वाराणसी : काशी में 104 साल के निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रामचंद्र गिरी रविवार को ब्रह्मलीन हो गए. बिरदोपुर स्थित कैलाश मठ से उनके भक्तों ने उनके पार्थिव शरीर संग शोभायात्रा निकाली. महामंडलेश्वर ने तीन साल से अन्न का त्याग कर दिया था. वह मूल रूप से गुजरात के रहने वाले थे. वह गुजरात पुलिस में भी रहे थे. अध्यात्म में गहरी रुचि होने की वजह से उन्होंने संन्यास ले लिया था.
स्वामी रामचंद्र का जन्म गुजरात के गांधीनगर के विलोदरा गांव में हुआ था. शुरुआती दौर में शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह गुजरात पुलिस में भर्ती हो गए. कुछ समय तक उन्होंने सेवा दी. इसके बाद उनका मन भगवत भक्ति में रम गया. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. बिहार के मगध पहुंचकर वहां गंगा तट पर वट वृक्ष के नीचे 12 वर्षों तक तपस्या की. भिक्षाटन के साथ लोगों को गीता का उपदेश देते रहे.