क्या फैसला लेंगे नीतीश ? (ETV BHARAT) पटनाः जब-जब जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई है, नीतीश कुमार ने ऐसे कई बड़े फैसले लिए जिसका भारत और बिहार की सियासत पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है. वैसे भी नीतीश कुमार चौंकानेवाले फैसलों के लिए ही जाने जाते है. यही कारण है कि सबकी नजर 29 जून को दिल्ली में होनेवाली जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पर है.
बैठक में शामिल होंगे सभी सदस्यः जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में करीब 100 सदस्य हैं, जिनमें सभी सांसद, सभी मंत्री और पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता शामिल हैं. इसके अलावा ही 22 राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और संयोजक भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हैं. 29 जून को होनेवाली इस बैठक में ये सभी लोग शामिल हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते खुद नीतीश कुमार ही इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे.
जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक (ETV BHARAT) 'काफी अहम है बैठक': 29 जून को दिन में करीब साढ़े 11 बजे जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू होगी. इससे एक घंटा पहले यानी करीब साढ़े 10 बजे पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक होगी जिसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के एजेंड तय किए जाएंगे. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद खान के मुताबिक "दिल्ली में होने जा रही जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बेहद ही अहम है."
जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक (ETV BHARAT) बड़े फैसले लेते रहे हैं नीतीश: जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ये बैठक इसलिए अहम मानी जा रही है कि पिछली कई बैठकों के दौरान नीतीश कुमार कई बड़े फैसले लेते आए हैं. 27 दिसंबर 2020 को जब पटना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी तब नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर पार्टी की कमान उनके हाथों में सौंप दी थी. इसी तरह 31 जुलाई 2021 को जब दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई तो नीतीश ने आरसीपी की जगह ललन सिंह को पार्टी की कमान सौंप दी.
जब नीतीश ने खुद संभाली कमानः वहीं पिछले साल यानी 2023 के दिसंबर में भी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार ने चौंकानेवाला फैसला लिया और ललन सिंह की जगह खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जेडीयू की कमान अपने हाथों में ले ली. यही नहीं इस बैठक के एक महीने बाद ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़कर NDA में शामिल होने का फैसला भी ले लिया और बिहार की सियासत को उलट-पुलट कर रख डाला.
जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक (ETV BHARAT) नीतीश बने रहेंगे बॉस या लेंगे कोई बड़ा फैसलाः हर बार की तरह इस बार भी नीतीश के फैसले को लेकर जेडीयू कार्यकारिणी की इस बैठक पर सियासी पंडितों की नजर है. नजर इस बात पर है कि क्या नीतीश पार्टी के बॉस बने रहेंगे या ये अहम जिम्मेदारी किसी अपने खास के कंधों पर डालेंगे.
"नीतीश कुमार हमेशा चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं. अभी तक जितने भी फैसले नीतीश कुमार ने लिए हैं, उनकी कोशिश यही रही है कि सत्ता उनके हाथ में ही रहे. अब बिहार में भी एनडीए की सरकार है जिसमें नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं तो वहीं केंद्र में भी जेडीयू सरकार में है.ऐसे नीतीश कुमार क्या फैसला लेंगे ये बताना बहुत ही मुश्किल है, लेकिन इस बार भी कुछ बड़ा फैसला जरूर लेंगे."
प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ
बैठक के अहम मुद्देःजेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार के बॉस बने रहने का मुद्दा तो रहेगा ही, पार्टी के लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन और उसके बाद केंद्र की सरकार में जेडीयू के शामिल होने के फैसले सहित कई मुद्दों पर चर्चा होगी. साथ ही बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव सहित दूसरे राज्यों में होनेवाले विधानसभा चुनाव की चर्चा भी प्रमुखता से होगी.
पास हो सकता है अहम प्रस्तावःबैठक में बिहार विधानसभा का चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ने का प्रस्ताव पास किया जा सकता है. इसके अलावा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के अलावा भी कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. इसके अलावा नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के सियासत में एंट्री को लेकर भी बात हो सकती है. पार्टी के कई नेता लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि निशांत को सियासत में लाया जाए, हालांकि इसको लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बयानों में विरोधाभास दिखाई देता रहा है.
वशिष्ठ नारायण सिंह ने जल्दी चुनाव की वकालत कीःजेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के हाथ में फ्रैक्चर है, जिसके कारण वो दिल्ली नहीं जा पा रहे हैं. उनका कहना है कि "विधानसभा चुनाव अहम मुद्दा है, इस पर चर्चा हो सकती है. विधानसभा चुनाव जल्दी कराना पार्टी हित में होगा."
साफ-साफ बोलने से बच रहे हैं मंत्रीःबिहार सरकार में शामिल जेडीयू कोटे के मंत्री भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में होनेवाले फैसले को लेकर बोलने से बचते दिखाई दिए.वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद खान का कहना है कि "लोकसभा चुनाव के बाद ये बैठक हो रही है तो रिजल्ट पर तो चर्चा होगी ही साथ ही इस साल कई राज्यों में चुनाव होना है तो उसको लेकर भी फैसला होगा. संभव है नीतीश कुमार को ही फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया जाए"
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