पटना: पटना के ज्ञान भवन में दुर्लभ डाक टिकटों की अनोखी दुनिया से रू-ब-रू होने का सुनहरा अवसर है. पटना के ज्ञान भवन में डाक विभाग की ओर ऐसे टिकटों की प्रदर्शनी लगाई गई है. यहां आकर लोग अपनी जानकारी में इजाफा कर सकते हैं. इस प्रदर्शनी में 100 से अधिक फिलाटेलिस्ट अपने दुर्लभ डाक टिकटों के संग्रह को लेकर पहुंचे हुए हैं. इससे पूर्व प्रदर्शनी का उद्घाटन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया.
दुर्लभ कॉपर डाक टिकट की प्रदर्शनी: बिहार के वरिष्ठ फिलाटेलिस्ट प्रदीप जैन ने बताया कि इस प्रदर्शनी में सबसे आकर्षक प्रदर्शनी है. कॉपर डाक टिकट की. 1974 को तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने पटना से जारी किया था और यह डाक टिकट दुनिया का सबसे पहला डाक टिकट बना था. इस प्रदर्शनी में 156 विषयों पर डाक टिकटों का संग्रह प्रदर्शित किया गया है जिनमें डाक टिकटों की संख्या 12000 से अधिक है.
दुर्लभ डाक टिकट की कीमत 5 करोड़: बिहार के वरिष्ठ फिलाटेलिस्ट प्रदीप जैन ने कॉपर डाक टिकट को समझाते हुए बताया कि यह दुर्लभ है और आज इसकी कीमत 5 करोड़ से अधिक है. ढाई सौ वर्ष पहले इसे जारी किया गया था. एक आना और दो आना का दो कॉपर डाक टिकट जारी हुआ था.
पाटलिपुत्र का नाम अजीमाबाद हुआ करता था: उन्होंने बताया कि एक आने की डाक टिकट पोस्ट को 160 किलोमीटर तक भेजने के लिए थी जबकि दो आने की डाक टिकट पोस्ट को 240 किलोमीटर तक भेजने के लिए थी. इस डाक टिकट पर आगे पटना पोस्ट एक आना अथवा पटना पोस्ट दो आना लिखा हुआ रहता था, और पीछे लिखा हुआ रहता था अजीमाबाद. उसे दौर में पाटलिपुत्र का नाम अजीमाबाद हुआ करता था.
पहले कागज के डाक टिकट की प्रदर्शनी: प्रदीप जैन ने बताया कि इसके बाद पहला कागज का डाक टिकट पेन्नी ब्लैक 1 में 1840 को ब्रिटेन से जारी हुआ. इसके ठीक 14 वर्ष बाद 1854 में भारत में कागज का पहला डाक टिकट जारी हुआ जिसकी प्रदर्शनी लगी हुई है.
राजा राम मोहन राय पटना में संस्कृत पढ़ने आए थे: उन्होंने बताया कि राजा राममोहन राय पटना में संस्कृत पढ़ने आए थे. उनके समाज सुधार के प्रयासों को देखते हुए दिल्ली दरबार ने ब्रिटेन बुलाया था. उसे दौरा न ब्रिटेन से पटना में राजा राममोहन राय ने पत्र लिखा था और उसे पत्र की भी प्रदर्शनी लगी हुई है. यह पत्र पहली बार कहीं प्रदर्शनी में लगी है.
महात्मा गांधी पर दुनिया में सबसे अधिक डाक टिकट: प्रदीप जैन ने बताया कि महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन पर दुनिया भर में सबसे अधिक डाक टिकट जारी हुए हैं. दुनिया के 100 से अधिक देशों ने महात्मा गांधी पर डाक टिकट जारी किए हैं. मॉरीशस ने गांधी जी के पूरे जीवन की यात्रा पर महात्मा गांधी के 100 साल पूरे होने पर जारी किए थे उसकी भी प्रदर्शनी है.
महात्मा गांधी के बेटे का पीएमसीएच में हुआ था इलाज: उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अंतिम बार जब पटना आए थे 13 में 1947 को तो उसे दौर में जो पत्र लिखा था उसकी भी प्रदर्शनी लगी हुई है. यह पत्र सेवाग्राम में लेडी वाडिया को लिखा गया था. उस समय महात्मा गांधी के बेटे मणिलाल गांधी की पीएमसीएच में सर्जरी हुई थी और महात्मा गांधी कई दिनों के लिए पटना में रुके हुए थे.
"156 विषयों पर डाक टिकटों का संग्रह प्रदर्शित किया गया है.प्रदर्शनी में डाक टिकटों की संख्या 12000 से अधिक है. यहां प्रदर्शित डाक टिकट ढाई सौ वर्ष पहले इसे जारी किया गया था.आज इसकी कीमत 5 करोड़ से अधिक है. दुनिया के 100 से अधिक देशों ने महात्मा गांधी पर डाक टिकट जारी किए हैं. मॉरीशस ने गांधी जी के पूरे जीवन की यात्रा पर महात्मा गांधी के 100 साल पूरे होने पर जारी किए थे उसकी भी प्रदर्शनी है."-प्रदीप जैन,वरिष्ठ फिलाटेलिस्ट
प्रदर्शनी में मिलेंगी कई महत्वपूर्ण जानकारी: लोगों को इस प्रदर्शनी में आकर लगे हुए प्रदर्शों को देखना चाहिए. यहां कई जानकारियां मिलेंगी. पहले लोग लिखते थे तो पोस्टकार्ड का महत्व बहुत था लेकिन आज यह महत्वपूर्ण कम हो गया है, लेकिन विरासत को सहेजने के लिए इस प्रदर्शनी में आकर जानकारी एकत्रित करनी चाहिए. यहां इतिहास की कई जानकारियां सामने आएगी जो अचंभित करेंगी.
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