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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली - CEC ECS APPOINTMENTS

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, नए कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 19 मार्च, 2025 को सुनवाई हो सकती है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (ETV Bharat)
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By Sumit Saxena

Published : Feb 19, 2025, 7:51 PM IST

नई दिल्ली: चुनाव आयुक्त नियुक्ति कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज (बुधवार) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई. खबर के मुताबिक, समय की कमी के कारण आज सुनवाई नहीं हो पाई. यह मामला आज न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच के समक्ष आया. उन्होंने मामले की जल्द सुनवाई का आश्वासन दिया.

एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आज शीघ्र सुनवाई की मांग करते हुए मौखिक रूप से बेंच के समक्ष मामले का उल्लेख किया. भूषण ने कहा कि, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के तहत पहले ही एक नए सीईसी और एक ईसी की नियुक्ति की जा चुकी है.

भूषण ने जोरदार तरीके से कहा कि मामला बेहद महत्वपूर्ण है और सुनवाई में ज्यादा समय नहीं लगेगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि, याचिकाकर्ताओं के वकील एक घंटे में दलीलें पूरी कर लेंगे. हालांकि, पीठ ने कहा कि वह 19 मार्च से पहले कोई तारीख नहीं दे पाएगी, क्योंकि बीच में कोई तारीख नहीं है.

इससे पहले दिन में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया था. वह इसलिए क्योंकि वह संविधान पीठ की सुनवाई में व्यस्त रहेंगे. भूषण ने मेहता के इस स्थगन अनुरोध पर आपत्ति जताई थी. भूषण ने कहा कि, यह एक महत्वपूर्ण मामला है और इसे केवल मेहता की अनुपलब्धता के कारण स्थगित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के 17 विधि अधिकारियों में से कोई भी केंद्र सरकार की ओर से पेश हो सकता है.

मंगलवार को भूषण ने जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच के समक्ष मामले का उल्लेख किया. उन्होंने जोरदार ढंग से तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सहित एक पैनल के माध्यम से सीईसी और ईसी के चयन और नियुक्ति का निर्देश देने वाले संविधान पीठ के 2023 के फैसले के बावजूद, सरकार ने सीजेआई को बाहर रखा. भूषण ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार ने "लोकतंत्र का मजाक" उड़ाया है.

भूषण ने कहा कि मामला कल, कारण सूची में आइटम नंबर 41 के रूप में सूचीबद्ध है और पीठ से मामले को बोर्ड के शीर्ष पर उठाने का आग्रह किया, क्योंकि इस पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है. भूषण ने कहा कि, सरकार ने 2023 के कानून के अनुसार सीईसी और ईसी की नियुक्ति की है, जो संविधान पीठ द्वारा लिए गए दृष्टिकोण के विपरीत है. कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने कहा कि नए कानून के तहत सरकार द्वारा तीन नियुक्तियां की गई थीं, जिसे चुनौती दी गई थी.

पीठ ने भूषण और अन्य पक्षों को आश्वासन दिया कि कुछ जरूरी सूचीबद्ध मामलों के बाद, अदालत 19 फरवरी को सुनवाई के लिए याचिकाओं पर विचार करेगी. 17 फरवरी को सरकार ने ईसी ज्ञानेश कुमार को अगला सीईसी नियुक्त किया. कुमार नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले सीईसी हैं और उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक चलेगा, जो कि चुनाव आयोग द्वारा अगले लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने से कुछ दिन पहले है. 1989 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। 21 मई, 1966 को जन्मे जोशी (58) 2031 तक चुनाव आयोग में काम करेंगे.

इससे पहले, भूषण ने तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने मार्च 2023 के फैसले में सीईसी और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता और सीजेआई को शामिल करते हुए एक पैनल का गठन किया था. दिसंबर 2023 में, केंद्र ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पद की अवधि) अधिनियम, 2023 को अधिनियमित किया। नए कानून ने सीईसी और ईसी के चयन के उद्देश्य से गठित किए जाने वाले पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक मंत्री को नियुक्त किया है, जो सीधे तौर पर शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले के विरोध में है.

भूषण ने कहा था, "चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आपके पास एक स्वतंत्र समिति होनी चाहिए." पिछले साल मार्च में, सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून के तहत नए ईसी की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी थी.

