अजमेर : ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 4 जनवरी को दरगाह में चादर पेश की जाएगी. यह चादर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू लेकर अजमेर आएंगे. इससे पहले अंजुमन कमेटी ने गुरुवार को दरगाह कमेटी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती का आरोप है कि दरगाह कमेटी पीएम नरेंद्र मोदी की चादर को लेकर विवाद खड़ा करना चाहती है, जबकि अंजुमन कमेटी को मीडिया के अलावा और कहीं से भी अधिकृत सूचना पीएम नरेंद्र मोदी की चादर 4 जनवरी को आने की नहीं है. चिश्ती ने कहा कि पीएम की चादर का अंजुमन कमेटी स्वागत करती है, लेकिन उर्स के बाद दरगाह कमेटी की ओर से खादिमों के पुश्तैनी हक पर किए गए प्रहार को लेकर कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
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नेहरू के समय से है चादर भेजने की परंपराः दरगाह अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि सन 1947 के बाद से जब पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने, तब से देश के पीएम की ओर से दरगाह में उर्स के मौके पर चादर भेजने का चलन शुरू हुआ था. यह प्रधानमंत्री प्रोटोकॉल में आती है और पीएम दरगाह के लिए चादर खुद भेजते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी भी 10 वर्षों से दरगाह में हर वर्ष उर्स के मौके पर चादर भेजते आए हैं, यह स्वागत योग्य है. चिश्ती ने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में राजा और रंक सब बराबर है. यहां सभी की चादर आती रही हैं. कई राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्षों और मंत्रियों की चादर आती हैं. अजमेर प्रशासन ने भी ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में उर्स से पहले चादर चढ़ाई है. चिश्ती ने आरोप लगाया कि केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय के अधीन दरगाह कमेटी आती है, जो विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रही है. दरगाह कमेटी की ओर से नई-नई चीजें की जा रही हैं, जबकि इससे पहले प्रधानमंत्री की चादर आई थी तो दरगाह के खादिम उसे चढ़ाया करते थे. दरगाह में जियारत करवाना, फूल और चादर चढ़वाना और दुआएं करना खादिमों का पुश्तैनी हक और काम है और इस हक को कोई नहीं छीन सकता.
अंजुमन कमेटी से पूछा नहींः चिश्ती ने कहा कि उर्स एक आध्यात्मिक पर्व है. दरगाह के खादिम उर्स की रस्मों और परंपराओं को सदियों से निभाते आ रहे हैं. इसके बावजूद खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी से किसी बारे में पूछा नहीं जा रहा है. दरगाह कमेटी में नाजिम का पद 3 साल से रिक्त है, यहां सहायक नाजिम है. 2 वर्षों से दरगाह कमेटी का गठन नहीं हुआ है. यह प्रशासनिक कार्य है जिसकी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसके बावजूद पोर्टल और गरीब नवाज ऐप पर लाइव दर्शन और ख्वाजा गरीब नवाज के जीवन परिचय और दरगाह में होने वाली रस्मों के बारे में दरगाह कमेटी बात कर रही है. खादिमों से ज्यादा ख्वाजा गरीब नवाज के जीवन और उनकी शिक्षाओं के बारे में और कौन जानता है?. उन्होंने आरोप लगाया कि खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी से दरगाह कमेटी ने कोई राय वेब पोर्टल और गरीब नवाज ऐप बनाने के लिए नहीं ली, केवल मंत्री के सामने नंबर बढ़ाने के लिए यह सब किया जा रहा है. चिश्ती ने कहा कि दरगाह में पीएम की चादर हमेशा से बिना किसी विवाद की चढ़ती आई है, जिसको दरगाह कमेटी ने विवादास्पद बनाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि अभी तक पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से दरगाह में पेश की जाने वाली चादर को लेकर कोई सूचना अंजुमन कमेटी को नहीं मिली है. यह सूचना केवल मीडिया के जरिए मिली है. उन्होंने कहा कि खादिम दरगाह में परेशान करने वाले लोगों में से नहीं है. यहां सब कुछ आराम से हो रहा है और होगा. उन्होंने कहा कि उर्स के बाद दरगाह कमेटी के खिलाफ कोर्ट केस करेंगे, क्योंकि खादिमों के पुश्तैनी हक के मामले में दरगाह कमेटी दखल कर रही है.
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मंत्री किरेन रिजिजू को लिखा पत्र : इसके अलावा, चिश्ती ने यह भी कहा कि दरगाह कमेटी ने जो वेब पोर्टल और गरीब नवाज ऐप बनाया है, उसके बारे में अंजुमन कमेटी से राय नहीं ली गई. उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर इस ऐप और पोर्टल को लॉन्च न करने की मांग की है. चिश्ती का कहना है कि इन सब कामों को केवल मंत्री के सामने नंबर बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.