अजमेर: विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स पर हाजरी लगाने के लिए आए अकीदतमंदों के लिए शुक्रवार का दिन विशेष रहा. उनकी ख्वाजा गरीब नवाज की नगरी में जुम्मे की नमाज अदा करने की ख्वाइश पूरी हुई. लाखों जायरीनों ने नमाज के दौरान खुदा के आगे अपना सिर झुकाया.नमाज के बाद देश में अमन चैन, भाईचारा और खुशहाली की कामना की.
दरगाह परिसर स्थित शाहजहानी मस्जिद में शुक्रवार को डेढ़ बजे शहर काजी तौफीक अहमद ने जुम्मे की नमाज अदा करवाई. शाहजहानी मस्जिद से लेकर दरगाह परिसर में सुबह 11 बजे से ही बड़ी संख्या में जायरीन नमाज के लिए अपनी जगह बनाने के लिए एकत्रित हो गए. जुम्मे की नमाज को लेकर जायरीन में उत्साह इस कदर था कि कतारों में जगह पाने के लिए हौड़ मची रही. नमाजियों की कतारें दरगाह परिसर से बाहर निकलकर धानमंडी और यहां से दिल्ली गेट के बाहर तक पहुंच गई. यहां एक लाख से अधिक जायरीन ने नमाज अदा की. विश्रामस्थली में भी हजारों अकीदतमंदों ने नमाज अदा की.
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गंगा जमुनी तहजीब से अभिभूत हुए अकीदतमंद: उर्स के मौके पर आए अकीदतमंद यहां की गंगा जमुनी तहजीब देखकर अभिभूत रह गए. नमाज से पहले जब नमाजियों की कतारें लग रही थी. तब हिंदू दुकानदार नमाजियों को नमाज में बैठने के लिए अखबार और प्लास्टिक शीट दे रहे थे. कई दुकानदारों और होटलवालों ने नमाज के लिए अपने प्रतिष्ठानों में भी जगह दी. नमाज के बाद नमाजियों के लिए पानी की व्यवस्था की. इस भाईचारे और प्रेम को देख देश के कोने-कोने से आए जायरीन भी खुश नजर आए. नमाज के बाद अकीदतमंदों ने बातचीत में अपने दिली जज्बात बताए.
क्या बोले श्रद्धालु: उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर से आए अब्दुल बताते हैं कि यह उनकी खुशकिस्मती है कि उर्स के मौके पर उन्हें जुम्मे की नमाज यहां अदा करने का मौका मिला. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से वह ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में हाजिरी लगाने के लिए आते रहे हैं. यहां अजमेर में हिंदू मुस्लिम कौमी एकता को देखकर काफी खुशी होती है और नमाज के बाद भी उन्होंने देश में अमन चैन भाईचारा और मोहब्बत कायम रहने के लिए दुआएं की है. महाराष्ट्र में शिरडी से आए अल्तमस अलाउद्दीन शेख ने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में आना इतना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि इरादे रोज बनते हैं और टूट जाते हैं अजमेर वही आते हैं जिन्हे ख्वाजा बुलाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अजमेर में सभी धर्म के बीच गजब की मोहब्बत है. मुंबई से आए मोहम्मद आसिफ इदरीश खान ने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज के दर से पीढ़ियों से नाता रहा है. मैं 20 साल से ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में आ रहा हूं और अब अपने बच्चों को भी यहां लेकर आ रहा हूं. अजमेर में सभी धर्म के बीच आपसी मोहब्बत देखकर मन खुश हो जाता है. यहां लोगों ने नमाज के दौरान भी नमाजियों को बहुत सहयोग किया. नमाजियों को बैठने के लिए और नीचे बिछाने के लिए अखबार और प्लास्टिक शीट दी. 'मैंने देखा है कि यहां मुसलमान से ज्यादा हिंदू गरीब नवाज में आस्था रखते हैं. यह मोहब्बत सभी के लिए नजीर है'. पश्चिम बंगाल के हावड़ा से आए जयंती मांझी बताते हैं कि ख्वाजा गरीब नवाज के बारे में काफी कुछ सुना था. परिवार के साथ पुष्कर गए थे. वहां सरोवर में स्नान करके पूजा अर्चना की उसके बाद जगत पिता ब्रह्मा के दर्शन किए और अब परिवार के साथ ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में हाजिरी देने के लिए जा रहे हैं. पहली बार दरगाह में आने का मौका मिला है, मन में खुशी है.