नई दिल्ली:नए प्रवेशकों को एक सुरक्षित और स्वस्थ अध्ययन वातावरण प्रदान करने के लिए, कई विश्वविद्यालयों ने नए शैक्षणिक सत्र से पहले रैगिंग विरोधी उपाय किए हैं. विश्वविद्यालय में रैगिंग विरोधी उपायों के बारे में बताते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश की एंटी-रैगिंग समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर विशाल सूद ने ईटीवी भारत को बताया, 'हम हमेशा छात्रों पर नजर रखते हैं और रैगिंग की घटनाओं की अनुमति नहीं देते हैं. हमने विभाग स्तर पर एंटी-रैगिंग कमेटी, स्क्वॉड और टीमों का गठन किया है'.
सूद ने कहा, 'हर साल नया सत्र शुरू होने से पहले, अधिकारी एंटी-रैगिंग समिति और दस्ते के सदस्यों के साथ बैठक करते हैं, ताकि उन्हें परिसर के अंदर रैगिंग की घटनाओं को रोकने के बारे में जागरूक किया जा सके'. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा हाल ही में अधिकारियों को जारी पत्र के अनुसार, 'रैगिंग एक दण्डनीय अपराध है. यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए रैगिंग विरोधी नियम बनाए हैं'.
यूजीसी ने कहा, 'ये नियम अनिवार्य हैं. सभी संस्थानों को निगरानी तंत्र सहित इसके कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे. इन नियमों के किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा'. यूनिवर्सिटी द्वारा उठाए गए रैगिंग विरोधी कदमों की जानकारी देते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के जनसंपर्क अधिकारी मुदस्सिर आलम ने ईटीवी भारत को बताया, 'यह एक रैगिंग मुक्त परिसर है, क्योंकि हमने यहां पहले से ही एक एंटी-रैगिंग समिति गठित की है. नया सत्र शुरू होने से पहले, हम एक सप्ताह की रैगिंग विरोधी जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित करते हैं'.