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तेलंगाना सुरंग हादसा: फंसे 8 लोग कब आएंगे बाहर? GSI NGRI से मांगी मदद, रैट होल माइनर्स कल फिर करेंगे प्रयास - SLBC TUNNEL COLLAPSE

फंसे हुए लोगों को सुरंग से बाहर निकालने के लिए सिलक्यारा के सुपरहीरो रैट माइनर्स को नगरकुर्नूल बुलाया गया है. बुधवार को फिर से टनल में फंसे हुए लोगों को बचाने के प्रयास किए जाएंगे. हालांकि, इस रेस्क्यू ऑपरेशन में कई चुनौतियां भी हैं.

तेलंगाना सुरंग हादसा, बचाव अभियान जारी
तेलंगाना सुरंग हादसा, बचाव अभियान जारी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 25, 2025, 10:23 PM IST

Updated : Feb 25, 2025, 10:53 PM IST

नगरकुरनूल: श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन टनल की छत का कुछ हिस्सा ढहने की घटना के तीन दिन बाद इसमें फंसे हुए 8 लोगों को बचाने का प्रयास जारी है. वहीं, तेलंगाना सरकार ने एनजीआरआई, जीएसआई से मदद मांगी है. वहीं रेट होल माइनर्स की टीम कल फिर से रेस्क्यू अभियान में जुट जाएंगे. एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि आठ लोग चौथे दिन भी फंसे हुए हैं, इसलिए जीएसआई और एनजीआरआई के विशेषज्ञों को बचाव प्रयासों में शामिल किया गया है.

नगरकुरनूल के जिलाधिकारी बी. संतोष ने मंगलवार को कहा कि आगे कोई भी कदम उठाने से पहले सुरंग की स्थिरता को ध्यान में रखा गया है और पानी निकालने का काम जारी है. वहीं, दूसरी तरफ फंसे हुए झारखंड के लोगों के परिजन एसएलबीसी टनल पहुंच गए हैं. उन्हें उम्मीद है कि फंसे हुए लोग वापस लौट आएंगे. आज फंसे हुए मजदूर संदीप साहू, जगदा जेस, संतोष साहू और अंजू साहू के परिजन एसएलबीसी पहुंचे. उन्होंने बताया कि उन्हें हादसे के दिन ही सूचना दे दी गई थी. जिला प्रशासन उन्हें लेकर आया था. मजदूरों के परिजनों को उम्मीद है कि वे सुरक्षित वापस लौट आएंगे.

टनल में झारखंड के फंसे हुए लोगों के परिजनों और बचाव टीम से बातचीत (ETV Bharat)

बता दें कि, तेलंगाना के टनल हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए देश के लिए अब उत्तराखंड के सिलक्यारा बेंड बरकोट सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने वाले रैट माइनर्स की टीम को इस अभियान में लगाया गया है. वहीं, सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद बचाव अभियान में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. बचाव दल का दुर्घटना स्थल तक पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा है.

जिलाधिकारी ने बताया कि,अब तक फंसे हुए लोगों से संपर्क नहीं हुआ है. अब भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और कुछ अन्य लोगों की सलाह ली जा रही है. अभी सुरंग से पानी निकालने का काम चल रहा है और आगे की ओर बढ़ रहे हैं.लेकिन आखिरी 40 या 50 मीटर तक बचाव दल नहीं पहुंच पाए हैं. अब तक जीएसआई और एनजीआरआई की सलाह ली जा रही है. एलएंडटी के विशेषज्ञ भी यहां आ चुके हैं.

बता दें कि, श्रीशैलम लेफ्ट कैनाल टनल के बाईं ओर फंसे 8 लोगों की सुरक्षा के लिए राहत उपायों को और बढ़ा दिया गया है. हालांकि, पानी और कीचड़ के कारण कई बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, जिसको देखते हुए सरकार वैकल्पिक मार्गों की तलाश कर रही है. राज्य सरकार ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और एनजीआरआई के विशेषज्ञों से बचाव अभियान में मदद मांगी है. अधिकारी उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे बढ़ेंगे. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय नौसेना, भारतीय सेना, हाइड्रा और रैट होल माइनर्स समेत कई सहायक समूह लक्ष्य क्षेत्र तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि, बचाव दल इलाके में पहुंचने के लिए सुरंग या किनारे से रास्ते तलाश रहे हैं. उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क, सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी, सड़क निर्माण मंत्री कोमती रेड्डी वेंकट रेड्डी और पर्यटन मंत्री जुपल्ली कृष्णराव ने दो बार समीक्षा की है. उत्तम ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और एनजीआरआई के विशेषज्ञों ने सहायता मांगी है. अगर कुछ देरी होती है तो सरकार इस परियोजना को अपने हाथ में लेने के लिए दृढ़ संकल्प है.

दूसरी ओर, सुरंग में फंसे झारखंड के चार मजदूर संदीप साहू, जगदा जेस, संतोष साहू और अंजू साहू के परिवार के सदस्यों ने भी एसएलबीसी से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि उन्हें दुर्घटना के दिन ही सूचना दे दी गई थी और जिला प्रशासन ने उन्हें सभी खर्चे दिलवा दिए हैं.

