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मध्य प्रदेश में 3 लाख दुर्लभ सिक्कों का संसार, 150 से ज्यादा छात्र कर चुके हैं शोध - MP UNIQUE COINS COLLECTION

मध्य प्रदेश के पुरातत्वविद् आरसी ठाकुर ने राजा-महाराजओं से लेकर अंग्रेजों के जमाने के सिक्के जुटाए. इस संग्रह पर 150 छात्रों ने पीएचडी की है.

MP UNIQUE COINS COLLECTION
मध्य प्रदेश में 3 लाख दुर्लभ सिक्कों का संसार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 28, 2025, 8:29 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश के पुरातत्वविद् और जाने-माने इतिहासहार ने सिक्कों का ऐसा संसार सजाया कि वह पुरातत्व में रूचि रखने वालों के लिए रिसर्च का सब्जेक्ट बन गया. उनके संग्रह पर एक-दो नहीं, बल्कि करीबन 150 स्टूडेंट्स पीएचडी कर चुके हैं. मध्य प्रदेश के महिदपुर के रहने वाले पुरातत्वविद् डॉ. आरसी ठाकुर ने विक्रमादित्य, उदयादित्य, शिवाजी से लेकर हषवर्धन और अंग्रेजों के दौर के तमाम सिक्के और मुद्राएं जुटाई हैं. उनके संग्रह में मौजूद सिक्के इतिहास की परतों को खोलते हैं. वे बताते हैं कि कैसे भारत देश में अलग-अलग काल में राजा-महाराजा से लेकर आक्रांताओं और अंग्रेज के दौरान मुद्राओं का स्वरूप बदलता गया.

दादा और पिता के शौक को बढ़ाया आगे

जाने माने पुरातत्वविद् डॉ. आरसी ठाकुर बताते हैं कि सिक्कों और मुद्राओं के कलेक्शन का शौक पुस्तैनी रहा है. यह उनके दादा के समय से चला आ रहा है. इसके बाद मेरे पिता और अब अब बतौर पुरातत्वविद् मैंने इसे आगे बढ़ाया है. दादा भुवानी सिंह और पिता पर्वत सिंह दोनों ही किसान थे, लेकिन उन्हें अलग-अलग तरह के सिक्के जुटाने का शौक था. मेरे पिता के पास एक छोटा ड्रम था. उसमें तरह-तरह के सिक्के भरे थे. मुझे भी इसके बारे में पता नहीं था.

पुरातत्वविद् ने इकठ्ठा किए दुर्लभ सिक्के (ETV Bharat)

वे बताते हैं कि बचपन में एक बार पिता पर्वत सिंह मुझे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में ले गए. इसमें ढाई हजार साल पुराना पंचमार्क सिक्का प्रदर्शित किया गया था. प्रदर्शनी में सिक्कों की जानकारी देते समय पिता ने बताया कि इस तरह के कई सिक्के मैंने भी कलेक्शन किया था. धीरे-धीरे यह शौक बढ़ता गया और बाद में इस मेरा प्रोफेशन बन गया.

150 Students PhD on coins
दुर्लभ सिक्कों पर छात्रों ने की पीएचडी (ETV Bharat)

60 सालों में देश भर से खोजे 3 लाख सिक्के

डॉ. आरसी ठाकुर बताते हैं कि "बतौर प्रोफेशन पुरातत्व को चुनने के बाद मध्य प्रदेश के अलावा देश की प्रमुख नदियों में सिक्के खोजे गए. दरअसल, देश में नदियों में सिक्कों को डाले जाने की परंपरा रही है. इसको देखते हुए गर्मियों में जब नदियां सूखने लगती थी, तो उनके किनारों पर जाकर खुदाई करके सिक्कों को खोजा जाता था. आज मेरे पास देश के सबसे प्राचीन सिक्के भी मौजूद हैं, जो करीबन ढाई हजार साल पुराने माने जाते हैं. वे बताते हैं कि मेरे पास करीबन 3 लाख प्राचीन मुद्राएं और सिक्के मौजूद हैं.

Archaeologist Dr RC Thakur
पुरातत्वविद् व इतिहासहार आरसी ठाकुर (ETV Bharat)

इनमें विश्व के सबसे पुरानी मुद्राओं से लेकर अंग्रेजों के दौर तक के सिक्के मौजूद हैं. यह यह मुद्राएं भारतीय इतिहास, संस्कृति की कहानी भी बयां करते हैं. यही वजह है कि इसको लेकर देश के करीबन 150 से ज्यादा स्टूडेंट्स इस पर पीएचडी कर चुके हैं.

1 हजार से ज्यादा प्रदर्शनी, उज्जैन में खुल रहा संग्रहालय

पुरातत्वविद बताते हैं कि वे इन अमूल्य मुद्राओं का पिछले 40 सालों से देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शनी लगाते आ रहे हैं, ताकि आज की पीढ़ी को भारत देश का प्राचीन वैभव और संस्कृति से परिचित कराया जा सके. वहीं अब उज्जैन के महाकाल लोक में बने संग्रहालय में दक्षिणेश्वर ज्योतिर्लिंग की गौरव गाथा के प्रमाण स्वरूप 2600 साल पुरानी मुद्राएं दान दी हैं. वहीं उज्जैन के विक्रम कीर्ति भवन में नया संग्रहालय बनाया जा रहा है, इसमें तमाम प्राचीन मुद्राओं को रखा जाएगा.

