पादन (ETV Bharat GFX)

चीन, अमेरिका, न्यूजीलैंड सहित कई देशों से आयात

भारत में चीन, अमेरिका व न्यूजीलैंड सहित कई देशों से सेब का आयात होता है. ये सेब क्वालिटी के मामले में बेहतर होता है. इसकी शेल्फ लाइफ भी अच्छी होती है और ये दाम में सस्ता रहता है. फिर तुर्की से आने वाला सेब वाया अफगानिस्तान, पाकिस्तान होते हुए भारत आता है. ये ड्यूटी फ्री होने के कारण सस्ता होता है. इसकी मार भी हिमाचल के बागवानों पर पड़ती है. हिमाचल में चार लाख बागवान परिवार हैं. यहां बागीचों की जोत छोटी है और समस्याएं अधिक हैं. ऐसे में बागवान चाहते हैं कि सेब की इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी की जाए, ताकि विदेश से सेब कारोबार हतोत्साहित हो सके और हिमाचल के सेब को अच्छे दाम यहीं की मार्केट में मिले. कुल मिलाकर ये हिमाचल व अन्य सेब उत्पादक राज्यों के लिए लाभप्रद होगा.

अभी पचास फीसदी है आयात शुल्क

अभी विदेश से आने वाले सेब पर आयात शुल्क पचास फीसदी है. बागवान इसे सौ फीसदी करवाना चाहते हैं. हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है, "हिमाचल के सेब का मुकाबला 44 देशों से है. यहां के बागवानों को अपनी उपज के बेहतर दाम मिलें और देश की जनता को हिमाचल का सेब सुलभ हो, इसके लिए आयात शुल्क सौ फीसदी किया जाए. साथ ही सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति किलो सौ रुपए किया जाए." हरीश चौहान ने भारत के सेब उत्पादक राज्यों के लिए सुविधाओं से युक्त विशेष पैकेज की मांग भी उठाई है.

Himachal Gardeners
हिमाचल के प्रगतिशील बागवान: संजीव चौहान, राजीव खंडोल्टा, सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान, राजीव जोक्टा, हितेश दीवान (ETV Bharat)

क्या कहते हैं बागवान?

  • कोटखाई के बागवान विजय खंडोल्टा का कहना है कि केंद्र सरकार से आयात शुल्क सौ फीसदी करने के अलावा उपकरणों पर अनुदान बढ़ोतरी की मांग है.
  • प्रगतिशील बागवान संजीव चौहान का कहना है, "इस समय बागवानी घाटे का सौदा बन रहा है. हिमाचल में सेब उत्पादन का सौ साल से अधिक पुराना इतिहास है, लेकिन यदि सरकारों का सहयोग नहीं मिला तो बागवान लंबे समय तक सर्वाइव नहीं कर पाएंगे. विदेशी सेब से प्रतिस्पर्धा के लायक अभी हिमाचल नहीं हुआ है."
  • बागवान राजीव जोक्टा का कहना है कि नेट सहित बागवानी उपकरणों की सब्सिडी मिलनी चाहिए. साथ ही सेब पैकिंग मटेरियल पर जीएसटी से राहत मिलनी चाहिए.
  • बागवान हितेश दीवान का कहना है, "देश भर में विदेशी सेब हर समय मार्केट में उपलब्ध रहता है. हिमाचल का सेब विदेशी सेब के साथ कंपीट करने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में केंद्र सरकार को हिमाचल के बागवानों की समस्याओं के साथ सहानुभूति से विचार कर बजट में राहत देनी चाहिए."
  • कांग्रेस नेता और ठियोग से विधायक कुलदीप राठौर कई मंचों पर इस मुद्दे को उठा चुके हैं. राठौर का कहना है, "केंद्र सरकार को आयात शुल्क सौ प्रतिशत करना चाहिए. अभी सेब पर आयात शुल्क पचास फीसदी है. विश्व व्यापार संगठन के समझौते के मुताबिक ये शुल्क 75 प्रतिशत तक हो सकता है. राज्य सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर भी हिमाचल की इस मांग को पूरा करने की बात कही है."

