नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आयुष मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी, जिसमें ड्रग्स और कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के नियम 170 को हटा दिया गया था. यह नियम आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं के संबंध में भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाता है. कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के विपरीत है.
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और कहा कि यह उसके 7 मई 2024 के आदेश के विपरीत है. इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अगस्त 2023 में लिखे अपने पत्र का बचाव किया था, जिसमें अधिकारियों से कहा गया था कि वे ड्रग्स और कॉस्मेटिक रूल्स के नियम 170 का उल्लंघन करने वाली किसी भी यूनिट के खिलाफ कार्रवाई शुरू न करें.
हलफनामा दायर करेंगे- अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल
पीठ ने कहा, “मंत्रालय को ही बेहतर ज्ञात कारणों से 29 अगस्त 2023 के पत्र को वापस लेने के बजाय ड्रग्स और कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के नियम 170 को हटाने के लिए 1 जुलाई की अधिसूचना जारी की गई है, जो इस अदालत द्वारा जारी निर्देशों के विपरीत है…” केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि वह स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक हलफनामा दायर करेंगे.
भ्रामक विज्ञापनों के मुद्दे पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को निर्देश दिया था कि किसी विज्ञापन को जारी करने की अनुमति देने से पहले, केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम,1994 की तर्ज पर विज्ञापनदाताओं से स्व-घोषणा प्राप्त की जाए.