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दिल्ली हाईकोर्ट: आम आदमी पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार - HIGH COURT REFUSES TO HEAR PETITION

दिल्ली हाई कोर्ट ने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड को प्रकाशित करने के मामले में आप की मान्यता रद्द करने की मांग की याचिका की खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट का आम आदमी पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट का आम आदमी पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 27, 2025, 6:19 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड को प्रकाशित करने से सुप्रीम कोर्ट की कथित अनदेखी का आरोप लगाकर आम आदमी पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया है तो आपको सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया तो सुप्रीम कोर्ट जाएं : सुनवाई के दौरान जस्टिस तुषार राव गडेला ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने एक बार आदेश पारित कर दिया तो आपको वहीं अवमानना याचिका दायर करनी चाहिए. ये याचिका संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर नहीं की जा सकती है. याचिका अश्विन मुदगल ने दायर किया था। याचिका में कहा गया था कि आम आदमी पार्टी और उसके उम्मीदवारों ने चुनावी हलफनामा में अपने आपराधिक इतिहास का कहीं जिक्र नहीं किया है खासकर दिल्ली आबकारी घोटाला मामले का जिक्र नहीं किया गया है.

13 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने दागी लोगों को टिकट देने से किया था मना : बता दें कि 13 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दल केवल जीतने की काबिलियत के आधार पर दागी लोगों को टिकट न दें. अगर वे दागी लोगों को टिकट देते हैं तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर इसकी वजह बतानी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने दागी लोगों को टिकट चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा था कि राजनीतिक दल दागी लोगों की उम्मीदवारी तय करते ही अपनी वेबसाइट पर 48 घंटे के भीतर उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि की सूचना अपलोड करेंगे.

वेबसाइट पर दागी उम्मीदवारों के अपराध की प्रकृति और उन पर लगे आरोपों की जानकारी देनी होगी. उन्हें अपनी वेबसाइट पर ये भी बताना होगा कि वे दागी उम्मीदवारों को टिकट क्यों दे रहे हैं. उम्मीदवारों की जानकारी देते समय ये नहीं बताना चाहिए कि वे चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के अनुपालन की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.

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सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया तो सुप्रीम कोर्ट जाएं : सुनवाई के दौरान जस्टिस तुषार राव गडेला ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने एक बार आदेश पारित कर दिया तो आपको वहीं अवमानना याचिका दायर करनी चाहिए. ये याचिका संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर नहीं की जा सकती है. याचिका अश्विन मुदगल ने दायर किया था। याचिका में कहा गया था कि आम आदमी पार्टी और उसके उम्मीदवारों ने चुनावी हलफनामा में अपने आपराधिक इतिहास का कहीं जिक्र नहीं किया है खासकर दिल्ली आबकारी घोटाला मामले का जिक्र नहीं किया गया है.

13 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने दागी लोगों को टिकट देने से किया था मना : बता दें कि 13 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दल केवल जीतने की काबिलियत के आधार पर दागी लोगों को टिकट न दें. अगर वे दागी लोगों को टिकट देते हैं तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर इसकी वजह बतानी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने दागी लोगों को टिकट चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा था कि राजनीतिक दल दागी लोगों की उम्मीदवारी तय करते ही अपनी वेबसाइट पर 48 घंटे के भीतर उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि की सूचना अपलोड करेंगे.

वेबसाइट पर दागी उम्मीदवारों के अपराध की प्रकृति और उन पर लगे आरोपों की जानकारी देनी होगी. उन्हें अपनी वेबसाइट पर ये भी बताना होगा कि वे दागी उम्मीदवारों को टिकट क्यों दे रहे हैं. उम्मीदवारों की जानकारी देते समय ये नहीं बताना चाहिए कि वे चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के अनुपालन की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.

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