ग्वालियर(पीयूष श्रीवास्तव) : देश की आजादी में कई महान विभूतियां, क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सैनानियों का योगदान रहा है. भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने में महात्मा गांधी की भी अहम भूमिका रही है. जिसकी वजह से उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया, लेकिन आजादी के पांच महीनों बाद नई दिल्ली के बिरला भवन में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था. जिसके लिए बाद में नाथूराम गोडसे और उसके साथी को फांसी की सजा मिली थी, लेकिन इस हत्या की पटकथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लिखी गई थी.
ग्वालियर था हिंदू महासभा का गढ़
वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली बताते हैं कि, "नाथूराम गोडसे हिंदू राष्ट्रवादी संगठन हिंदू महासभा का सदस्य था. उस समय ग्वालियर में हिंदू महासभा काफी सक्रिय था. यह क्षेत्र इस राष्ट्रवादी दल का गढ़ माना जाता था. नाथूराम गोडसे और हिंदू महासभा पाकिस्तान अलगाव के बाद महात्मा गांधी को पड़ोसी देश को आर्थिक मदद का समर्थन करने पर भारत को कमजोर करने का जिम्मेदार मानते थे. इसलिए ग्वालियर में उनकी हत्या का षड्यंत्र रचा गया.
![Mahatma Gandhi Death Anniversary](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/27-01-2025/23414197_aa.jpg)
स्वर्ण रेखा नदी किनारे प्रैक्टिस
गांधी जी की हत्या में शामिल रहे गोडसे के साथियों ने गिरफ्तारी के बाद अपने बयानों में इस बात का खुलासा किया था कि पूरी प्लानिंग ग्वालियर में हुई, इसके लिए सिंधिया स्टेट (सिंधिया स्टेट के समय बनायी गई) में ही एक पिस्टल भी खरीदी. उस दौरान ग्वालियर इतना विकसित नहीं था. यहां जंगल हुआ करता था. हत्या से पहले उसी जंगल के बीच गुजरने वाली स्वर्ण रेखा नदी के किनारे गोडसे ने 3 दिनों तक शूटिंग की प्रैक्टिस की थी.
गांधी की हत्या के लिए खरीदी पिस्टल
गांधी जी की हत्या में शामिल रहे गोडसे के साथियों ने गिरफ्तारी के बाद अपने बयानों में इस बात का खुलासा किया था कि पूरी प्लानिंग ग्वालियर में हुई. इसके लिए सिंधिया स्टेट में ही पिस्टल खरीदी गई. ये पिस्टल थी Ex 270 A और बाद में इसी से नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी का सीना छलनी कर दिया था.
![GANDHI MURDER PLAN IN GWALIOR](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/27-01-2025/mp-gwa-01-gandhi-murder-connection-network-dry-pkg-7206787_27012025172800_2701f_1737979080_239.jpeg)
किस पिस्टल से हुई थी महात्मा गांधी की हत्या
महात्मा गांधी की हत्या में नाथूराम गोड़से ने एक खास पिस्टल का इस्तेमाल किया था. यह फॉरेन मेड था जिसकी सिरीज EX 270 A थी. जो दस्तावेज गांधी की हत्या के सामने आए हैं उसमें साफ लिखा है कि मर्डर में EX 270 A सिरीज की Ex 39 पिस्टल से गोली फायर की गई थी.
तीन दिनों तक शूटिंग अभ्यास के बाद नाथूराम गोडसे अपने साथी नारायण आप्टे और 6 अन्य साथियों के साथ दिल्ली पहुंचा था. बताया जाता है कि जब 30 जनवरी 1948 को शाम सवा 5 बजे महात्मा गांधी दिल्ली के बिरला हाउस के बगीचे में थे और प्रार्थना के लिए जा रहे थे. इसी दौरान गोड़से फौजियों जैसी यूनिफार्म में पीछे से अपना रास्ता बनाते हुए भीड़ को चीर कर उनके सामने आया. उसी पिस्टल से तीन गोलियां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सीने में उतार दी. जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी.
![Mahatma Gandhi 78th Death Anniversary](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/27-01-2025/mp-gwa-01-gandhi-murder-connection-network-dry-pkg-7206787_27012025172800_2701f_1737979080_942.jpeg)
- ग्वालियर में बापू के हत्यारे गोडसे की पूजा, हिंदू महासभा ने की नाथूराम की प्रतिमा लगाने की मांग
- बापू की हत्या का दंश झेल रहा ग्वालियर, जानिए क्या है गांधी-गोडसे और मध्य भारत का कनेक्शन
हत्या के एक साल बाद मिली थी फांसी
महात्मा गांधी की हत्या के बाद गोडसे और उसके पकड़े गए साथियों पर मुकदम चलाया गया. बताया जाता है की गांधी जी की हत्या के लिए 10 फरवरी 1949 को नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सजा सुनाई गई वहीं उनके 6 साथियों को आजीवन कारावास की सजा हुई जिसमे नाथूराम का भाई गोपाल भी शामिल था. और इस तरह देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के कलंक में ग्वालियर का नाम भी शामिल हो गया.