बेतिया : प्रकृति की गोद में बसा सोफा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. सोफा मंदिर का इतिहास आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि इस मंदिर में एक ऐसी गुफा है, जिसका रास्ता सीधा पाताल लोक जाता है. यह मंदिर पंडई नदी के तट पर स्थित है. बताया जाता है कि मंदिर व उसके चबूतरे तक का निर्माण भगवान विश्वकर्मा के द्वारा किया गया था.
मंदिर का रहस्यमयी इतिहास: इस मंदिर के रहस्यमई इतिहास के कारण लोगों में बहुत गहरी आस्था हैं. वहां के लोग बताते हैं कि खुद देवलोक से भगवान विश्वकर्मा आए थे और मंदिर का निर्माण कर रहे थे. चबूतरा भगवान के द्वारा बनाया गया था और जैसे ही सुबह हुई इसी रास्ते से भगवान विश्वकर्मा और उनके गण पाताल लोक में चले गए.
'भगवान विश्वकर्मा ने बनाया है मंदिर' : इस मंदिर की प्राचीनता को लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण 6ठी शताब्दी में हुआ. मंदिर के नीचे का हिस्सा मुगलकाल के पहले का बना हुआ है. यहां मान्यता है कि खुद भगवान विश्वकर्मा ने अपने हाथों से इस मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर की बनावट रहस्यमयी है. मंदिर की मूर्तियों के पास एक चबूतरा है जिसके नीचे बनी सीढ़ी पाताल लोक जाती है. हालांकि आज तक इस रहस्य से पर्दा उठाने का काम किसी ने नहीं किया.
मिल गया पाताल लोक जाने का रास्ता!: पश्चिमी चंपारण जिले के गौनाहा प्रखंड के दोमाठ गांव में सोफा मंदिर स्थित है. यह मंदिर भारत नेपाल के सीमा के पास पड़ता है. शिवालिक की गोद व पंडई नदी के तट पर स्थित सोफा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. स्थानीय लोगों की माने तो मंदिर व उसके चबूतरे तक का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा किया गया है. इसे सेतुकुंवरगढ़ का गढ़ भी कहा जाता है. मंदिर के परिक्षेत्र की मिट्टी एकदम लाल है.
"मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये बहुत पुराना मंदिर है. इसको भगवान विश्वकर्मा और उनके लोगों द्वारा बनाया गया था. एक ही रात में जितना मंदिर तैयार हुआ, सुबह होते ही मंदिर के नीचे रखी मूर्तियों से एक रास्ता पाताल लोक जाता है. उसी रास्ते ये सभी पाताल लोक को चले गए."- स्थानीय निवासी