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दक्षिण भारत में भारत गौरव पुरस्कार से नवाजे जाएंगे पर्यावरणविद् जगत सिंह 'जंगली' - BHARAT GAURAV AWARD

पर्यावरणविद् जगत सिंह चौधरी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लंबे समय से कार्यरत हैं. उन्हें इस कार्य के लिए भारत गौरव पुरस्कार दिया जाएगा.

Environmentalist Jagat Singh
भारत गौरव पुरस्कार से नवाजे जाएंगे पर्यावरणविद् जगत सिंह (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 21, 2025, 10:51 AM IST

Updated : Jan 21, 2025, 11:20 AM IST

रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): विकासखंड अगस्त्यमुनि के अंतर्गत कोट-मल्ला निवासी प्रख्यात पर्यावरणविद् जगत सिंह चौधरी को पांच फरवरी को कर्नाटक में राष्ट्रीय भारत गौरव पुरस्कार से नवाजा जाएगा. यह पुरस्कार दक्षिण भारत की सुप्रसिद्ध संस्थान राष्ट्रीय भारत विकास संगम की ओर से जगत सिंह चौधरी को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए प्रदान किया जा रहा है.

भारत गौरव पुरस्कार से नवाजे जाएंगे जगत सिंह: गौर हो कि संस्थान राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगी विभूतियों को इस पुरस्कार से नवाएगी. उत्तराखंड से पर्यावरण के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए जगत सिंह चौधरी को भारत गौरव पुरस्कार दिया जा रहा है. दक्षिण भारत के कर्नाटक में भारत विकास संगम की ओर से 26 जनवरी से 6 फरवरी तक भारतीय संस्कृति उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. कार्यक्रम में देश भर के 24 लाख लोग प्रतिभाग करेंगे. इस दौरान अपने स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही विभूतियों को पुरस्कृत किया जाएगा.

Environmentalist Jagat Singh
बंजर जमीन पर उगाए 5 लाख से ज्यादा पेड़ (Photo-ETV Bharat Graphics)

जगत सिंह जंगली ने तैयार किया मिश्रित वन: भारत विकास संगम संस्थान इस पुरस्कार के माध्यम से सामान्य लोगों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे अपने प्रयासों से असाधारण कार्य कर सकें. बता दें जगत सिंह चैधरी बीते पांच दशकों से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हैं. उन्होंने एक लाख वृक्षों का मिश्रित वन मॉडल तैयार कर वानिकी में एक नया सफल प्रयोग प्रस्तुत किया है. जगत सिंह पर्यावरण की पाठशाला अभियान के तहत देश भर के 50 हजार छात्रों को पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान साझा कर रहे हैं. जल संरक्षण के क्षेत्र में चाल-खाल तथा पारंपरिक जल संरक्षण प्रयोग के माध्यम से कार्य कर रहे हैं. जगत सिंह ने बंजर जमीन पर 5 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए हैं.

Environmentalist Jagat Singh
प्रकृति से प्यार की वजह से पड़ा 'जंगली' उपनाम (Photo-ETV Bharat Graphics)

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में करते हैं कार्य: वो स्थानीय लोगों लोगों को अपने मिश्रित वन से जोड़ कर गामीणों की आर्थिकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं. इससे पूर्व जगत सिंह चौधरी को 36 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया है. जिसमें राष्ट्रीय इंदिरा गांधी वृक्षमित्र पुरस्कार, एशिया प्राइड अवॉर्ड, आर्यभट्ट अवॉर्ड, ग्रीन एंबेसडर ऑफ इंडिया, उत्तराखंड गौरव, पर्यावरण श्री सहित अन्य पुरस्कार शामिल हैं. जगत सिह जंगली भारत के कई बड़े संस्थानों मे बतौर पर्यावरण विशेषज्ञ अपनी सेवा दे रहे हैं.