भोपाल: मध्य प्रदेश के पुरातत्वविद् और जाने-माने इतिहासहार ने सिक्कों का ऐसा संसार सजाया कि वह पुरातत्व में रूचि रखने वालों के लिए रिसर्च का सब्जेक्ट बन गया. उनके संग्रह पर एक-दो नहीं, बल्कि करीबन 150 स्टूडेंट्स पीएचडी कर चुके हैं. मध्य प्रदेश के महिदपुर के रहने वाले पुरातत्वविद् डॉ. आरसी ठाकुर ने विक्रमादित्य, उदयादित्य, शिवाजी से लेकर हषवर्धन और अंग्रेजों के दौर के तमाम सिक्के और मुद्राएं जुटाई हैं. उनके संग्रह में मौजूद सिक्के इतिहास की परतों को खोलते हैं. वे बताते हैं कि कैसे भारत देश में अलग-अलग काल में राजा-महाराजा से लेकर आक्रांताओं और अंग्रेज के दौरान मुद्राओं का स्वरूप बदलता गया.

दादा और पिता के शौक को बढ़ाया आगे

जाने माने पुरातत्वविद् डॉ. आरसी ठाकुर बताते हैं कि सिक्कों और मुद्राओं के कलेक्शन का शौक पुस्तैनी रहा है. यह उनके दादा के समय से चला आ रहा है. इसके बाद मेरे पिता और अब अब बतौर पुरातत्वविद् मैंने इसे आगे बढ़ाया है. दादा भुवानी सिंह और पिता पर्वत सिंह दोनों ही किसान थे, लेकिन उन्हें अलग-अलग तरह के सिक्के जुटाने का शौक था. मेरे पिता के पास एक छोटा ड्रम था. उसमें तरह-तरह के सिक्के भरे थे. मुझे भी इसके बारे में पता नहीं था.

पुरातत्वविद् ने इकठ्ठा किए दुर्लभ सिक्के (ETV Bharat)

वे बताते हैं कि बचपन में एक बार पिता पर्वत सिंह मुझे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में ले गए. इसमें ढाई हजार साल पुराना पंचमार्क सिक्का प्रदर्शित किया गया था. प्रदर्शनी में सिक्कों की जानकारी देते समय पिता ने बताया कि इस तरह के कई सिक्के मैंने भी कलेक्शन किया था. धीरे-धीरे यह शौक बढ़ता गया और बाद में इस मेरा प्रोफेशन बन गया.

150 Students PhD on coins
दुर्लभ सिक्कों पर छात्रों ने की पीएचडी (ETV Bharat)

60 सालों में देश भर से खोजे 3 लाख सिक्के

डॉ. आरसी ठाकुर बताते हैं कि "बतौर प्रोफेशन पुरातत्व को चुनने के बाद मध्य प्रदेश के अलावा देश की प्रमुख नदियों में सिक्के खोजे गए. दरअसल, देश में नदियों में सिक्कों को डाले जाने की परंपरा रही है. इसको देखते हुए गर्मियों में जब नदियां सूखने लगती थी, तो उनके किनारों पर जाकर खुदाई करके सिक्कों को खोजा जाता था. आज मेरे पास देश के सबसे प्राचीन सिक्के भी मौजूद हैं, जो करीबन ढाई हजार साल पुराने माने जाते हैं. वे बताते हैं कि मेरे पास करीबन 3 लाख प्राचीन मुद्राएं और सिक्के मौजूद हैं.

Archaeologist Dr RC Thakur
पुरातत्वविद् व इतिहासहार आरसी ठाकुर (ETV Bharat)

इनमें विश्व के सबसे पुरानी मुद्राओं से लेकर अंग्रेजों के दौर तक के सिक्के मौजूद हैं. यह यह मुद्राएं भारतीय इतिहास, संस्कृति की कहानी भी बयां करते हैं. यही वजह है कि इसको लेकर देश के करीबन 150 से ज्यादा स्टूडेंट्स इस पर पीएचडी कर चुके हैं.

1 हजार से ज्यादा प्रदर्शनी, उज्जैन में खुल रहा संग्रहालय

पुरातत्वविद बताते हैं कि वे इन अमूल्य मुद्राओं का पिछले 40 सालों से देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शनी लगाते आ रहे हैं, ताकि आज की पीढ़ी को भारत देश का प्राचीन वैभव और संस्कृति से परिचित कराया जा सके. वहीं अब उज्जैन के महाकाल लोक में बने संग्रहालय में दक्षिणेश्वर ज्योतिर्लिंग की गौरव गाथा के प्रमाण स्वरूप 2600 साल पुरानी मुद्राएं दान दी हैं. वहीं उज्जैन के विक्रम कीर्ति भवन में नया संग्रहालय बनाया जा रहा है, इसमें तमाम प्राचीन मुद्राओं को रखा जाएगा.

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