जयपुर :राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को राज्य के दौरे रहीं. इस दौरान वो जयपुर के मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनआईटी) के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं, जहां उन्होंने उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की. राष्ट्रपति के साथ राज्य के सीएम भजनलाल शर्मा और राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े भी समारोह में उपस्थित रहे.
जयपुर के एमएनआईटी के दीक्षांत समारोह में पहुंची देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत मंत्रोच्चार के साथ हुआ. इस दौरान डिग्री पाने वाले छात्र और स्टाफ सभी पारंपरिक परिधान में नजर आए. दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने 20 छात्रों को गोल्ड मेडल दिया, जिनमें 12 बेटियां हैं. बेटियों की इस सफलता पर उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि यदि समान अवसर मिले तो बेटियां अपेक्षाकृत अधिक उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं. इस दौरान राष्ट्रपति ने श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश और एमएनआईटी का ध्येय वाक्य योग: कर्मसु कौशलम् भी दोहराया. साथ ही 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की भूमिका पर भी जोर दिया.
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राष्ट्रपति ने कहा कि इस दीक्षांत समारोह में 20 मेडल दिए गए, उनमें से 12 छात्राओं को दिए गए. वहीं, जो डिग्रियां दी गई उनमें भी 29% बेटियां शामिल हैं. इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि सबसे अच्छे पैकेज पर जिसका प्लेसमेंट हुआ है, वो भी एक बेटी ही है. इसलिए वो बेटियों को इस सफलता पर बधाई देती हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि एमएनआईटी की फैकल्टी में एक तिहाई महिलाएं हैं. ऐसे में ये अनुपात आने वाले समय में और बेहतर होगा.
राष्ट्रपति ने कहा कि इस संस्थान में आधे विद्यार्थी राजस्थान और आधे विद्यार्थी अन्य राज्यों से आते हैं. यही संस्थान विभिन्नता में एकता की भावना को दर्शाता है. एमएनआईटी विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर शोध का काम कर रही है. औद्योगिक क्रांति के दौर में चुनौतियों के साथ नए-नए अवसर भी आ रहे हैं. इन अवसरों का लाभ उठाकर हमारे तकनीकी संस्थाओं की महत्ता बढ़ गई है. एआई और डाटा इंटेलिजेंस की स्थापना इस संस्थान की ओर से की गई, जो समय की मांग है. यही नहीं इस बार पहली बार प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों ने अपने नाम के पौधे लगाए हैं, जिनकी वो अगले 4 साल तक देखभाल भी करेंगे. ये सभी कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण हैं. व्यक्तिगत जीवन में भी ऐसे प्रयास करने चाहिए, जिससे पर्यावरण का कम से कम नुकसान हो. पर्यावरण संरक्षण के लिए नई-नई तकनीक विकसित करनी चाहिए.