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डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले गिरोह के तीन जालसाज गिरफ्तार - CYBER CRIMES IN DELHI NCR

दिल्ली NCR में पुलिस द्वारा साइबर क्राइम और ठगी करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है.

ठगी करने वाले गिरोह के तीन जालसाज गिरफ्तार
ठगी करने वाले गिरोह के तीन जालसाज गिरफ्तार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 25, 2025, 10:45 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: पार्सल में ड्रग्स समेत अन्य आपत्तिजनक सामान होने का डर दिखाकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट ठगी करने वाले गिरोह के तीन जालसाजों को साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने मंगलवार को दबोचा लिया. इनमें खाताधारक और बैंककर्मी भी शामिल हैं. गिरोह के शामिल अन्य सदस्यों के बारे में भी पुलिस जानकारी जुटा रही है.

साइबर क्राइम थाना प्रभारी रंजीत सिंह ने बताया कि एक महिला ने थाने में शिकायत दी थी कि डिजिटल अरेस्ट कर ठगों ने उसके साथ 84 लाख रुपये से अधिक की ठगी कर ली है. मामला संज्ञान में आते ही पुलिस ने अज्ञात जालसाजों के खिलाफ केस दर्ज किया और जिन खातों में रकम गई उनकी जांच शुरु कर दी. जांच और विवेचना के दौरान तीन आरोपियों के नाम प्रकाश में आए. तीनों की पहचान चंडीगढ़ निवासी राम सिंह और अक्षय कुमार व मोहाली निवासी नरेंद्र सिंह चौहान के रूप में हुई है. अक्षय कुमार बैंककर्मी है,जबकि राम सिंह खाताधारक है.

संदिग्ध बैंक खाते तत्काल फ्रीज: तीनों की गिरफ्तारी से पहले ही पुलिस ने धोखाधड़ी मे लिप्त संदिग्ध बैंक खातों को तत्काल फ्रीज करा दिया था. पुलिस ने ठगी के 21 लाख रुपये फ्रीज भी कराए थे, जिसमें से 18 लाख रुपये महिला के मूल खाते में वापस भी आ चुके हैं. ठगों ने महिला के पास कॉल की थी और खुद को फेडेक्स कुरियर कंपनी का कर्मचारी बताया था. इसके बाद कॉलर ने कहा कि शिकायतकर्ता के नाम से भेजे गए पार्सल में ड्रग्स, पांच ट्रैवलिंग पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, एक लैपटॉप और चार किलो कपड़े समेत अन्य सामान मिले हैं. इसके बाद मामला क्राइम ब्रांच में जाने की बात पीड़िता को बताई गई.

महिला से 84 लाख की ठगी: पीड़िता को धन शोधन केस में भी फंसाने की धमकी दी गई. स्कॉइप कॉल के जरिये महिला पर नजर रखी जाने लगी. बैंक संबंधी सारी जानकारी मिलने के बाद आरोपियों ने महिला से 84 लाख 16 हजार 979 रुपये यह कहकर ट्रांसफर करा लिए कि जांच के बाद सारी रकम मूल खाते में आ जाएगी. महिला पर जब लोगों से पैसे उधार लेकर ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा तब उसे ठगी की आंशका हुई और उसने पूरी आपबीती साइबर क्राइम थाने की पुलिस को बताई.

गिरफ्त में आए आरोपियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे निजी बैंकों में सांठ-गांठ कर बैंककर्मी के माध्यम से आम लोगों के करंट खाते खुलवाते हैं. इन्हीं खातों में ठगी और धोखाधड़ी की रकम ली जाती है. खाते में आई रकम को आरोपी कमीशन के रूप में आपस में वितरित कर लेते हैं. आरोपी राम सिंह ने अन्य दोनों के साथ मिलकर इंडसइंड का बैंक खाता खुलवाया, जिसमें 69 लाख 78 हजार 894 रुपये प्राप्त किए गए थे, जिसको तीनों ने आपस में वितरित कर लिए थे.

खाते के संबंध में 41 शिकायतें मिलीं: आरोपियों के पास से बरामद एवं धोखाधड़ी में इस्तेमाल बैंक खातों को एनसीआरपी पोर्टल पर जब चेक किया गया तो उनपर 41 शिकायतें दर्ज होने की जानकारी मिली. संबंधित खातों के संबंध में महाराष्ट्र में सात, कर्नाटक में छह, तेलंगाना में पांच, केरल में चार,बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश में तीन-तीन, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु में दो-दो और नागालैंड, पंजाब और पश्चिम बंगाल में एक-एक शिकायत दर्ज है. गिरफ्त में आए आरोपियों के एक साथी उमेश महाजन को दिल्ली पुलिस बीते साल 30 जुलाई को गिरफ्तार कर चुकी है.