मंत्री बोले- सुरंग में फंसे लोगों के बचने की संभावना 'बहुत कम'
मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने सोमवार को कहा कि सुरंग में फंसे लोगों बचने की संभावना 'बहुत कम' है. फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है. इससे बचावकर्मियों के लिए यह एक कठिन काम बन गया है.

मंगलवार दोपहर को उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क, मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी तथा स्थानीय विधायक डॉ. चिक्कुडु वामशी कृष्णा ने घटनास्थल का दौरा किया और बचाव प्रयासों की निगरानी कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की. मंत्रियों ने चल रहे बचाव कार्यों का आकलन किया और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सिंगरेनी बचाव दल, भारतीय सेना और भारतीय नौसेना सहित विभिन्न एजेंसियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की.

समीक्षा बैठक में सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल विकास, नौसेना से मार्कोस, एनडीआरएफ के कमांडेंट प्रसन्ना, डिप्टी कमांडेंट सुखोड़, एसडीआरएफ के क्षेत्रीय अग्निशमन अधिकारी सुधाकर राव, सिंगरेनी से सदानन्दम, एलएंडटी से कूपर, जीएसआई के निदेशक शैलेन्द्र कुमार, राज्य सरकार के विशेष अधिकारी अरविंद कुमार, नारायणा टीम से जेवीएलएन कुमार, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से एलएफओ में निदेशक अंशुकाल खेड़, प्रोबोस्कोप से सिद्धार्थ, रैट माइंस से फिरोज कुरैशी, जेपी एसोसिएट्स से पंकज, सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता अजय कुमार, सत्यनारायण (ईई) और डीई श्रीनू सहित अन्य ने भाग लिया.

हम सौ मीटर से भी ज्यादा दूर रुके हुए हैं: उत्तराखंड टीम
एसएलबीसी सुरंग में फंसे 8 लोगों को बचाने के लिए उत्तराखंड की टीम जी-जान से जुटी हुई है. समूह के सदस्य इससे पहले उत्तराखंड में सुरंग पर हुए हादसे में शामिल करीब 42 लोगों को बचा चुके हैं. उन्होंने बताया कि कल उन्हें दुर्घटनास्थल से 100 मीटर की दूरी पर रुकना पड़ा था. हमारे प्रवक्ता स्वामीकिरण ने उत्तराखंड की टीम से बातचीत की, जिसके बाद वे एक बार फिर सुरंग में जा रहे हैं.

बचाव दल ने कहा, "कल जब हम गए थे, तब यह करीब सौ मीटर दूर था. आज हम पूरी आपूर्ति के साथ जा रहे हैं. हम फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, सुरंग में टनल बोरिंग मिशन बाधित होने के कारण आगे जाना मुश्किल है. हालांकि, हम एक बार फिर कोशिश कर रहे हैं. अंदर कीचड़ होने के कारण पैदल चलना बहुत मुश्किल है. हम रस्सियों और लाइटों की मदद से आगे जाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर हम आज टीबीएम को पार कर लें, तो अंदर फंसे लोगों के बारे में पता चल सकता है."

ये भी पढ़ें: तेलंगाना सुरंग हादसा: बचाव अभियान जारी, नहीं मिल रही सफलता, फंसे 8 लोगों के बचने की उम्मीद कम

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नगरकुरनूल के जिलाधिकारी बी. संतोष ने मंगलवार को कहा कि आगे कोई भी कदम उठाने से पहले सुरंग की स्थिरता को ध्यान में रखा गया है और पानी निकालने का काम जारी है. वहीं, दूसरी तरफ फंसे हुए झारखंड के लोगों के परिजन एसएलबीसी टनल पहुंच गए हैं. उन्हें उम्मीद है कि फंसे हुए लोग वापस लौट आएंगे. आज फंसे हुए मजदूर संदीप साहू, जगदा जेस, संतोष साहू और अंजू साहू के परिजन एसएलबीसी पहुंचे. उन्होंने बताया कि उन्हें हादसे के दिन ही सूचना दे दी गई थी. जिला प्रशासन उन्हें लेकर आया था. मजदूरों के परिजनों को उम्मीद है कि वे सुरक्षित वापस लौट आएंगे.

टनल में झारखंड के फंसे हुए लोगों के परिजनों और बचाव टीम से बातचीत (ETV Bharat)

बता दें कि, तेलंगाना के टनल हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए देश के लिए अब उत्तराखंड के सिलक्यारा बेंड बरकोट सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने वाले रैट माइनर्स की टीम को इस अभियान में लगाया गया है. वहीं, सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद बचाव अभियान में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. बचाव दल का दुर्घटना स्थल तक पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा है.

जिलाधिकारी ने बताया कि,अब तक फंसे हुए लोगों से संपर्क नहीं हुआ है. अब भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और कुछ अन्य लोगों की सलाह ली जा रही है. अभी सुरंग से पानी निकालने का काम चल रहा है और आगे की ओर बढ़ रहे हैं.लेकिन आखिरी 40 या 50 मीटर तक बचाव दल नहीं पहुंच पाए हैं. अब तक जीएसआई और एनजीआरआई की सलाह ली जा रही है. एलएंडटी के विशेषज्ञ भी यहां आ चुके हैं.

