विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया और वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन शिमला: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के दौरान 6 कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने का मामला अब स्पीकर के दरबार में पहुंच गया है. जहां बुधवार को हुई सुनवाई के बाद हिमाचल विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
क्या है मामला
मंगलवार 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी. जिसकी वजह से आखिर में कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों के वोट मिलने के बाद कांग्रेस और बीजेपी कैंडिडेट को बराबर 34-34 वोट मिले थे. उसके बाद लॉटरी से फैसला हुआ और बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन की जीत हुई. ये जीत कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग के बदौलत मिली थी.
एंटी डिफेक्शन ट्रिब्यूनल पहुंची कांग्रेस
इसके बाद मंगलवार को ही संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने एंटी डिफेक्शन ट्रिब्यूनल में याचिका लगाकर इन 6 विधायकों को दल बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की मांग कर डाली. एंटी डिफेक्शन ट्रिब्यूनल का चेयरमैन विधानसभा अध्यक्ष होते हैं. इस नाते बुधवार को इस मामले की सुनवाई पहले दोपहर 2 बजे हुई थी. जहां बीजेपी की ओर से वरिष्ठ वकील सत्यपाल जैन ने इन विधायकों की पैरवी की थी.
इसके बाद स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही का हवाला देकर 4 बजे सुनवाई का वक्त तय किया था. जहां एक बार फिर से सत पाल जैन ने क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों का पक्ष रखा. सत्यपाल जैन के मुताबिक राज्य सभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग का दल बदल कानून के उल्लंघन के तहत नहीं आती है.
हिमाचल विस अध्यक्ष ने क्या कहा
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि ''संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने पिछले कल पिटिशन फाइल की थी जिसका नोटिस हमने दिया था और आज सुनवाई के लिए दोनों पार्टियों को हमने बुलाया था. 1.30 बजे 2 बजे तक सुनवाई हुई. सदन चलना था इसलिए 4 बजे के लिए सुनवाई का समय रखा गया था. जिसके बाद 4 बजे से लेकर 6 बजे तक सुनवाई हुई है. दोनों पक्षों को मैंने डिटेल में सुना और सारे तथ्य जो हैं दोनों तरफ से जो आए हैं उन पर विचार विमर्श करके मैंने ऑर्डर को रिजर्व किया है.
वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने क्या कहा
बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने कहा कि ''हिमाचल विधानसभा के माननीय अध्यक्ष ने 6 विधायकों को Anti-Defection Law के तहत आज सुबह शो कॉज नोटिस इशू किया था. 1.30 बजे हमें पेश होना था जो हम हुए. हमने लिखकर उनसे निवेदन किया कि हमें पिटीशन की कॉपी नहीं मिली है. सिर्फ आपका नोटिस मिला है. हमको 7 दिन का समय दिया जाए, ताकि हम रिप्लाई फाइल कर सकें''.
वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने कहा कि ''Anti-Defection Law के रूल 7 के तहत जो विधानसभा के खुद के बनाए हुए हैं उसके अंतर्गत जिसके खिलाफ पिटीशन आती है उसको कम से कम 7 दिन का समय रिप्लाई फाइल करने के लिए दिया जाता है. हमें अपनी बात को कहने का मौका दिया जाए''.
''1.30 बजे बहस शुरू हुई और 2 बजे स्पीकर ने कहा कि मुझे विधानसभा के सेशन के लिए जाना है. फिर 4 बजे का सेशन रखा. 4 बजे हमने एक और एप्लीकेशन दी कि हमें रिकॉर्ड जांचने के लिए परमिशन दी जाए. आप कह रहे हैं कि हमने ई मेल से पिटीशन भेजी थी. कितने बजे भेजी थी किसको भेजी थी. किस ई मेल आईडी पर भेजी थी. हमने फिर उनसे कहा कि पिटीशन की कॉपी एक एडिशनल एफिडेविट फाइल हुआ मैंने पहली बार देखा है कि सुनवाई शुरू होने के बाद 4 बजकर 2 मिनट पर हमको उसकी कॉपी दी गई और जो पिटीशन की कॉपी है वो हमें बहस समाप्त होने के बाद 6 बजकर 2 मिनट पर हमें दी गई है. हमने टाइम उस पर रिकॉर्ड किया है''.