प्लाट के नाम पर ठगी: दिल्ली के मयूर विहार फेज-तीन निवासी अजय कुमार ने न्यायालय में दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि उनसे उमेश कुमार निवासी शाहदरा दिल्ली की मुलाकात हुई. उसने कहा कि वह गाजियाबाद की लोनी तहसील क्षेत्र के गांव असालतपुर में एक प्लॉट बेचना चाहता है. उमेश से भूखंड का सौदा 29 लाख 20 हजार रुपये में तय हुआ. पांच दिसंबर 2023 को तीन लाख रुपये बतौर बयाना दिया. अगले नौ माह के भीतर प्लॉट का बैनामा करने की बात तय हुई. इसके बाद विभिन्न तरह की मजबूरी बताकर आरोपी उमेश ने पांच लाख 50 हजार रुपये नकद ले लिए. इसके अलावा दो लाख रुपये के दो चेक समेत कुल 10 लाख 50 हजार रुपये ले लिए. शिकायतकर्ता ने जब निर्धारित अवधि में प्लॉट का बैनामा करने के लिए कहा तो टरकाने लगा. शिकायतकर्ता का कहना है कि एक अक्तूबर 2024 को उन्होंने रजिस्टर्ड नोटिस भेजा, लेकिन इसके बाद भी आरोपी ने प्लॉट का न तो बैनामा किया और न ही रुपये लौटाए. 14 अक्तूबर 2024 को शिकायतकर्ता किसी काम से सेक्टर-24 स्थित एनटीपीसी कार्यालय के निकट पहुंचा तो आरोपी उमेश और उसका भाई योगेश भाटी एक अज्ञात व्यक्ति के साथ मिल गया. आरोपियों ने गाली-गलौज शुरू कर दी. साथ ही नोटिस भेजने पर जान से मारने की धमकी दी. विरोध करने पर आरोपियों ने मारपीट की और भाग गए. थाना स्तर से सुनवाई न होने पर कोर्ट का सहारा लेना पड़ा.

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नई दिल्ली/नोएडा: पार्सल में ड्रग्स समेत अन्य आपत्तिजनक सामान होने का डर दिखाकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट ठगी करने वाले गिरोह के तीन जालसाजों को साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने मंगलवार को दबोचा लिया. इनमें खाताधारक और बैंककर्मी भी शामिल हैं. गिरोह के शामिल अन्य सदस्यों के बारे में भी पुलिस जानकारी जुटा रही है.

साइबर क्राइम थाना प्रभारी रंजीत सिंह ने बताया कि एक महिला ने थाने में शिकायत दी थी कि डिजिटल अरेस्ट कर ठगों ने उसके साथ 84 लाख रुपये से अधिक की ठगी कर ली है. मामला संज्ञान में आते ही पुलिस ने अज्ञात जालसाजों के खिलाफ केस दर्ज किया और जिन खातों में रकम गई उनकी जांच शुरु कर दी. जांच और विवेचना के दौरान तीन आरोपियों के नाम प्रकाश में आए. तीनों की पहचान चंडीगढ़ निवासी राम सिंह और अक्षय कुमार व मोहाली निवासी नरेंद्र सिंह चौहान के रूप में हुई है. अक्षय कुमार बैंककर्मी है,जबकि राम सिंह खाताधारक है.

संदिग्ध बैंक खाते तत्काल फ्रीज: तीनों की गिरफ्तारी से पहले ही पुलिस ने धोखाधड़ी मे लिप्त संदिग्ध बैंक खातों को तत्काल फ्रीज करा दिया था. पुलिस ने ठगी के 21 लाख रुपये फ्रीज भी कराए थे, जिसमें से 18 लाख रुपये महिला के मूल खाते में वापस भी आ चुके हैं. ठगों ने महिला के पास कॉल की थी और खुद को फेडेक्स कुरियर कंपनी का कर्मचारी बताया था. इसके बाद कॉलर ने कहा कि शिकायतकर्ता के नाम से भेजे गए पार्सल में ड्रग्स, पांच ट्रैवलिंग पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, एक लैपटॉप और चार किलो कपड़े समेत अन्य सामान मिले हैं. इसके बाद मामला क्राइम ब्रांच में जाने की बात पीड़िता को बताई गई.