Environmentalist Jagat Singh
पर्यावरणविद जगत सिंह (Photo-ETV Bharat)

जगत सिंह ने संस्था का जताया आभार: जगत सिंह चौधरी ने भारत विकास संगम संस्थान का धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने कहा कि संस्थान इस पुरस्कार के माध्यम से देश की छिपी हुई प्रतिभाओं को देश दुनिया के सामने लाने का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा वर्तमान समय में उचित पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता है. पर्यावरण का उचित संरक्षण से आने वाली पीढ़ी का भविष्य है.

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रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): विकासखंड अगस्त्यमुनि के अंतर्गत कोट-मल्ला निवासी प्रख्यात पर्यावरणविद् जगत सिंह चौधरी को पांच फरवरी को कर्नाटक में राष्ट्रीय भारत गौरव पुरस्कार से नवाजा जाएगा. यह पुरस्कार दक्षिण भारत की सुप्रसिद्ध संस्थान राष्ट्रीय भारत विकास संगम की ओर से जगत सिंह चौधरी को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए प्रदान किया जा रहा है.

भारत गौरव पुरस्कार से नवाजे जाएंगे जगत सिंह: गौर हो कि संस्थान राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगी विभूतियों को इस पुरस्कार से नवाएगी. उत्तराखंड से पर्यावरण के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए जगत सिंह चौधरी को भारत गौरव पुरस्कार दिया जा रहा है. दक्षिण भारत के कर्नाटक में भारत विकास संगम की ओर से 26 जनवरी से 6 फरवरी तक भारतीय संस्कृति उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. कार्यक्रम में देश भर के 24 लाख लोग प्रतिभाग करेंगे. इस दौरान अपने स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही विभूतियों को पुरस्कृत किया जाएगा.

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बंजर जमीन पर उगाए 5 लाख से ज्यादा पेड़ (Photo-ETV Bharat Graphics)

जगत सिंह जंगली ने तैयार किया मिश्रित वन: भारत विकास संगम संस्थान इस पुरस्कार के माध्यम से सामान्य लोगों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे अपने प्रयासों से असाधारण कार्य कर सकें. बता दें जगत सिंह चैधरी बीते पांच दशकों से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हैं. उन्होंने एक लाख वृक्षों का मिश्रित वन मॉडल तैयार कर वानिकी में एक नया सफल प्रयोग प्रस्तुत किया है. जगत सिंह पर्यावरण की पाठशाला अभियान के तहत देश भर के 50 हजार छात्रों को पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान साझा कर रहे हैं. जल संरक्षण के क्षेत्र में चाल-खाल तथा पारंपरिक जल संरक्षण प्रयोग के माध्यम से कार्य कर रहे हैं. जगत सिंह ने बंजर जमीन पर 5 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए हैं.

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प्रकृति से प्यार की वजह से पड़ा 'जंगली' उपनाम (Photo-ETV Bharat Graphics)

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में करते हैं कार्य: वो स्थानीय लोगों लोगों को अपने मिश्रित वन से जोड़ कर गामीणों की आर्थिकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं. इससे पूर्व जगत सिंह चौधरी को 36 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया है. जिसमें राष्ट्रीय इंदिरा गांधी वृक्षमित्र पुरस्कार, एशिया प्राइड अवॉर्ड, आर्यभट्ट अवॉर्ड, ग्रीन एंबेसडर ऑफ इंडिया, उत्तराखंड गौरव, पर्यावरण श्री सहित अन्य पुरस्कार शामिल हैं. जगत सिह जंगली भारत के कई बड़े संस्थानों मे बतौर पर्यावरण विशेषज्ञ अपनी सेवा दे रहे हैं.

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पर्यावरणविद जगत सिंह (Photo-ETV Bharat)

जगत सिंह ने संस्था का जताया आभार: जगत सिंह चौधरी ने भारत विकास संगम संस्थान का धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने कहा कि संस्थान इस पुरस्कार के माध्यम से देश की छिपी हुई प्रतिभाओं को देश दुनिया के सामने लाने का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा वर्तमान समय में उचित पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता है. पर्यावरण का उचित संरक्षण से आने वाली पीढ़ी का भविष्य है.

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Last Updated : Jan 21, 2025, 11:20 AM IST
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