नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने लगभग पांच सालों में पहली बार रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करने और मौद्रिक रुख को न्यूटरल रखने का फैसला किया. RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नीतिगत निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति लक्ष्य के अनुरूप है. RBI ने लगभग पांच वर्षों में पहली बार बेंचमार्क दरों में कटौती की. इसने पिछली बार मई 2020 में रेपो दर को 40 आधार अंकों से घटाकर 4 फीसदी कर दिया था.
RBI के गवर्नर की प्रमुख बातें
- रेपो रेट में कटौती- बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता के बीच, केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने बेंचमार्क नीति दरों में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6.50 फीसदी से 6.25 फीसदी करने का फैसला किया.
- भारत की विकास दर- केंद्रीय बैंक को अगले वित्त वर्ष (FY26) के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की बढ़ोतरी 6.7 फीसदी रहने की उम्मीद है, इसने वैश्विक कारकों के कारण चिंताओं को उजागर किया. आरबीआई ने 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जिसमें पहली तिमाही 6.7 फीसदी (पहले 6.9 फीसदी के अनुमान के मुकाबले), दूसरी तिमाही 7 फीसदी (पहले 7.3 फीसदी के अनुमान के मुकाबले) और तीसरी और चौथी तिमाही 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है.
- महंगाई में कमी- आरबीआई को उम्मीद है कि महंगाई धीरे-धीरे घटकर 4 फीसदी के लक्ष्य के करीब आ जाएगी. 2024-25 के लिए सीपीआई महंगाई 4.8 फीसदी और चौथी तिमाही 4.4 फीसदी रहने का अनुमान है. अगले साल सामान्य मानसून को देखते हुए आरबीआई को उम्मीद है कि 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.2 फीसदी रहेगी, जिसमें पहली तिमाही 4.5 फीसदी, दूसरी तिमाही 4 फीसदी, तीसरी तिमाही 3.8 फीसदी और चौथी तिमाही 4.2 फीसदी रहेगी.