पटना:सुशांत सिंह राजपूत यदि आज जिंदा होते हैं तो आज उनका 39 वां जन्मदिन होता. सुशांत सिंह राजपूत का जन्म 21 जनवरी 1986 को पूर्णिया, बिहार में केके सिंह और उषा सिंह के घर हुआ था. पांच भाई बहनों में अकेला सुशांत घर का सबसे प्यारा था.
बिहार के पूर्णिया से रिश्ता:सुशांत सिंह राजपूत के पिता बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी केके सिंह हैं. उनकी माता का नाम उषा सिंह था जो हाउसवाइफ थी. पटना के राजीव नगर स्थित रोड नंबर 6 में सुशांत सिंह राजपूत के पिता के के सिंह का घर है. राजीव नगर रोड नंबर 6 में रहकर ही उन्होंने अपने बचपन के कई वर्ष बिताए. चार बहनों नीतू, मीतू, प्रियंका और श्वेता का इकलौता भाई था सुशांत सिंह राजपूत.
बचपन से पढ़ने में होनहार: सुशांत सिंह राजपूत की प्रारंभिक शिक्षा पटना के सेंट करेन्स हाई स्कूल से हुई. 10 वीं की परीक्षा पास करने के बाद उनका नामांकन दिल्ली के कुलाची हंसराज मॉडल स्कूल में हुआ. वर्ष 2000 में उनकी मां उषा सिंह का निधन हो गया इसके बाद उनका पूरा परिवार पटना से दिल्ली शिफ्ट हो गया. 2003 में उन्होंने दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में सातवां स्थान प्राप्त किया था. इस तरह उनका दाखिला बीटेक में हुआ.वे भौतिकी के राष्ट्रीय ओलंपियाड के विजेता भी रहे.
अभिनय के तरफ रुचि:सुशांत सिंह राजपूत का अभिनय की तरफ रुचि स्कूली दिनों से ही था. हर स्कूली एनुअल फंक्शन में वह भाग लेते थे. जब वह इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे थे तब उन्होंने अभिनय की तरफ अपना करियर बनाने का सोचा.उन्होंने श्यामक दावर की डांस क्लास में दाखिला लिया. अभिनय में अपना करियर बनाने के लिए उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के चार वर्ष के कोर्स में से सिर्फ तीन वर्ष पूरे कर उसे छोड़ दिया.
छोटे पर्दे से शुरुआत: सुशांत सिंह राजपूत ने अपने करियर की शुरुआत छोटे पर्दे से की. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टेलीविजन धारावाहिकों से की थी. उनका पहला शो स्टार प्लस का रोमांटिक अभिनेता के रूप में "किस देश में है मेरा दिल" से किया. उसके बाद ज़ी टीवी के लोकप्रिय शो पवित्र रिश्ता ने टेलीविजन में उनको एक अलग पहचान दी.पवित्र रिश्ता में उनका और अंकिता लोखंडे की जोड़ी को लोगों ने बहुत पसंद किया. इसी सीरियल के बाद फ़िल्म इंडस्ट्री में जाने का उनके लिए रास्ता खुला.
सुशांत सिंह राजपूत का फ़िल्मी सफर:सुशांत सिंह राजपूत ने बॉलीवुड में कुल 11 फिल्मों में काम किया था. उन्होंने 2013 में 'काई पो चे' से अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की थी और उनकी आखिरी रिलीज फिल्म 'दिल बेचारा' 2020 में हुई थी. उन्होंने अपने 7 साल के फिल्मी सफर में कल 11 फिल्मों में काम किया.
काय पो छे से उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की. इसके बाद शुद्ध देसी रोमांस, पीके, डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी ,एम.एस. धोनी द अनटोल्ड स्टोरी, राब्ता,वेलकम टू न्यूयॉर्क, केदारनाथ, सोनचिड़िया, छिछोरे, ड्राइव,दिल बेचारा फिल्म में काम किया.
सुशांत सिंह की दोहरी चुनौती: छोटे से शहर पटना से निकलकर बॉलीवुड की चकाचौंध वाली दुनिया में बहुत सारे सपने लेकर सुशांत सिंह राजपूत मुंबई में अपनी पहचान बनाए थे. सुशांत सिंह राजपूत बहुत कम समय में बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना ली थी. हमेशा अपने चेहरे पर मुस्कान रखने वाले सुशांत सिंह राजपूत बहुत ही जिंदा दिल इंसान थे.
फिल्म इंडस्ट्री के घराने के और बिहारी: वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सुशांत सिंह राजपूत ने बिहार से जाकर फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कम समय में एक ऐसा मुकाम हासिल किया जो आसान नहीं था. सुशांत सिंह राजपूत के लिए दोहरी चुनौतियां थी कि एक तो वह फिल्म इंडस्ट्री के घराने के बाहर के थे और दूसरा बिहारी थे.
"फिल्म इंडस्ट्री में छोटे शहरों के कलाकारों के लिए जगह बनाना बहुत ही मुश्किल भरा होता है, लेकिन सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर बॉलीवुड की अनोखी दुनिया में बहुत जल्द बड़ा स्टारडम हासिल कर लिया. दोहरी चुनौती का सामना करते हुए सुशांत सिंह राजपूत ने फिल्म इंडस्ट्री के जमे जमाए अभिनेताओं के सामने अपनी चुनौती पेश की."- विनोद अनुपम, फ़िल्म समीक्षक
नेपोटिज्म को दी चुनौती:वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि बिहार जैसे प्रदेश से जाकर मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में इससे पहले भी शत्रुघ्न सिन्हा और मनोज वाजपेयी जैसे कलाकार ने अपनी पहचान बनाई लेकिन सुशांत सिंह राजपूत का संघर्ष कुछ अलग तरीके का था.
"बॉलीवुड में बड़े फिल्म अभिनेताओं के बेटे और बेटियों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. जितने भी बड़े फिल्मी कलाकार हुए उनके बेटे और बेटियों को इंडस्ट्री में पहले प्राथमिकता दी जाती है. जिसे फिल्मी दुनिया में नेपोटिज्म के नाम से जाना जाता है. ऐसे में इन फिल्मी हस्तियों के बच्चों के बीच रहकर संघर्ष करके आगे बढ़ना उनके टैलेंट को बताता है. सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी पहले ही फिल्म से इंडस्ट्री के बड़े-बड़े फिल्म निर्माता का ध्यान अपनी तरफ खींचा."-विनोद अनुपम, फिल्म समीक्षक
फिल्म इंडस्ट्री में हुए सफल: वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक विनोद अनुपम का मानना है कि फिल्म इंडस्ट्री में वैसे व्यक्ति को सफल माना जाता है जिसको देखते हुए उनके अनुसार स्क्रिप्ट लिखी जाती है. सुशांत सिंह राजपूत ने इंडस्ट्री में अपने आप को सफल साबित कर दिया था. यही कारण है कि बहुत सारी फिल्म सुशांत सिंह राजपूत को लेकर ही बनाए जाने लगी, जिसमें महेंद्र सिंह धोनी के बायोग्राफी पर बनी फिल्म इसका उदाहरण है. इसके अलावे भी अनेक ऐसी फिल्में बनी जिसमें सुशांत सिंह राजपूत को ध्यान में रखते हुए फिल्म का निर्माण हुआ.