भारत-जापान का संयुक्त युद्धाभ्यास 'धर्म गार्जियन' हुआ शुरू बीकानेर. भारतीय सेना और जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेन्स फोर्सेज के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास 'धर्म गार्जियन' राजस्थान के बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में शुरू हुआ. रविवार से शुरू हुआ युद्धाभ्यास 9 मार्च तक चलेगा. सेना प्रवक्ता कर्नल अमिताभ शर्मा ने बताया कि 'धर्म गार्जियन' एक वार्षिक अभ्यास है जो भारत और जापान में परस्पर रूप से आयोजित किया जाता है. दोनों पक्षों के दल में 40 जवान इस युद्धाभ्यास में शामिल हुए हैं. जापानी दल का प्रतिनिधित्व 34वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट के सैनिकों की ओर से किया जा रहा है. भारतीय सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व राजपूताना राइफल्स की एक बटालियन की ओर से किया जा रहा है.
सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए अभ्यास :कर्नल अमिताभ शर्मा ने बताया कि इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र प्राधिकार के अध्याय VII के तहत अर्ध-शहरी वातावरण में संयुक्त संचालन को अंजाम देने के लिए सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना और संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाना है. यह अभ्यास उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजनाओं और विशेष हथियार कौशल की मूल बातों पर केंद्रित होगा.
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आत्मनिर्भर भारत के तहत बढ़ती रक्षा क्षमता :इस अभ्यास के दौरान अस्थायी ऑपरेटिंग बेस की स्थापना, खुफिया जानकारी की तैयारी, निगरानी और पूर्व-परीक्षण की तैयारी, मोबाइल वाहन चेक पोस्ट स्थापित करना, एक शत्रुतापूर्ण गांव में कॉर्डन और खोज संचालन निष्पादित करना, हेलीबोर्न संचालन और हाउस इंटरवेंशन ड्रिल शामिल होंगे. 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत देश की बढ़ती रक्षा और औद्योगिक क्षमता को प्रदर्शित करते हुए हथियार और उपकरण का प्रदर्शन भी आयोजित किया जाएगा.
आएंगे जापानी अधिकारी :जापान ग्राउंड सेल्फ डिफेन्स फोर्स की पूर्वी सेना के कमांडिंग जनरल ऑफिसर, लेफ्टिनेंट जनरल तोगाशी यूची भी 'धर्म गार्जियन' अभ्यास के दौरान भारत का दौरा करने वाले हैं. लेफ्टिनेंट जनरल तोगाशी यूची 3 मार्च 2024 को महाजन फील्ड फायरिंग रेंज का दौरा करेंगे और कॉम्बैट शूटिंग, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन और हाउस इंटरवेंशन ड्रिल देखेंगे.
दोनों देशों के बिच मेल मिलाप बढ़ाएगा :'धर्म गार्जियन' अभ्यास से दोनों पक्षों में स्ट्रेटेजिक संचालन की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम होंगे. यह अभ्यास दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच अंतर-संचालन, मेल-मिलाप विकसित करने की सुविधा भी प्रदान करेगा. इससे रक्षा सहयोग का स्तर बढ़ेगा और दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ावा मिलेगा.