ये भी पढ़ें: CEC ज्ञानेश कुमार ने संभाला कार्यभार, बोले- राष्ट्र निर्माण के लिए मतदान पहला कदम

नई दिल्ली: चुनाव आयुक्त नियुक्ति कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज (बुधवार) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई. खबर के मुताबिक, समय की कमी के कारण आज सुनवाई नहीं हो पाई. यह मामला आज न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच के समक्ष आया. उन्होंने मामले की जल्द सुनवाई का आश्वासन दिया.

एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आज शीघ्र सुनवाई की मांग करते हुए मौखिक रूप से बेंच के समक्ष मामले का उल्लेख किया. भूषण ने कहा कि, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के तहत पहले ही एक नए सीईसी और एक ईसी की नियुक्ति की जा चुकी है.

भूषण ने जोरदार तरीके से कहा कि मामला बेहद महत्वपूर्ण है और सुनवाई में ज्यादा समय नहीं लगेगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि, याचिकाकर्ताओं के वकील एक घंटे में दलीलें पूरी कर लेंगे. हालांकि, पीठ ने कहा कि वह 19 मार्च से पहले कोई तारीख नहीं दे पाएगी, क्योंकि बीच में कोई तारीख नहीं है.

इससे पहले दिन में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया था. वह इसलिए क्योंकि वह संविधान पीठ की सुनवाई में व्यस्त रहेंगे. भूषण ने मेहता के इस स्थगन अनुरोध पर आपत्ति जताई थी. भूषण ने कहा कि, यह एक महत्वपूर्ण मामला है और इसे केवल मेहता की अनुपलब्धता के कारण स्थगित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के 17 विधि अधिकारियों में से कोई भी केंद्र सरकार की ओर से पेश हो सकता है.

मंगलवार को भूषण ने जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच के समक्ष मामले का उल्लेख किया. उन्होंने जोरदार ढंग से तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सहित एक पैनल के माध्यम से सीईसी और ईसी के चयन और नियुक्ति का निर्देश देने वाले संविधान पीठ के 2023 के फैसले के बावजूद, सरकार ने सीजेआई को बाहर रखा. भूषण ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार ने "लोकतंत्र का मजाक" उड़ाया है.

भूषण ने कहा कि मामला कल, कारण सूची में आइटम नंबर 41 के रूप में सूचीबद्ध है और पीठ से मामले को बोर्ड के शीर्ष पर उठाने का आग्रह किया, क्योंकि इस पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है. भूषण ने कहा कि, सरकार ने 2023 के कानून के अनुसार सीईसी और ईसी की नियुक्ति की है, जो संविधान पीठ द्वारा लिए गए दृष्टिकोण के विपरीत है. कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने कहा कि नए कानून के तहत सरकार द्वारा तीन नियुक्तियां की गई थीं, जिसे चुनौती दी गई थी.

पीठ ने भूषण और अन्य पक्षों को आश्वासन दिया कि कुछ जरूरी सूचीबद्ध मामलों के बाद, अदालत 19 फरवरी को सुनवाई के लिए याचिकाओं पर विचार करेगी. 17 फरवरी को सरकार ने ईसी ज्ञानेश कुमार को अगला सीईसी नियुक्त किया. कुमार नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले सीईसी हैं और उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक चलेगा, जो कि चुनाव आयोग द्वारा अगले लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने से कुछ दिन पहले है. 1989 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। 21 मई, 1966 को जन्मे जोशी (58) 2031 तक चुनाव आयोग में काम करेंगे.

इससे पहले, भूषण ने तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने मार्च 2023 के फैसले में सीईसी और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता और सीजेआई को शामिल करते हुए एक पैनल का गठन किया था. दिसंबर 2023 में, केंद्र ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पद की अवधि) अधिनियम, 2023 को अधिनियमित किया। नए कानून ने सीईसी और ईसी के चयन के उद्देश्य से गठित किए जाने वाले पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक मंत्री को नियुक्त किया है, जो सीधे तौर पर शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले के विरोध में है.

भूषण ने कहा था, "चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आपके पास एक स्वतंत्र समिति होनी चाहिए." पिछले साल मार्च में, सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून के तहत नए ईसी की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी थी.

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