हरिद्वार: आज बुधवार को पितृ पक्ष की अमावस्या के साथ श्राद्ध पक्ष का समापन होने जा रहा है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जा रहा है. उत्तराखंड में आज पितृ अमावस्या के दिन देश के वीरों और शहीद हुए जवानों का धर्मनगरी हरिद्वार के कश्यप घाट पर तर्पण किया गया. उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने पूरी देशभक्ति की भावना के साथ देश के लिए शहीद हुए सभी वीर जवानों का तर्पण किया.
शहीदों का श्राद्ध तर्पण:जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ब्रह्मानंद गिरि महाराजने इस दौरान कहा कि आज राष्ट्र के प्रति समर्पित महाबलिदानियों का जिन्होंने अपने धर्म राष्ट्र, स्वाभिमान व अपनी बहन बेटियों की रक्षा करते हुए बलिदान दिया है. उन्हीं के लिए हमारे द्वारा आज मां गंगा में उनका तर्पण पूरे विधि विधान से किया गया है. इस दौरान मां गंगा से प्रार्थना की गई कि जिस तरह से उन्होंने अपना बलिदान देकर देश की रक्षा की है, देश में रहने वाले प्रत्येक मनुष्य की भी रक्षा की है, भगवान उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें.
शहीदों का श्राद्ध तर्पण (Video- ETV Bharat) इसी के साथ उन्होंने कहा कि यह श्राद्ध तर्पण करके हम यह भी संदेश देना चाहते हैं कि आज के समय में जो युवा पीढ़ी अपने धर्म और देश के लिए शहीद हुए वीरों को भूल गई है, उन्हें याद करें. जिस तरह से उन्होंने राष्ट्र धर्म अपनाया है, वह भी राष्ट्रीय हित में कार्य करें और राष्ट्र को ही अपना सर्वोपरि मानें.
बलिदानियों का श्राद्ध तर्पण (Photo- ETV Bharat) संतों ने किया शहीदों को याद:स्वामी ललितानंद गिरि महाराजने कहा कि आज हमने मां गंगा के तट पर पितृ अमावस्या के दिन इस देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले सभी वीर जवानों का तर्पण किया है. उन्हें याद किया है. उन्होंने कहा कि इस देश को आजाद कराने में कई वीर जवान शहीद हुए. इतना ही नहीं देश आजाद होने के बाद भी असंख्य वीर जवानों ने इस देश की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी. उन सभी को आज याद करते हुए हमने गंगा में उनका तर्पण इत्यादि पूरे विधि विधान से किया है.
आजादी के अमर सेनानियों का श्राद्ध (Photo- ETV Bharat) युवा पीढ़ी को यह संदेश देने का कार्य किया है कि जिस तरह से इन वीर जवानों ने अपने देश के लिए शहादत दी और आज भी इनका नाम अमर है, युवाओं को भी इनसे सीखना चाहिए और इन्हीं के पदचिन्हों पर चलना चाहिए.
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