समस्तीपुर:लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा हो चुकी है. सभी दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं. आज बात पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के जन्म व कर्मभूमि समस्तीपुर की करेंगे, जहां चौथे चरण में 13 मई को चुनाव होना है. बिहार के सियासत में समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट कई मायनों में खास रहा है. वैसे वर्तमान में इस सीट पर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रिंस राज काबिज है.
समस्तीपुर सीट का इतिहास:समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट पहले सामान्य सीटों में शामिल थी, लेकिन वर्ष 2009 के परिसीमन के बाद इस सीट को सुरक्षित कोटा में डाल दिया गया. वर्तमान में इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा की सीटे हैं , जिसमें समस्तीपुर के चार समस्तीपुर , कल्याणपुर , वारिसनगर और रोसरा विधानसभा की सीट हैं. वहीं इसमें दरभंगा जिले के दो विधानसभा कुशेश्वर स्थान और हायाघाट शामिल हैं.
इस बार NDA Vs महागठबंधन: समस्तीपुर सुरक्षित सीट की जंग में 2019 में एनडीए समर्थित लोजपा उम्मीदवार रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस उम्मीदवार अशोक कुमार को शिकस्त दी थी. वैसे उनके निधन के बाद हुए इस सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान भी रामचंद्र पासवान के पुत्र व लोजपा उम्मीदवार प्रिंस राज ने एक बार फिर महागठबंधन के उम्मीदवार व कांग्रेस नेता अशोक कुमार को भारी मतों के अंतर से हराया. वहीं 2014 के जंग में भी इस सीट पर एनडीए गठबंधन की जीत हुई थी. लोजपा उम्मीदवार रामचंद्र पासवान ने महागठबंधन के उम्मीदवार व कांग्रेस नेता अशोक कुमार को हराया था.
टूट का होगा साइड इफेक्ट?: वैसे इस बार बदले सियासी समीकरण में इस सीट की जंग काफी खास होगी. दरअसल एक बार फिर इस सीट पर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी अपनी दावेदारी कर रही है. वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के तरफ से कांग्रेस के पाले में यह सीट जाने की संभावना है. वैसे इस सियासी जंग के बीच लोक जनशक्ति पार्टी के अंदर हुई टूट का साइड इफेक्ट भी एनडीए की टेंशन को बढ़ा सकता है.
कौन हो सकते हैं चेहरे?: वैसे अगर वर्तमान लोकसभा चुनाव की बात करें तो एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी इस सीट की मजबूत दावेदार है. वहीं यह तय माना जा रहा है कि एक बार फिर प्रिंस राज इस सीट को लेकर ताल ठोकेंगे. वहीं दूसरी तरफ अगर महागठबंधन की बात करें तो , यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के पाले में जाने की संभावना है. वैसे लोकसभा चुनाव के कई जंग में फेल कांग्रेस नेता अशोक कुमार को इस बार पार्टी दरकिनार कर दूसरे चेहरे पर दांव लगा सकती है.
पूर्व डीजीपी वीके रवि भी ठोक सकते हैं ताल:वहीं पार्टी के अंदर कई नामों में इस बार तमिलनाडु के पूर्व डीजीपी वीके रवि के नाम की भी चर्चा है. वैसे वे कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं. वहीं अंदरखाने यह भी सुगबुगाहट है कि बीते कई चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन देखते हुए राजद की भी इस सीट पर नजर है. यही नहीं राजद इसको लेकर अंदरखाने फील्डिंग में भी जुटी है.
पूर्व मंत्री श्याम रजक के नाम की भी चर्चा: वहीं चर्चा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री श्याम रजक इस सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं. वैसे एनडीए गठबंधन में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान भी इस सीट की दावेदारी कर सकते हैं. दरअसल यह लोजपा का परंपरागत सीट माना जाता था.
समस्तीपुर सीट पर जातिगत समीकरण:वैसे अगर इस सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो , वोटो के लिहाज से कुशवाहा और यादव निर्णायक होते हैं. वहीं अनुसूचित जाति व अगड़ी जाति की कम में संख्या नहीं है. इसके अलावा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कम नहीं है जिससे उनका मत हासिल करने के लिए भी सभी पाटियां पूरी जोर लगाती है.
समस्तीपुर सीट का सियासी मुद्दा:वैसे इस सीट पर मुद्दे कई रहे हैं, लेकिन बंद उद्योग मिल एक बड़ा सियासी मुद्दा बनता रहा है. दरअसल जिले में उद्योग के नाम पर हसनपुर में चीनी मिल व कल्याणपुर में एक जूट मिल बचा है. वैसे अगर इतिहास की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र में कई उद्योग एक-एक कर बंद हो गए. वहीं इस लोकसभा क्षेत्र में जाम की समस्या एक बड़ा मुद्दा रहा है दरअसल जिला मुख्यालय के भोला टॉकीज समेत कई रेल क्रॉसिंग पर आरओबी की मांग वर्षों पुरानी है. वैसे हर चुनाव यह सियासी मुद्दा जरूर रहा , लेकिन चुनाव के बाद इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.