बगहा: ईमानदारी की चर्चा हो और बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के गोड़िया पट्टी निवासी खेदरू मियां का जिक्र ना हो तो यह बेमानी होगी. साल 1980 में 50 वर्षीय खेदरु मियां बगहा के स्टेशन चौक के पास परचून की दुकान चलाते थे. उसी दुकान के पीछे एक खंडहर नुमा इमारत थी. शौच के लिए जब वह उस जर्जर मकान में पहुंचे तो उन्हें एक चमचमाती वस्तु नजर आई. जिसके बाद उन्होंने कुरेदकर देखा तो सोने का घड़ा नजर आया.
जब मिला सोने का घड़ा : 1931 में जन्मे ख़ेदरू मियां ने उस घड़ा को जमीन से बाहर निकाला और अपने दुकान पर लाकर लोगों को दिखाया. जब घड़ा खोला गया तो लोगों की आंखें चौंधिया गईं, क्योंकि उसमें हीरे-जवाहरात और सोने के बिस्किट भरे हुए थे. यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई. इसकी भनक प्रशासन को लगी. प्रशासन ने खेदरू मियां पर घड़ा सौंपने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. लेकिन खेदरू मियां को प्रशासन पर विश्वास नहीं था.
चल बसे खेदरू मियां लेकिन नहीं मिला इनाम (ETV Bharat) 'इंदिरा गांधी को सौंपा सोना भरा घड़ा' : स्थानीय पूर्व वार्ड पार्षद दयाशंकर सिंह बताते हैं कि खेदरू भाई ने ठान लिया था कि यह सोने से भरा घड़ा सरकारी खजाना है और वे इसे प्रधानमंत्री को ही सौंपेंगे. जिसके बाद प्रशासन की सुरक्षा के बीच उन्हें दिल्ली ले जाया गया और उन्होंने खुद से वह घड़ा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंपा. उनके इस ईमानदारी से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी काफी प्रभावित हुईं. उन्होंने तत्काल डीएम को निर्देशित किया कि खेदरू के ईमानदारी के फलस्वरूप उन्हें सरकारी जमीन गिफ्ट की जाए.
खेदारू मियां के घर की हालत (ETV Bharat) चल बसे खेदरू मियां लेकिन नहीं मिला इनाम : खेदरू मियां की मृत्यु 5 सितंबर 2021 को हो गई, लेकिन उनके ईमानदारी का फल आज तक नसीब नहीं हो पाया. उनके नाती मो. फिरोज ने बताया कि मेरे नाना को इंदिरा गांधी ने 13 बीघा जमीन देने का आदेश दिया था. लेकिन जो जमीन मुहैया कराई गई वह जंगल से सटे थी. लिहाजा आज तक उस जमीन पर हमारा कब्जा नहीं हो पाया. मेरे नाना डीएम ऑफिस और वन विभाग के दफ्तर में दौड़ते दौड़ते चल बसे, लेकिन ईमानदारी का इनाम नहीं मिल सका.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat) "मेरे नाना को इंदिरा गांधी ने 13 बीघा सरकारी जमीन गिफ्ट करने का आदेश दिया था. जो जमीन उन्हें दी गई वह जंगल से सटी हुई थी लिहाजा आज तक उस जमीन पर हमारा कब्जा नहीं हो पाया है. मेरे नाना डीएम ऑफिस और वन विभाग के दफ्तर में दौड़ते-दौड़ेत चल बसे लेकिन ईमानदारी का इनाम नहीं मिल सका."- मो. फिरोज, खेदरू मियां के नाती
खेदारू मियां को इंदिरा गांधी द्वारा पहनाया गया कोट (ETV Bharat) ईमानदारी की सजा? : हां यादगार के तौर पर प्रधानमंत्री द्वारा नाना जी को पहनाया गया कोट आज भी उनके ईमानदारी की कहानी बयां कर रहा है. बता दें कि खदेरू मियां की विधवा पत्नी हदीशन खातून आज बुजुर्ग हो चुकी हैं. देखने बोलने में पूरी तरह सक्षम नहीं हैं, लेकिन उनके भी दिल में एक टीस हमेशा उठती रहती है कि ईमानदारी का फल नहीं मिला. आज भी मुफलिसी के दौर में जीना पड़ रहा है. खेदरू की एकमात्र संतान उनकी बेटी जैबून खातून हैं, जिसके पुत्र मो. फिरोज हैं.
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