जयपुर : छोटी काशी जयपुर में आस्था का एक और केंद्र स्थापित किया जा रहा है. जगतपुरा में हरे कृष्णा मार्ग पर 300 करोड़ की लागत से 6 एकड़ जमीन पर बन रहे गुप्त वृंदावन धाम का 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है. जयपुर जब अपनी स्थापना का 300वीं वर्षगांठ मनाएगा, उसी वर्ष यहां करीब 170 फीट ऊंचा भव्य मंदिर भी मूर्त रूप लेगा. दावा किया जा रहा है कि ये राजस्थान का सबसे बड़ा मंदिर होगा. खास बात ये है कि ये सिर्फ एक मंदिर नहीं आध्यात्म को समझाने वाला सांस्कृतिक परिसर होगा.
वृंदावन की तर्ज पर जयपुर में भव्य मंदिर : गोविंदा की नगरी में ठाकुर जी का एक और भव्य मंदिर तैयार हो रहा है, जो गुप्त वृंदावन धाम के नाम से जाना जाएगा. यहां भगवान श्रीकृष्ण-बलराम, राधा-श्यामसुंदर और गौरी-निताई की भव्य मूर्तियां स्थापित की जाएंगी. ये मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्म का प्रमुख केंद्र होगा. इस संबंध में गुप्त वृंदावन धाम के उपाध्यक्ष अनंत शेष दास ने बताया कि गुप्त वृंदावन धाम में हरे कृष्णा कल्चरल और हेरिटेज सेंटर डेवलप कर रहे हैं. हरे कृष्ण मूवमेंट के संस्थापक आचार्य प्रभुपाद की इच्छा थी कि वृंदावन की तर्ज पर जयपुर में भी भव्य मंदिर बने, जिसे अब धरातल पर उतारा जा रहा है.
मंदिर में 6 भव्य द्वार बनाए जा रहे : उन्होंने बताया कि करीब 170 फीट (17 मंजिल के बराबर) ऊंचे इस विशाल मंदिर में एक बड़ा धार्मिक स्थल बनाया जा रहा है, जहां हजारों श्रद्धालु एक साथ बैठकर पूजा-अर्चना और भक्ति का आनंद ले सकेंगे. इसके अलावा, मंदिर में सांस्कृतिक और शैक्षणिक केंद्र भी होगा. यहां भक्तों को कृष्ण लीला एक्सपो, गीता प्रदर्शनी, हरिनाम मंडप और प्रमात्मा हॉल जैसी जगहों का अनुभव मिलेगा. मंदिर में 6 भव्य द्वार बनाए जा रहे हैं. इनमें से मयूर द्वार मुख्य आकर्षण होगा, जिस पर 108 मोर सजाए जाएंगे. द्वारिका के मंदिरों की तरह ये द्वार अद्भुत होगा. इसके अलावा, मंदिर में हंस द्वार, सिंह द्वार, व्याघ्र द्वार, हस्ति द्वार और अश्व द्वार होंगे.
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वृंदावन के चंद्रोदय मंदिर के आर्किटेक्ट ने किया डिजाइन : उन्होंने बताया कि मंदिर का आर्किटेक्चर राजस्थानी शैली और आधुनिक डिजाइनों का खूबसूरत मिश्रण होगा. इसके शिखर पर राजस्थानी शैली की कमान छतरी बनेगी और दीवारों पर आधुनिक फसाड़ कांच लगाए जाएंगे. इस भव्य मंदिर को वृंदावन के चंद्रोदय मंदिर के आर्किटेक्ट मधु पंडित दास ने डिजाइन किया है. वैदिक समय में जो मंदिर होते थे, वो सिर्फ दर्शन के केंद्र नहीं होते थे, बल्कि शिक्षा-संस्कृति के केंद्र होते थे. इसी को ध्यान में रखते हुए हरे कृष्ण मूवमेंट की ओर से गुप्त वृंदावन धाम में भव्य सांस्कृतिक केंद्र बनाया जा रहा है. यहां बड़े ऑडिटोरियम होंगे, जहां हजार लोग एक साथ सांस्कृतिक कला का प्रदर्शन कर सकेंगे और सीख भी सकेंगे. कई क्लासरूम और सेमिनार हॉल होंगे. जहां सभी को श्रीमद्भगवद्गीता, पुराण, उपनिषद, वेदों और ग्रंथों के आध्यात्मिक ज्ञान को समझाया जाएगा और ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
बहरहाल, गुप्त वृंदावन धाम 2027 में मूर्त रूप ले लेगा. जयपुर की स्थापना की 300वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर इस मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए शुरू कर दिया जाएगा. राजस्थान के लिए ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र साबित होगा, बल्कि एक प्रमुख सांस्कृतिक और पर्यटन स्थल के रूप में भी अपनी जगह बनाएगा.