बगहा : बिहार का वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जैव विविधताओं के लिए प्रसिद्ध है. यहां आए दिन विभिन्न प्रजाति के जीव जंतु निकलते हैं. खासकर सांपों की कई प्रजातियों को स्पॉट किया गया है. इसी क्रम में सोमवार को इंडो नेपाल सीमा पर अवस्थित वाल्मीकिनगर के इंटरनेशनल कन्वेंशनल सेंटर के पास एक कॉमन सैंड बोआ नाम का सांप मिला. जिसको देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई.
जहरीला नहीं होता सैंड बोआ : सैंड बोआ सांप को एरिक्स कोनिकस, रसेल सैंड बोआ, कॉमन सैंड बोआ या रफ-टेल्ड सैंड बोआ के अलावा रेड सैंड बोआ के नाम से जाना जाता है. बोइडे परिवार के इस सांप की लंबाई तकरीबन 3 फीट तक होती है. इसके शरीर पर ज़िगज़ैग बैंड या पीला अथवा भूरा रंग के धब्बों की एक श्रृंखला होती है और पेट एक समान सफ़ेद होता है. जिस कारण भारत में इसे पहली नजर में भारतीय अजगर या घातक रसेल वाइपर समझ लिया जा सकता है. जबकि यह जहरीला सांप नहीं होता है.
सेंड बोआ सांप है खास : न्यूज संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि इस सांप को बहरा सांप या दो मुंहा सांप भी कहा जाता है. यह नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के उत्तरी शुष्क क्षेत्र में पाया जाता है. भारत में यह सांप विशेषकर पंजाब, कच्छ, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और सिंध के शुष्क और अर्ध शुष्क रेतीले इलाके में मिलता है. यह सांप मांसाहारी होता है और मुख्य रूप से चूहे और दूसरे छोटे कीट मकोड़ों को खाता है. यह अन्य सांपों की तरह अंडे नहीं देता बल्कि अप्रैल और जून के बीच बच्चे देता है.