कोलकाता: ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने से बहुत पहले ही उन्हें अक्सर असंतुष्ट के रूप में संदर्भित किया जाता था, जिसका क्रेडिट 2007 में उनके द्वारा चलाए गए सिंगूर आंदोलन को जाता है. 17 साल पहले पहले रतन टाटा के खिलाफ किए आंदोलन ने ममता बनर्जी की राजनीति के ब्रांड के भविष्य को आकार दिया.
बता दें कि 2006 में औद्योगीकरण और नौकरियों के दम पर वाम मोर्चा बंगाल में सत्ता में वापस आया था. उस समय मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने घोषणा की थी कि टाटा को नैनो के निर्माण के लिए एक प्लांट स्थापित करने के लिए लगभग 1,000 एकड़ जमीन दी जाएगी.
हालांकि, भूमि पर नियंत्रण करने के सरकार के प्रयासों में बाधाएं आईं. स्थानीय लोगों के एक समूह और SUCI(C) और CPI(ML) जैसी छोटी पार्टियों ने उपजाऊ फसल भूमि पर कब्जा करने की कोशिश का विरोध किया, लेकिन, अधिग्रहण पूरा हो गया और नैनो प्लांट के निर्माण पर काम शुरू हो गया.
2007 में वाम सरकाम के खिलाफ आंदोलन
2007 में ममता बनर्जी ने वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया. इस दौरान सिंगूर कोर इंडस्ट्री एरिया में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की पुलिस और प्रशासन से झड़प हुई. ममता ने तब 26 दिनों की भूख हड़ताल शुरू की, जिसे प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ताओं का समर्थन मिला.
नई दिल्ली ऑटो एक्सपो में नैनो के लॉन्च की घोषणा
इसके बाद जनवरी 2008 में टाटा मोटर्स ने नई दिल्ली ऑटो एक्सपो में नैनो के लॉन्च की घोषणा की. इसके तुरंत बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने कंपनी को भूमि आवंटन को बरकरार रखा. इस बीच, जैसे-जैसे ममता का आंदोलन जोर पकड़ता गया, तत्कालीन राज्य के राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी द्वारा उनके और सरकार के बीच शांति स्थापित करने के प्रयास भी विफल हो गए.
अहमदाबाद जिले के साणंद में लगा प्लांट
स्थिति तनावपूर्ण होने के कारण, टाटा मोटर्स ने नैनो का उत्पादन पश्चिम बंगाल से बाहर करने का फैसला किया और 3 अक्टूबर, 2008 को इसकी घोषणा की. इस बीच गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर कंपनी ने अहमदाबाद जिले के साणंद में प्लांट स्थापित किया.
रतन टाटा को श्रद्धांजलि
बता दें दिग्गज कारोबारी रतन टाटा का 86 साल की उमर में निधन हो गया है. उनके निधन पर ममता बनर्जी ने एक्स पर लिखा, "टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा के निधन से दुखी हूं. टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन भारतीय उद्योगों के अग्रणी नेता और जनहितैषी परोपकारी व्यक्ति थे. उनका निधन भारतीय व्यापार जगत और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति होगी. उनके सभी परिवार के सदस्यों और सहकर्मियों के प्रति मेरी संवेदनाएं."
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