पटना:बिहार में डबल इंजन की सरकार है और बिहार को केंद्र से काफी उम्मीदें हैं. केंद्र की ओर से आम बजट में बिहार की चिंता की गई और बिहार को ग्रोइंग स्टेट माना गया. पूर्वी भारत के विकास में बिहार की भूमिका और महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार ने स्पेशल पैकेज की घोषणा भी की. इन सब के बीच दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की महत्वपूर्ण बैठक पर भी बिहारवासियों के निगाहें टिकी हैं.
बैठक में तीन क्षेत्रीय दलों के नेता ले रहे हिस्सा: पहली बार इस बैठक में बिहार से तीन केंद्रीय मंत्री विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में हिस्सा ले रहे हैं. इसके अलावा वित्त मंत्री सम्राट चौधरी भी बैठक में हिस्सा लेंगे. केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता ललन सिंह के अलावा केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बैठक में बिहार के विकास को लेकर अपनी राय रखने वाले हैं.
डबल डिजिट में है बिहार का ग्रोथ रेट:आपको बता दें कि पिछले डेढ़ दशक से बिहार का विकास डबल डिजिट रहा है. 2010-11 में 15.03%, 2011-12 में 10.29%, 2018-19 में 10.86%, 2019-20 में 10.5% और 2021-22 में 10.98% इसका उदाहरण है. साल 2022-23 की बात कर ले तो बिहार का विकास दर 10.64 प्रतिशत रहा.
एक तिहाई से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे: देश में राष्ट्रीय वृद्धि दर डबल डिजिट में नहीं रहा है. बिहार अपने संसाधनों के बूते गरीबी कम की है. बावजूद इसके बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या 33.5% है. बिहार उन राज्यों में शामिल है, जहां सबसे अधिक लोग गरीबी रेखा की सीमा से बाहर निकले हैं. बावजूद इसके बिहार की एक तिहाई से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. यह सरकार के लिए चिंता का सबब है.
गरीबी कम होने वाले राज्यों में टॉप पर बिहार:आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया है. उसके मुताबिक वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 की अवधि में पूरे भारत में ऐसे तो 13.51 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं, लेकिन पूरे देश में बिहार में अकेले 2.25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. जो 16.6 5% के करीब है. इसके बाद भी बिहार में गरीबी 33.7% है जो पूरे देश में सबसे अधिक है. जिन प्रमुख राज्यों में गरीबी कम हुई है उसमें बिहार टॉप पर है.
ड्रॉप आउट सरकार के लिए चिंता का सबब: उच्च शिक्षा की बात कर लें तो यहां भी हालत चिंताजनक है. मात्र 17.01% छात्र ही उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं, बाकी के 83% बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं मिल पा रही है. ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो के मामले में 36 राज्यों की सूची में इस मामले में बिहार 33 वें स्थान पर है. इस श्रेणी में 18 वर्ष से 23 वर्ष के बीच के छात्र आते हैं.
भुखमरी के मामले में बिहार की स्थिति चिंताजनक: बिहार में स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में कुछ काम हुए हैं. 16 इंडेक्स के आधार पर राज्यों के परफॉर्मेंस को आंका गया था जिसमें बिहार को बेहतर स्वास्थ्य के गोल में 66 अंक मिले थे. इसी तरह स्वच्छता और पेयजल के गोल में बिहार को 100 में 91 अंक मिले हैं. भुखमरी के मामले में 31 अंक के साथ बिहार राज्यों की श्रेणी में नीचे से दूसरे स्थान पर है इस मामले में झारखंड सबसे नीचे है.
'बिहार के विकास के लिए रोड मैप की दरकार':अर्थशास्त्री डॉक्टर अमित बक्शी का मानना है कि ग्रोइंग स्टेट होने के बावजूद बिहार जैसे राज्य के समक्ष कई चुनौतियां हैं. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है. जनसंख्या के अनुपात में राज्य के अंदर अस्पताल कम है. न्यूट्रिशन भी सरकार के लिए चिंता का सबब है. इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में क्वालिटी एजूकेशन और ड्रॉप आउट अनुपात को ठीक करने की जरूरत है, इसके लिए नीति आयोग पहल कर सकती है.
रोजगार के लिए 50% से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर:कृषि के क्षेत्र में आज भी 50% से अधिक लोग रोजगार के लिए निर्भर हैं. रोजगार के लिए कृषि पर निर्भरता कम करने की जरूरत है. उत्पादकता के मामले में भी बिहार कम है. सिंचाई व्यवस्था को ठीक करने के लिए नदियों को जोड़ना जरूरी है. इसके अलावा व्यावसायिक फसल की ओर किसानों को रुख करना होगा.