बता दें कि, श्रीशैलम लेफ्ट कैनाल टनल के बाईं ओर फंसे 8 लोगों की सुरक्षा के लिए राहत उपायों को और बढ़ा दिया गया है. हालांकि, पानी और कीचड़ के कारण कई बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, जिसको देखते हुए सरकार वैकल्पिक मार्गों की तलाश कर रही है. राज्य सरकार ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और एनजीआरआई के विशेषज्ञों से बचाव अभियान में मदद मांगी है. अधिकारी उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे बढ़ेंगे. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय नौसेना, भारतीय सेना, हाइड्रा और रैट होल माइनर्स समेत कई सहायक समूह लक्ष्य क्षेत्र तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि, बचाव दल इलाके में पहुंचने के लिए सुरंग या किनारे से रास्ते तलाश रहे हैं. उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क, सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी, सड़क निर्माण मंत्री कोमती रेड्डी वेंकट रेड्डी और पर्यटन मंत्री जुपल्ली कृष्णराव ने दो बार समीक्षा की है. उत्तम ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और एनजीआरआई के विशेषज्ञों ने सहायता मांगी है. अगर कुछ देरी होती है तो सरकार इस परियोजना को अपने हाथ में लेने के लिए दृढ़ संकल्प है.

दूसरी ओर, सुरंग में फंसे झारखंड के चार मजदूर संदीप साहू, जगदा जेस, संतोष साहू और अंजू साहू के परिवार के सदस्यों ने भी एसएलबीसी से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि उन्हें दुर्घटना के दिन ही सूचना दे दी गई थी और जिला प्रशासन ने उन्हें सभी खर्चे दिलवा दिए हैं.

मंत्री बोले- सुरंग में फंसे लोगों के बचने की संभावना 'बहुत कम'
मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने सोमवार को कहा कि सुरंग में फंसे लोगों बचने की संभावना 'बहुत कम' है. फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है. इससे बचावकर्मियों के लिए यह एक कठिन काम बन गया है.

मंगलवार दोपहर को उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क, मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी तथा स्थानीय विधायक डॉ. चिक्कुडु वामशी कृष्णा ने घटनास्थल का दौरा किया और बचाव प्रयासों की निगरानी कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की. मंत्रियों ने चल रहे बचाव कार्यों का आकलन किया और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सिंगरेनी बचाव दल, भारतीय सेना और भारतीय नौसेना सहित विभिन्न एजेंसियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की.

समीक्षा बैठक में सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल विकास, नौसेना से मार्कोस, एनडीआरएफ के कमांडेंट प्रसन्ना, डिप्टी कमांडेंट सुखोड़, एसडीआरएफ के क्षेत्रीय अग्निशमन अधिकारी सुधाकर राव, सिंगरेनी से सदानन्दम, एलएंडटी से कूपर, जीएसआई के निदेशक शैलेन्द्र कुमार, राज्य सरकार के विशेष अधिकारी अरविंद कुमार, नारायणा टीम से जेवीएलएन कुमार, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से एलएफओ में निदेशक अंशुकाल खेड़, प्रोबोस्कोप से सिद्धार्थ, रैट माइंस से फिरोज कुरैशी, जेपी एसोसिएट्स से पंकज, सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता अजय कुमार, सत्यनारायण (ईई) और डीई श्रीनू सहित अन्य ने भाग लिया.

हम सौ मीटर से भी ज्यादा दूर रुके हुए हैं: उत्तराखंड टीम
एसएलबीसी सुरंग में फंसे 8 लोगों को बचाने के लिए उत्तराखंड की टीम जी-जान से जुटी हुई है. समूह के सदस्य इससे पहले उत्तराखंड में सुरंग पर हुए हादसे में शामिल करीब 42 लोगों को बचा चुके हैं. उन्होंने बताया कि कल उन्हें दुर्घटनास्थल से 100 मीटर की दूरी पर रुकना पड़ा था. हमारे प्रवक्ता स्वामीकिरण ने उत्तराखंड की टीम से बातचीत की, जिसके बाद वे एक बार फिर सुरंग में जा रहे हैं.

बचाव दल ने कहा, "कल जब हम गए थे, तब यह करीब सौ मीटर दूर था. आज हम पूरी आपूर्ति के साथ जा रहे हैं. हम फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, सुरंग में टनल बोरिंग मिशन बाधित होने के कारण आगे जाना मुश्किल है. हालांकि, हम एक बार फिर कोशिश कर रहे हैं. अंदर कीचड़ होने के कारण पैदल चलना बहुत मुश्किल है. हम रस्सियों और लाइटों की मदद से आगे जाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर हम आज टीबीएम को पार कर लें, तो अंदर फंसे लोगों के बारे में पता चल सकता है."

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Last Updated : Feb 25, 2025, 10:53 PM IST
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