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इस तकनीक से लगाएं सेब का बगीचा, मिलेगी 5 से 7.5 लाख की सब्सिडी, यहां करें आवेदन

ये भी पढ़ें: कौन हैं हरिमन जिन्होंने गर्म इलाकों में उगाया एप्पल, राष्ट्रपति भवन की शान बने इनकी तैयार की गई किस्म के सेब

शिमला: बजट पेश करने का जैसे ही समय आता है, हिमाचल के बागवान भरपूर उम्मीद के साथ सेब पर आयात शुल्क सौ फीसदी किए जाने की मांग उठाने लगते हैं. हिमाचल के बागवानों की ये आवाज कई कारणों से अनसुनी रह जाती है. इस बार भी इंपोर्ट ड्यूटी यानी आयात शुल्क सौ प्रतिशत किए जाने के साथ-साथ अन्य उम्मीदें लेकर बागवान बजट की प्रतीक्षा कर रहे हैं. सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी से जुड़ा वादा पीएम नरेंद्र मोदी ने भी किया था. अप्रैल 2014 में जिस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में प्रचार में डटे थे, उन्होंने सोलन की रैली में वादा किया था कि यूपीए सरकार ने सेब के बाजार को खुला छोड़ दिया है. दुनिया का कोई भी देश यहां सेब भेज सकता है. यदि उन्हें सरकार में आने का मौका मिला तो ये सब ठीक किया जाएगा. बागवानों को आस जगी थी कि सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी की जाएगी, लेकिन ये संभव नहीं हुआ. आखिर क्यों खास है हिमाचल की एप्पल इंडस्ट्री और यहां के बागवानों को क्यों चाहिए विदेश से आयात होने वाले सेब पर सौ फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी, इसकी पड़ताल करते हैं.

NIRMALA SITHARAMAN UNION BUDGET 2025
निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट 2025 (File Photo)

हिमाचल और सेब

सबसे पहले हिमाचल की परिस्थितियों और यहां के बागवानों की मुश्किलों के बारे में बात करते हैं. हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन का दौर सौ साल का सफर पूरा कर चुका है. सेब यहां के बागवानों की आर्थिकी का बड़ा सहारा है. हिमाचल में हर साल ढाई से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. सालाना कारोबार 3500 से 4500 करोड़ रुपए का है. हिमाचल के अलावा देश में कश्मीर, उत्तराखंड व अरुणाचल प्रदेश में सेब उगाया जाता है. सेब उत्पादन के मामले में हिमाचल अन्य राज्यों से कई मायनों में आगे है. यदि कठिनाई की तरफ देखा जाए तो हिमाचल में सेब बागवानों के लिए सिंचाई की सुविधाओं की कमी, मुश्किल टैरेन, पहाड़ी रास्तों से मंडियों तक सेब पहुंचाने में दिक्कत और प्रति हेक्टेयर उत्पादन का खर्च सामने आता है. ऐसे में सेब उत्पादन की लागत अधिक हो जाती है. विदेश से आने वाला सेब सस्ता पड़ता है. कारण ये है कि वहां अत्याधुनिक तकनीक व सिंचाई सुविधाओं का प्रसार बहुत है. वहां उत्पादन की लागत कम है. ऐसे में हिमाचल के बागवान चाहते हैं कि विदेश से आने वाले सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी की जाए. सौ फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी होने पर अन्य देशों को यहां सेब निर्यात करने में हतोत्साहित किया जा सकेगा और हिमाचल के बागवानों को अपनी उपज के अच्छे दाम मिल सकेंगे.

