पटना : बिहार में कब किस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो जाए किसी को नहीं पता है. अब नईसियासत सत्तू पर शुरू हुई है. जी हां, वही सत्तू जो आप घोलकर पीते हैं और लिट्टी में खाते हैं. सत्तू की सियासत शुरू की है बिहार के विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने. तेजस्वी यादव ने देश के गृह मंत्री अमित शाह पर हमला करते हुए एक नसीहत दे दी, वह भी सत्तू पीने की. तेजस्वी यादव ने अपने बयान में कहा कि अमित शाह को अगली बार बिहार में सत्तू पीकर आना चाहिए. इससे दिमाग शांत और शरीर ठंडा रहता है.
सत्तू किसानों का भी प्रतीक है :तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद सियासत शुरू हो गई. एनडीए के नेता अभी सत्तू वाले बयान को लेकर तेजस्वी यादव पर हमलावर हो गए. जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने तो महागठबंधन में शामिल तमाम नेताओं पर सत्तू को लेकर हमला कर दिया. उन्होंने कहा कि ''जब लालू यादव जेल में थे तो वह सत्तू ही खाना पसंद करते थे और अभी हेमंत सोरेन भी जेल का सत्तू खा रहे हैं.'' दूसरी तरफ उन्होंने यह भी कहा की ''सत्तू सिर्फ पीने और खाने भर का प्रतीक नहीं है. वह किसानों का भी प्रतीक है. जिससे लालू परिवार ने नौकरी के बदले जमीन लिखवाई है. ऐसे में वह किसान जरूर चाहेंगे कि यह लोग जेल का सत्तू खायें.''
सत्तू से दिमाग शांत और शरीर ठंडा :अब जरा सत्तू के बारे में समझ लीजिए, बिहार में प्रचंड गर्मी है, प्रचंड गर्मी में चुनाव का बिगुल बजा हुआ है. एक चरण का चुनाव हो चुका है, दूसरा चरण 26 अप्रैल को होना है. इस दिन भी बहुत गर्मी पड़ने के आसार हैं. ऐसे में बिहार के लोग इसे पेय पदार्थ के रूप में लेते हैं. इसे बिहारी हॉर्लिक्स बी कहते हैं. गरीब से लेकर अमीर तक सत्तू को पीना और खाना पसंद करता है. जिस तरह से तेजस्वी यादव ने कहा है कि इससे दिमाग शांत और शरीर ठंडा रहता है तो वाकई यह सही भी है कि सत्तू से शरीर ठंडा और दिमाग शांत जरूर रहता है. डिहाइड्रेशन नहीं होता है.