कुल्लू: आधुनिक दुनिया में अब रोजाना मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग बढ़ता जा रहा है. इसके बिना जीवन ठहरा हुआ सा लगता है. आज इंटरनेट और मोबाइल के जाल में हर आयु वर्ग का इंसान जकड़ा हुआ है. वर्तमान की बात करें तो लोगों की सुबह आज मोबाइल से शुरू होती है और मोबाइल पर ही शाम गुजर रही है. एक तरफ मोबाइल और इंटरनेट का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल युवाओं को मानसकि रोगी बना रहा है तो दूसरी तरफ ये सूचनाओं का प्रसार भी तेजी कर रहा है. इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं.
सोचिए क्या होगा अगर युवा मोबाइल और इंटरनेट को कुछ समय के लिए छोड़ दें. ऐसा आज के समय में सोचना भी असंभव है, लेकिन हिमाचल के हिमालयी इलाकों में देव आदेश इन सभी आधुनिक सुविधाओं पर भारी पड़ रहे हैं और युवा भी देव आदेश को तोड़ने की हिम्मत नहीं करता है. यहां देवताओं के आदेश ही सर्वोपरि हैं और आज भी आधुनिक समाज के बीच युवा वर्ग इन आदेशों को नहीं तोड़ता है, ब्लकि वैसे ही सम्मान देता है जैसा उनके बुजुर्ग देते आ रहे हैं. क्या आप यकीन करेंगे कि देवता की ओर से लोगों को मोबाइल, इंटरनेट छोड़ने के आदेश दिए जाते है और पहाड़ी इलाकों में इन आदेशों को लोग फौरन मान लेते हैं और समाज की सुख समृद्धि के लिए इन सभी सुविधाओं के बगैर भी अपना समय गुजार देते हैं.
45 दिनों तक मोबाइल टीवी पर रहेगा प्रतिबंध
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगते नौ गांव में लोग इन दिनों ऐसे देव आदेश का पालन कर रहे हैं. ये लोग अपने इलाकों में इंटरनेट, मोबाइल, टीवी, रेडियो का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है कि यहां पर देवता ब्यास ऋषि, देवता गौतम ऋषि के द्वारा 42 दिनों तक इनका इस्तेमाल न करने के आदेश दिए जाते हैं और फागली उत्सव के बाद युवा फिर से इन सभी आधुनिक वस्तुओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. इतना ही नहीं अगर गांव में कोई सैलानी भी आता है तो गांव के बाहर एक सूचना बोर्ड लगाया गया है. सैलानी भी गांव में देवता के आदेश की पालना करते हैं और वो भी शोर शराबा करने से बचते हैं. ऐसे में देव संस्कृति और आपसी भाईचारे की समृद्ध मिसाल इन दिनों मनाली के साथ लगते नौ गांव में देखने को मिल रही है.
नौ गांवों के लोग करते हैं प्रतिबंधों का पालन
मकर संक्रांति के दिन मनाली के गोशाल गांव में देवता ब्यास ऋषि के मंदिर में पूजा अर्चना की गई और उसके बाद मंदिर को बंद कर दिया गया. इतना ही नहीं मंदिर की घंटियों को भी कपड़े से बांध दिया गया, ताकि किसी भी प्रकार का शोर शराबा ना हो सके. किसी भी तरह का शोर न हो इसके लिए कई प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं. स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि मकर संक्रांति के दिन से गांव के आराध्य देवता स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं और तपस्या में लीन हो जाते हैं. देवताओं की तपस्या भंग न हो सके इसके लिए शोर शराबे पर प्रतिबंध रहता है. जिला कुल्लू की उझी घाटी के गोशाल गांव सहित कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ तथा मझाच के लोग इस देव प्रतिबंध का पालन करेंगे. देव प्रतिबंध के चलते गोशाल गांव के ग्रामीण रेडियो, टीवी का प्रयोग नहीं करेंगे और खेतों का रुख भी नहीं करेंगे, क्योंकि कृषि कार्यों पर भी प्रतिबंध रहेगा.
'45 दिन तक देवता करते हैं तप'
मनाली के युवा राकेश राणा का कहना हैं कि, 'देवता इन दिनों स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं और वो आम जनमानस की भलाई के लिए तपस्या करते हैं. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति शोर शराबा करता है तो इससे देवता की तपस्या में विघ्न पड़ता है. समाज में सभी लोग आज भी इस परंपरा का पालन करते हैं और देवता के आदेशों की अवहेलना करने की हिम्मत आज भी किसी में नहीं है. वहीं, गांव में जो पर्यटक आते हैं उन्हें भी प्रवेश द्वार पर ही इन बातों के बारे में जानकारी दी जाती है, ताकि वो यहां पर मोबाइल या अन्य तरह के वस्तुओं से शोर शराबा ना कर सकें. गांव में आने वाले सैलानी भी देवता के आदेशों की पूरी तरह से पालन करते हैं.'
स्वर्ग से लौटकर करेंगे भविष्यवाणी
इस दौरान मंदिर में देवता की पिंडी को मिट्टी से लेप दिया जाता है और 42 दिनों के बाद जब मंदिर को खोला जाता है तो देवता की पिंडी से मिट्टी को भी साफ किया जाता है, अगर मिट्टी से पत्ते निकलते हैं तो इसका मतलब है कि अबकी बार फसल अच्छी होगी, अगर कोयला निकलता है तो इसे मानव समाज के लिए अशुभ माना जाता है. ऐसे में देवता के द्वारा साल भर की भविष्यवाणी की जाती है और अशुभ से बचने के लिए कई उपाय भी देवता बताते हैं. स्वर्ग प्रवास से लौटने पर देवताओं का ग्रामीणों की ओर से जोरदार स्वागत किया जाएगा और आराध्य देवों के सम्मान में उत्सव का भी आयोजन करेंगे. देवता स्वर्ग प्रवास से लौटते ही भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे भी भविष्यवाणी करेंगे.
गोशाल गांव की रहने वाली सृष्टि शर्मा का कहना है कि, 'आज के समय में इंटरनेट और मोबाइल के बिना जीवन अधूरा लगता है और वर्क फ्रॉम होम सहित कई काम इंटरनेट की मदद से किए जाते हैं. ऐसे में मोबाइल का प्रयोग सुबह से लेकर शाम तक किया जाता है. अगर एक दिन भी मोबाइल का प्रयोग ना करें तो इससे कामकाज सहित अन्य मनोरंजन गतिविधियां भी रुक जाती है, लेकिन जिस तरह से जिला कुल्लू की उझी घाटी में देवता के आदेश के चलते युवा वर्ग के द्वारा मोबाइल, इंटरनेट का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। वो समाज के लिए एक अच्छी परंपरा है, क्योंकि इससे युवा भी अब अपने घर में बुजुर्गों के साथ समय व्यतीत कर पाएंगे और सामाजिक कार्यों में भी अपनी हिस्सेदारी दे पाएंगे ऐसे में देवता के आदेश युवा वर्ग को सही रास्ते में लाने का भी काम कर रहे हैं.'
लाहौल स्पीति के समाजसेवी किशन ठाकुर का कहना है कि, 'लाहौल स्पीति के सीसू में भी इन दोनों देव आदेश के चलते सभी पर्यटन गतिविधियां बंद है और मनाली की ऊझी घाटी में भी लोग इन दिनों देवता के आदेशों का पालन कर रहे हैं. ऐसे में फागली के दिन देवता का मंदिर खोला जाएगा और लोग उत्सव मनाकर देवताओं का स्वागत करेंगे. इस दिन देवता के आने वाले समय के लिए भविष्यवाणी करेंगे.'
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