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ज्ञानवापी  में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मांगी पूजा अनुमति, अधूरे मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा को बताया गलत

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक बार फिर ज्ञानवापी को लेकर बड़ा बयान दिया है.अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति मांगी है.

Demands permission for worship in GyanvYAPI
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मांगी पूजा अनुमति (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 30, 2024, 3:23 PM IST

Updated : Oct 30, 2024, 4:29 PM IST

बेमेतरा:ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक बार फिर ज्ञानवापी को लेकर बड़ा बयान दिया है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ज्ञानव्यापी हमारा तीर्थ है.पुराने समय में आक्रमणकारियों ने जब भारत पर कब्जा किया था,तो हमारे वापी तीर्थ स्थल को परिवर्तित कर दिया.लेकिन अब हम स्वतंत्र हैं.अब हमारे देश में आक्रमणकारियों का राज खत्म हो चुका है.ऐसे में अब भी हमारे तीर्थ स्थल को मुक्त नहीं किया गया है.

भगवान शिव हुए थे प्रकट :शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने कहा कि ज्ञानव्यापी हमारा तीर्थ है.पुराणों में इसका वर्णन है.वहां पर भगवान स्वयंभू रूप में प्रकट हुए हैं. वहां पर उनकी पूजा होती थी.वहां पर जो वापी है.वहां के जल में जाकर जो स्नान करता है,उस जल का पान करता है.उसको भगवान शिव ज्ञान उपदेश कर देते हैं वो ज्ञान को उपलब्ध हो जाता है.

ज्ञानव्यापी में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मांगी पूजा अनुमति (ETV Bharat Chhattisgarh)

ऐसी हमारी सुंदर तीर्थ स्थली को जब हमारे देश में आक्रमणकारी आकर राज करने लगे तो बलपूर्वक कब्जा कर लिया गया.दुख की बात है कि अब तो हम स्वतंत्र हो गए,अब तो आक्रमणकारियों का राज भी नहीं रहा.अब तो हमारा स्वराज है.हमारे स्वराज होने के बाद भी हमको अपने तीर्थ स्थल से वंचित होना पड़ रहा है. हमारे तीर्थ हमारे भगवान और हमें पूजा करने से रोका जा रहा है,ये बड़ी दुख की बात है.इसमें जल्द से जल्द अनुमति मिलनी चाहिए ताकि हम अपने मूल स्थान में जाकर देवता की आराधना कर सके- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद,शंकराचार्य

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने कहा कि हमारे देश में जब आक्रमणकारी आकर राज किए तो मंदिर को कब्जा कर लिया. लेकिन अब स्वराज है. फिर भी हमें हक की लड़ाई लड़नी पड़ रही है. हमें वहां पूजा का अधिकार मिलना चाहिए. जिससे हम मूल स्थान में अपने देवता का आराधना कर सके.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मांगी पूजा अनुमति (ETV Bharat Chhattisgarh)


अधूरे मंदिर में पूजा शास्त्र सम्मत नहीं : आपको बता दें किबेमेतरा जिले के सपाद लक्षेश्वर धाम सलधा में तैयार हो रहे सवा लाख शिवलिंग मंदिर को देखने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पहुंचे थे. शंकराचार्य ने सवा लाख शिवलिंग मंदिर को विश्व का अनूठा मंदिर बताया. शंकराचार्य ने शिवरात्रि तक मंदिर निर्माण पूर्ण हो जाने की बात कही है.उन्होंने अपूर्ण मंदिरों के प्राणप्रतिष्ठा को लेकर कहा कि आज कल अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की प्रथा चला दी गई है. जिसके अंदर केवल भावना है भक्ति है शास्त्र को नहीं जानता है उसके लिए ठीक है. लेकिन शास्त्र को जानने वाले अधूरे मंदिर को कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

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Last Updated : Oct 30, 2024, 4:29 PM IST

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