महिला से 84 लाख की ठगी: पीड़िता को धन शोधन केस में भी फंसाने की धमकी दी गई. स्कॉइप कॉल के जरिये महिला पर नजर रखी जाने लगी. बैंक संबंधी सारी जानकारी मिलने के बाद आरोपियों ने महिला से 84 लाख 16 हजार 979 रुपये यह कहकर ट्रांसफर करा लिए कि जांच के बाद सारी रकम मूल खाते में आ जाएगी. महिला पर जब लोगों से पैसे उधार लेकर ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा तब उसे ठगी की आंशका हुई और उसने पूरी आपबीती साइबर क्राइम थाने की पुलिस को बताई.

गिरफ्त में आए आरोपियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे निजी बैंकों में सांठ-गांठ कर बैंककर्मी के माध्यम से आम लोगों के करंट खाते खुलवाते हैं. इन्हीं खातों में ठगी और धोखाधड़ी की रकम ली जाती है. खाते में आई रकम को आरोपी कमीशन के रूप में आपस में वितरित कर लेते हैं. आरोपी राम सिंह ने अन्य दोनों के साथ मिलकर इंडसइंड का बैंक खाता खुलवाया, जिसमें 69 लाख 78 हजार 894 रुपये प्राप्त किए गए थे, जिसको तीनों ने आपस में वितरित कर लिए थे.

खाते के संबंध में 41 शिकायतें मिलीं: आरोपियों के पास से बरामद एवं धोखाधड़ी में इस्तेमाल बैंक खातों को एनसीआरपी पोर्टल पर जब चेक किया गया तो उनपर 41 शिकायतें दर्ज होने की जानकारी मिली. संबंधित खातों के संबंध में महाराष्ट्र में सात, कर्नाटक में छह, तेलंगाना में पांच, केरल में चार,बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश में तीन-तीन, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु में दो-दो और नागालैंड, पंजाब और पश्चिम बंगाल में एक-एक शिकायत दर्ज है. गिरफ्त में आए आरोपियों के एक साथी उमेश महाजन को दिल्ली पुलिस बीते साल 30 जुलाई को गिरफ्तार कर चुकी है.

प्लाट के नाम पर ठगी: दिल्ली के मयूर विहार फेज-तीन निवासी अजय कुमार ने न्यायालय में दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि उनसे उमेश कुमार निवासी शाहदरा दिल्ली की मुलाकात हुई. उसने कहा कि वह गाजियाबाद की लोनी तहसील क्षेत्र के गांव असालतपुर में एक प्लॉट बेचना चाहता है. उमेश से भूखंड का सौदा 29 लाख 20 हजार रुपये में तय हुआ. पांच दिसंबर 2023 को तीन लाख रुपये बतौर बयाना दिया. अगले नौ माह के भीतर प्लॉट का बैनामा करने की बात तय हुई. इसके बाद विभिन्न तरह की मजबूरी बताकर आरोपी उमेश ने पांच लाख 50 हजार रुपये नकद ले लिए. इसके अलावा दो लाख रुपये के दो चेक समेत कुल 10 लाख 50 हजार रुपये ले लिए. शिकायतकर्ता ने जब निर्धारित अवधि में प्लॉट का बैनामा करने के लिए कहा तो टरकाने लगा. शिकायतकर्ता का कहना है कि एक अक्तूबर 2024 को उन्होंने रजिस्टर्ड नोटिस भेजा, लेकिन इसके बाद भी आरोपी ने प्लॉट का न तो बैनामा किया और न ही रुपये लौटाए. 14 अक्तूबर 2024 को शिकायतकर्ता किसी काम से सेक्टर-24 स्थित एनटीपीसी कार्यालय के निकट पहुंचा तो आरोपी उमेश और उसका भाई योगेश भाटी एक अज्ञात व्यक्ति के साथ मिल गया. आरोपियों ने गाली-गलौज शुरू कर दी. साथ ही नोटिस भेजने पर जान से मारने की धमकी दी. विरोध करने पर आरोपियों ने मारपीट की और भाग गए. थाना स्तर से सुनवाई न होने पर कोर्ट का सहारा लेना पड़ा.

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