Himachal Apple Production
हिमाचल में सेब का उत्पादन (ETV Bharat GFX)

चीन, अमेरिका, न्यूजीलैंड सहित कई देशों से आयात

भारत में चीन, अमेरिका व न्यूजीलैंड सहित कई देशों से सेब का आयात होता है. ये सेब क्वालिटी के मामले में बेहतर होता है. इसकी शेल्फ लाइफ भी अच्छी होती है और ये दाम में सस्ता रहता है. फिर तुर्की से आने वाला सेब वाया अफगानिस्तान, पाकिस्तान होते हुए भारत आता है. ये ड्यूटी फ्री होने के कारण सस्ता होता है. इसकी मार भी हिमाचल के बागवानों पर पड़ती है. हिमाचल में चार लाख बागवान परिवार हैं. यहां बागीचों की जोत छोटी है और समस्याएं अधिक हैं. ऐसे में बागवान चाहते हैं कि सेब की इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी की जाए, ताकि विदेश से सेब कारोबार हतोत्साहित हो सके और हिमाचल के सेब को अच्छे दाम यहीं की मार्केट में मिले. कुल मिलाकर ये हिमाचल व अन्य सेब उत्पादक राज्यों के लिए लाभप्रद होगा.

अभी पचास फीसदी है आयात शुल्क

अभी विदेश से आने वाले सेब पर आयात शुल्क पचास फीसदी है. बागवान इसे सौ फीसदी करवाना चाहते हैं. हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है, "हिमाचल के सेब का मुकाबला 44 देशों से है. यहां के बागवानों को अपनी उपज के बेहतर दाम मिलें और देश की जनता को हिमाचल का सेब सुलभ हो, इसके लिए आयात शुल्क सौ फीसदी किया जाए. साथ ही सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति किलो सौ रुपए किया जाए." हरीश चौहान ने भारत के सेब उत्पादक राज्यों के लिए सुविधाओं से युक्त विशेष पैकेज की मांग भी उठाई है.

Himachal Gardeners
हिमाचल के प्रगतिशील बागवान: संजीव चौहान, राजीव खंडोल्टा, सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान, राजीव जोक्टा, हितेश दीवान (ETV Bharat)

क्या कहते हैं बागवान?

  • कोटखाई के बागवान विजय खंडोल्टा का कहना है कि केंद्र सरकार से आयात शुल्क सौ फीसदी करने के अलावा उपकरणों पर अनुदान बढ़ोतरी की मांग है.
  • प्रगतिशील बागवान संजीव चौहान का कहना है, "इस समय बागवानी घाटे का सौदा बन रहा है. हिमाचल में सेब उत्पादन का सौ साल से अधिक पुराना इतिहास है, लेकिन यदि सरकारों का सहयोग नहीं मिला तो बागवान लंबे समय तक सर्वाइव नहीं कर पाएंगे. विदेशी सेब से प्रतिस्पर्धा के लायक अभी हिमाचल नहीं हुआ है."
  • बागवान राजीव जोक्टा का कहना है कि नेट सहित बागवानी उपकरणों की सब्सिडी मिलनी चाहिए. साथ ही सेब पैकिंग मटेरियल पर जीएसटी से राहत मिलनी चाहिए.
  • बागवान हितेश दीवान का कहना है, "देश भर में विदेशी सेब हर समय मार्केट में उपलब्ध रहता है. हिमाचल का सेब विदेशी सेब के साथ कंपीट करने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में केंद्र सरकार को हिमाचल के बागवानों की समस्याओं के साथ सहानुभूति से विचार कर बजट में राहत देनी चाहिए."
  • कांग्रेस नेता और ठियोग से विधायक कुलदीप राठौर कई मंचों पर इस मुद्दे को उठा चुके हैं. राठौर का कहना है, "केंद्र सरकार को आयात शुल्क सौ प्रतिशत करना चाहिए. अभी सेब पर आयात शुल्क पचास फीसदी है. विश्व व्यापार संगठन के समझौते के मुताबिक ये शुल्क 75 प्रतिशत तक हो सकता है. राज्य सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर भी हिमाचल की इस मांग को पूरा करने की बात कही है."

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Last Updated : Jan 31, 2025, 10:54 AM IST
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