नई दिल्ली : भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 85 साल पहले महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक शाखा में आए थे. संघ के मीडिया केंद्र विश्व संवाद केंद्र (वीएसके) ने बृहस्पतिवार को यह दावा किया. वीएसके के विदर्भ प्रांत ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर कहा कि आंबेडकर ने अपने दौरे के दौरान कहा था कि कुछ मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद वह आरएसएस को अपनेपन की भावना से देखते हैं.
बयान के मुताबिक, आरएसएस ने अपनी अब तक की यात्रा में कई चुनौतियों का सामना किया है और संगठन पर कई आरोप लगाए गए हैं, लेकिन उसने इन सभी आरोपों को गलत साबित किया है तथा एक सामाजिक संगठन के रूप में अपनी पहचान को फिर से पुष्ट किया है. इसमें कहा गया है कि आरएसएस पर विभिन्न कारणों से तीन बार प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन हर बार यह बेदाग निकला. बयान के अनुसार, “आरएसएस पर दलित विरोधी होने के आरोप लगे और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर तथा आरएसएस के बारे में गलत सूचना फैलाई गई. लेकिन अब डॉ. आंबेडकर और आरएसएस के बारे में एक नया दस्तावेज सामने आया है, जो दोनों के बीच संबंधों को उजागर करता है.”
इसमें कहा गया है कि डॉ. आंबेडकर ने दो जनवरी, 1940 को सतारा जिले के कराड में आरएसएस की शाखा (स्थानीय इकाई) का दौरा किया, जहां उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया. बयान के मुताबिक, आंबेडकर ने अपने संबोधन में कहा, “हालांकि, कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं, लेकिन मैं संघ को अपनेपन की भावना से देखता हूं.” वीएसके ने अपने बयान में कहा कि नौ जनवरी, 1940 को पुणे के मराठी दैनिक ‘केसरी’ में डॉ. आंबेडकर के आरएसएस शाखा का दौरा करने के बारे में एक खबर प्रकाशित हुई थी. बयान में उस समाचार की एक प्रति भी संलग्न की गई है.
खबर में आरएसएस विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी की लिखी किताब ‘डॉ. आंबेडकर और सामाजिक क्रांति की यात्रा’ का संदर्भ दिया गया है, जिसमें आरएसएस और डॉ. आंबेडकर के बीच संबंधों के बारे में बताया गया है. खबर के अनुसार, किताब के आठवें अध्याय की शुरुआत में ठेंगड़ी कहते हैं कि डॉ. आंबेडकर को आरएसएस के बारे में पूरी जानकारी थी. अध्याय के मुताबिक, संघ के स्वयंसेवक नियमित रूप से आंबेडकर के संपर्क में रहते थे और उनसे चर्चा करते थे.