रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड):विश्व विख्यात केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. केदारनाथ धाम उत्तराखंड के चार धामों में से एक और पंच केदार में प्रथम केदार के रूप में पूजा जाता है. शीतकाल में केदारनाथ धाम में बर्फबारी होने के बाद कपाट 6 महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं. जबकि, शीतकालीन पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में संपन्न की जाती है. वहीं, महा शिवरात्रि पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि तय की जाएगी.
महाशिवरात्रि पर घोषित होगी केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि:इन दिनों केदारनाथ धाम के कपाट बंद हैं. पूरी केदारपुरी इन दिनों बर्फ की सफेद चादर से ढकी हुई है. धाम में समय-समय पर बर्फबारी हो रही है. इस वक्त केदारपुरी में सन्नाटा है. जल्द ही कपाट खुलते ही बाबा का धाम भक्तों से गुलजार हो जाएगा. अभी बाबा की पूजाएं ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में हो रही हैं. महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर विद्वान आचार्य भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने का दिन तय करेंगे.
महाशिवरात्रि पर केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि होगी तय (वीडियो सोर्स- ETV Bharat) केदारनाथ धाम के पुजारी शिव शंकर लिंग ने दी अहम जानकारी:महाशिवरात्रि के महापर्व पर केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग की मौजदूगी में भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने का दिन तय होगा. इसके साथ ही बाबा केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम जाने का दिन भी निकाला जाएगा. शिवरात्रि को लेकर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है.
केदारनाथ धाम के पुजारी शिव शंकर लिंग ने दी जानकारी (फोटो- ETV Bharat GFX) 6 महीने नर तो 6 महीने देवता करते हैं पूजा:उत्तराखंड मेंमेरू और सुमेरू पर्वत की तलहटी के बीच मंदाकिनी के तट पर भगवान केदारनाथ का भव्य मंदिर विराजमान है. केदारनाथ धाम के कपाट 6 महीने खुले रहते हैं. जबकि, शीतकाल में बर्फबारी की वजह से कपाट बंद कर दिए जाते हैं. एक और मान्यता है किग्रीष्म काल के 6 महीने नर तो शीतकाल के 6 महीने में देवता बाबा केदार की पूजा-अर्चना करते हैं. यानी शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद देवता बाबा केदार की पूजा-अर्चना करते हैं.
गोत्र हत्या की मुक्ति के लिए केदारनाथ धाम आए थे पांडव:मान्यता है कि द्वापर युग में पांडव गोत्र हत्या की मुक्ति के लिए केदारनाथ धाम आए थे. यहां भगवान शिव ने पांडवों को महिष रूप में दर्शन दिए. जिसके बाद यहां पांडवों ने भगवान शिव के केदारनाथ के रूप में ज्योतिर्लिंग की स्थापना की. मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का त्रिकोणीय आकार में शिवलिंग स्थित है.
सतयुग से भी जुड़ी है मान्यता:ये भी मान्यता है कि यह ज्योतिर्लिंग सतयुग का है और सतयुग में यहां नर और नारायण भगवान केदारनाथ की तपस्या करते थे. केदारनाथ धाम मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल भी है. हर साल अप्रैल-मई महीने में ग्रीष्मकाल (6 माह) के लिए भगवान केदारनाथ के कपाट आम भक्तों के दर्शनों के लिए खुलेते हैं. जबकि, शीतकाल में दीपावली के बाद भैया दूज के पर्व पर केदारनाथ के कपाट बंद किए जाते हैं. शीतकाल के 6 महीने बाबा केदार की शीतकालीन पूजा-अर्चना ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होती है.
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