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शिवपुरी में गाय की हत्या की अफवाह, पंचायत ने परिवार का किया बहिष्कार, अब जिंदा मिली गाय - SHIVPURI RUMOR KILLING COW

शिवपुरी में ट्रैक्टर से चोट लगने के बाद गाय की मौत की अफवाह फैल गई. जिसके कारण ट्रैक्टर मालिक को समाज से बेदखल कर दिया.

SHIVPURI RUMOR KILLING COW
शिवपुरी में गाय की हत्या की अफवाह (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 6 hours ago

शिवपुरी:बिजरौनी निवासी दीपक करार के ट्रैक्टर से चोट लगने से गाय की मौत की अफवाह गांव में फैल गई. इस पर दीपक करार का आरोप है कि, ''इस अफवाह के कारण पंचायत ने उसे समाज से निकाल दिया. इस दौरान उसके रिश्तेदार के मृत्यु कार्यक्रम में भी अन्य लोगों ने शामिल होने से इंकार कर दिया. जिससे उसे मानसिक प्रताड़ना सहना पड़ा.''

ट्रैक्टर से गाय को लगी थी टक्कर
इस मामले को लेकर दीपक करार ने बताया कि, ''उसके ट्रैक्टर से 28 नवम्बर को एक गाय को टक्कर लग गई थी. जिसमें दीपक करार ने देखा कि गाय थोड़ी देर बाद उठकर चली गई. जिससे उसे लगा कि गाय को गंभीर चोट नहीं आई है. लेकिन अगले दिन गांव में किसी ने अफवाह फैला दी कि गाय की मौत हो गई है. जिससे दीपक करार को समाज से बेदखल कर दिया गया.''

पंचायत ने परिवार का किया बहिष्कार (ETV Bharat)

गौशाला में जीवित मिली गाय
दीपक करार को 14 दिसम्बर को जानकारी मिली की जिस गाय को ट्रैक्टर से चोट आई थी, वह जीवित है और बैकुंठ धाम गौशाला में है. इस पर दीपक वहां पहुंचे और गाय को अपने साथ घर लेकर आया ताकि उसकी सेवा कर सके. दीपक का कहना है "इस झूठी अफवाह के कारण उसके परिवार को काफी मानसिक वेदना झेलनी पड़ी है."

दुख में शामिल नहीं हुआ कोई भी
इस अफवाह ने दीपक करार को अपने रिश्तेदारों से दूर और अकेला कर दिया. बताया जा रहा है कि इस अफवाह के कारण उसके ताऊ नरेंद्र किरार की मृत्यु उपरांत होने वाली अंत्येष्टि सहित अन्य कार्यक्रम में कोई ग्रामीण शामिल नहीं हुआ. वहीं, दीपक करार की बहन-बेटी ने तक इस दुख की घड़ी में शामिल होने से इंकार कर दिया. उन्हें डर था कि कहीं उनके गांव का समाज उनके परिवार का बहिष्कार न कर दे.

बैकुंठ गौशाला के संचालक राजेश महाराज ने बताया कि "व्यवसायी प्रमोद सिंघल गाय को गौशाला में छोड़कर गया था. लेकिन गांव में गाय की मौत हो जाने की झूठी अफवाह किसी ने फैला दी. जिसके बाद हिंदू संस्कृति के अनुसार समाज ने जो भी सुनिश्चित किया इन्होंने उसका निर्वहन किया. लेकिन गौमाता की मृत्यु नहीं हुई है. अब ये गौमाता को अपने साथ ले जा रहे हैं और गौमाता का पूरी सेवा करेंगे."

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