जयपुर: राजधानी जयपुर में रविवार को ट्रांसजेंडर, लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल समुदाय (एलजीबीटीक्यू) की ओर से प्राइड वॉक निकालकर अपने हक और अधिकारों की आवाज बुलंद की गई. जयपुर में शहीद स्मारक से शुरू यह पैदल मार्च एमआई रोड, अजमेरी गेट, न्यू गेट होते हुए अल्बर्ट हॉल पहुंचा. इस मौके पर ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के लिए काम करने वाले सोशल एक्टिविस्ट भी इस प्राइड वॉक में शामिल हुए और इस समुदाय के हक और अधिकारों की आवाज बुलंद की. शहीद स्मारक पर नारियल फोड़कर इस प्राइड वॉक का आगाज हुआ. डॉ प्रीति चौधरी का कहना है कि आज की यह प्राइड वॉक एलजीबीटीक्यू समुदाय को समावेशी समाज में जोड़ने के लिए निकाली जा रही है. हर साल जयपुर में प्राइड मार्च का आयोजन किया जाता है.
देश के अन्य शहरों से भी आए लोग: उन्होंने बताया, जयपुर के साथ ही देश के अन्य हिस्सों से भी एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग इसमें शामिल हुए हैं. हम सब मिलकर एक प्रयास कर रहे हैं कि इस समुदाय को उनके अधिकार मिले. उन्होंने कहा कि इस समुदाय के मूलभूत अधिकारों को लेकर यह आयोजन किया जा रहा है. उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाए. शादी का अधिकार मिले. इस समुदाय को तृतीय वर्ग के रूप में नहीं बल्कि समाज के अभिन्न अंग के रूप में स्वीकार्यता मिले. जैसे आदमी और औरत को हम लेते हैं. उसी रूप में इस समुदाय को लें.
पहले इंसान के रूप में मिले स्वीकार्यता: पूजा का कहना है कि हमारी आवाज को कोई सुनना नहीं चाहता है. हमें क्या चाहिए और क्या नहीं चाहिए, यह बाद की बात है. पहले यह दुनिया इस बात को स्वीकार करे कि हम भी इंसान हैं. पहले हमें इंसान के रूप में स्वीकार्यता मिले, बाकि हम अपने आप कर पाएंगे. जब से हम लोग इस दुनिया में आए हैं. काफी कुछ झेलना पड़ा है. अभी तक भी बोलना पड़ रहा है. हम कितना बोलेंगे, अब हम बोलना नहीं चाहते हैं. हमें यह मूलभूत अधिकार चाहिए कि हम भी इंसान हैं.
हम भी उसी मिट्टी से बने, जिससे बाकि लोग: साइकोलॉजिस्ट दीपक कश्यप का कहना है कि हम सीधी और सिंपल एक बात करते हैं कि हर तरह के घड़े हैं. लेकिन सबकी माटी सबकी एक है. हम भी उसी मिट्टी से बने हैं. जिस मिट्टी से बाकि लोग बने हैं. हालांकि, बाकि लोगों से थोड़े से अलग हैं. लेकिन किसी से ऊपर या नीचे नहीं हैं. इसलिए बाकि लोग हमें उसी दिल से अपनाए. वो इज्जत मिले, जो हम हमेशा से चाहते हैं. हम बाहर वालों से बहुत सताए जा चुके हैं. लेकिन परिवार वाले तो हमें अपना ही सकते हैं.
समलैंगिक विवाह को मिले मान्यता: मुंबई से आए इंदर ने बताया कि वह हर बार प्राइड वॉक में समर्थन के लिए जयपुर आते हैं. हमारा मुद्दा एक ही है. उन्होंने बताया कि वह अपने पार्टनर के साथ 12 साल से हैं. लेकिन कानून हमें साथ में रहने की इजाजत नहीं देता है. इसलिए हमारा एक मुद्दा समलैंगिक विवाह भी है. बाकि लोगों के जो अधिकार हैं. वो ही अधिकार हमें भी मिले. रविंद्र चौहान बोले, प्राइड वॉक का उद्देश्य यह है कि हम लोग एक हैं. हम यह उम्मीद करते हैं कि लोग हमें पहचाने. लोग हमारी भावनाएं भी समझे. हमें भी समानता के अधिकार मिले. उन्होंने भी समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग की है.
समानता का संदेश ही मकसद: कुलदीप शर्मा का कहना है कि वे लीगल एडवाइजर के रूप में इस जयपुर प्राइड वॉक को सपोर्ट कर रहे हैं. इस प्राइड वॉक का मकसद यह है कि समानता का बर्ताव हो. कितनी भी विविधता हो. लेकिन सब इस देश के नागरिक हैं. कैसे हम सब एक होकर और एकसाथ आकर समानता का संदेश दें.