प्रयागराज: महाकुंभ 2025 का कल सोमवार 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ आगाज हो रहा है. 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पहला अमृत स्नान पर्व है. देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम की रेती पर आने लगे हैं. कड़कड़ाती ठंड भी उनके उत्साह को कम नहीं कर पा रही है. गलन और हाड़ कंपाने वाली हवाओं के बीच लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम की रेती पर सिर पर गठरी लिए प्रवेश कर रहे हैं.
आइए अब जानते हैं क्या है मुहूर्त: इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को है. खास बात यह है कि इस बार कोई भद्रा नहीं है, सुबह से शाम तक शुभ रहेगा. भारतीय ज्योतिष अनुसंधान परिषद की प्रयागराज चैप्टर की अध्यक्ष डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी के मुताबिक, इस बार महापुण्यकाल की अवधि सुबह 9:03 बजे से 10:50 बजे तक रहेगी, जो 1 घंटा 47 मिनट होगी. मकर संक्रांति सूर्य की स्थिति के आधार पर मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण हो जाते हैं. मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है. इस दौरान स्नान, दान, और तिल-गुड़ के सेवन से व्यक्ति पुण्य अर्जित करता है. शास्त्रों में मकर संक्रांति को 'तिल संक्रांति' भी कहा गया है. इस दिन काले तिल, गुड़, खिचड़ी, नमक और घी का दान विशेष फलदायी माना गया है.
किस तरह के दान से कैसा मिलता है लाभ, जानिए
- तिल और गुड़ का दान: यह पापों का नाश और पुण्य लाभ प्रदान करता है.
- नमक का दान: बुरी ऊर्जा और अनिष्टों का नाश करता है.
- खिचड़ी का दान: चावल और उड़द की दाल की खिचड़ी दान करने से अक्षय फल प्राप्त होता है.
- घी और रेवड़ी का दान: भौतिक सुख, मान-सम्मान, और यश प्राप्त होता है. पक्षियों को दाना और जानवरों को भोजन: यह कर्म अत्यधिक फलदायी माना जाता है.
मकर संक्रांति पर मंत्र जाप का महत्व: डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी ने बताया कि मकर संक्रांति पर स्नान और दान के बाद सूर्यदेव के 12 नामों का जाप और उनके मंत्रों का उच्चारण जीवन की कई समस्याओं को समाप्त कर सकता है. यह मंत्र जाप सूर्य देव की कृपा पाने का उत्तम साधन है.
पतंग उड़ाने और पकवान बनाने की परंपरा: इस पर्व पर तिल-गुड़ से बने लड्डू, खिचड़ी और अन्य पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं. पतंग उड़ाना भी इस दिन की खास परंपरा है, जो उत्साह और आनंद का प्रतीक है. मकर संक्रांति 2025 में महाकुम्भ का यह संगम आस्था, परंपरा और श्रद्धा का अद्भुत समागम है.
बारिश में सराबोर होकर संगम देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालु: महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है. शनिवार देर रात से ही प्रयागराज की सड़कों पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा, जिससे जाम की स्थिति पैदा हो गई. रविवार सुबह से तो सड़कें खचाखच भरी नजर आ रही हैं. सुबह से रुक-रुककर हो रही बारिश भी भक्तों को महाकुंभ पहुंचने से नहीं रोक पा रही है. बारिश से भक्त भीग रहे हैं, लेकिन भक्ति से सराबोर होकर कल पौष पूर्णिमा पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह: 'ईटीवी भारत' ने देश के विभिन्न हिस्सों से महाकुंभ में पहुंचे तमाम श्रद्धालुओं से बारिश के बावजूद पहुंचने को लेकर पूछा तो उनका यही कहना है कि इसे हम बारिश मानते ही नहीं. यह तो मौसम और भी ज्यादा खुशगवार हो गया है. बारिश जरूर हो रही है, लेकिन ठंड कम हो गई है. अब हम कल पहले स्नान में सुबह ही संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे और अपने को धन्य मानेंगे. गुजरात के कच्छ से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे हैं. भक्ति से सराबोर इन श्रद्धालुओं का कहना है कि दो दिन पहले ही दर्जन भर से ज्यादा बसों से बड़ी संख्या में यहां पर पहुंचे हैं. जो बारिश हो रही है उसका महाकुंभ आने वालों पर कोई असर नहीं होगा. यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे और संगम में स्नान करेंगे. इसके अलावा आगरा से आए श्रद्धालुओं में भी संगम में आस्था की डुबकी लगाने की छटपटाहट साफ तौर पर नजर आ रही है.
कब कब हैं स्नान
- पौष पूर्णिमा: 13 जनवरी
- मकर संक्रांति: 14 जनवरी
- मौनी अमावस्या: 29 जनवरी
- बसंत पंचमी: तीन फरवरी
- माघी पूर्णिमा: 12 फरवरी
- महाशिवरात्रि: 26 फरवरी