''जो प्रक्रिया है इस केस की जो लॉ सुप्रीम कोर्ट ने ले डाउन किया हुआ है उसका उल्लंघन किया जा रहा है. हमने उनसे रिक्वेस्ट की है कि हमें समय दो हम रिप्लाई फाइल करेंगे. उसके बाद बहस करके निर्णय करिए. 7 दिन न सही 2 दिन का या 3 दिन का या 4 दिन का समय दीजिए. ये कैसे हो जाएगा कि 28 तारीख को आपने सुबह 12 बजे प्रोसेस शुरू किया और 28 तारीख को ही आप शाम 6 बजे तक इस समाप्त करना चाहते हैं. ये कानून के खिलाफ है''.
''मैंने इनको ये भी कहा कि आपका निर्णय लेने का अधिकार है, लेकिन हमें भी अपनी बात कहने का अधिकार है. आप जो पिटीशन दाखिल करने वाला कह रहा है वो सारा सत्य है और जो सामने वाला कह रहा उसे सुनना ही नहीं है. ये ठीक नहीं है तो मुझे पूरा विश्वास है कि जो भी उन्होंने अपनी जजमेंट रिकॉर्ड की है वो सही और कानून के अनुसार निर्णय करेंगे. निर्णय आने के बाद हम फैसला करेंगे कि आगे हमें क्या करना है''.
''मुझे पूरा विश्वास है कि स्पीकर अपने पद की गरिमा रखते हुए और सुप्रीम कोर्ट की और पार्लियामेंट की जो अपेक्षा है उसकी मान्यता करते हुए इस केस में सही निर्णय देंगे. अगर निर्णय कुछ और होगा तो देखेंगे कि आगे क्या करना है. ''आज भी इन्होंने बॉयकॉट किया है. पिटीशन तो कल फाइल हुई थी आज वाली रिलेवेंस कहां से आ गई. पिटीशन कल फाइल हुई उसकी कॉपी नहीं मिली जो आज एक एडिशनल एफिडेविट फाइल किया ये ऐसा थोड़ी है कि ये आपके घर की अदालत है कि जो मर्जी कर लो. कानून के अनुसार चलता है''.
''अगर कोई जज के सामने भी कत्ल कर दे तो आप उसे कान से पकड़कर सीधे फांसी के फंदे पर नहीं टांगते. उसका ट्रायल चलता है. उसको मौका मिलता है अपनी बात कहने का. ये तो बड़ी अजीब चीज है कि सुबह 12 बजे प्रोसेस शुरू हुआ और शाम को 6 बजे समाप्त हो गया. उन्होंने सिर्फ एक पेज का एफिडेविट दिया है जो स्वीकार्य नहीं है. ये कानून का उल्लंघन है. मैंने उनको ये भी बताया कि कुलदीप नैय्यर के केस में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने निर्णय दिया है कि राज्यसभा इलेक्शन में कोई एमएलए किस तरह वोट डालता है इसके आधार पर anti-defection act लागू नहीं हो सकता''.
6 विधायकों के निष्कासन से कांग्रेस को क्या फायदा है
दरअसल कांग्रेस के 6 विधायकों के सदन से नदारद रहने के कारण फ्लोर पर कांग्रेस विधायकों की संख्या 34 रह जाती है. जबकि 68 विधायकों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 35 है. ऐसे में सरकार के लिए सदन में मुश्किल हो सकती है लेकिन कांग्रेस इन 6 विधायकों के निष्कासन की मांग इसलिये कर रही है ताकि अगर फ्लोर टेस्ट की नौबत आती है तो सदन में बहुमत का आंकड़ा 35 से घट जाए. क्योंकि 6 विधायकों के निष्कासन के बाद हिमाचल विधानसभा की स्ट्रेंथ 62 सदस्यों की होगी. इसके हिसाब से बहुमत का आंकड़ा 32 होगा, जो कांग्रेस के पक्ष में होगा. क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 विधायकों को हटा दें तो कांग्रेस के बाकी 34 विधायकों ने कांग्रेस उम्मीदवार को ही वोट दिया था. इस तरह बहुमत कांग्रेस के साथ होगा.
इन विधायकों ने की थी क्रॉस वोटिंग
क्रॉस वोटिंग करने वालों में कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर, इंद्रदत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टों शामिल हैं. इन्होंने मंगलवार को राज्यसभा की वोटिंग के बाद हरियाणा के पंचकूला में डेरा डाल लिया था. बुधवार को ये विधायक शिमला पहुंचे थे और शाम को फिर से पंचकूला लौट आए.