हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / bharat

इधर होटल बंद होने की नौबत, उधर साल में पांच करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य, हिमाचल में पर्यटन को कैसे लगेंगे पंख? - HIMACHAL PRADESH TOURISM

हिमाचल हाईकोर्ट ने पर्यटन निगम के होटलों को बंद करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में हिमाचल में पर्यटन को कैसे पंख लगेंगे?

हिमाचल में पर्यटन को कैसे लगेंगे पंख?
हिमाचल में पर्यटन को कैसे लगेंगे पंख? (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 20, 2024, 7:49 PM IST

Updated : Nov 20, 2024, 8:50 PM IST

शिमला: आर्थिक संसाधनों की कमी वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के पर्यटन को उड़ान भरने के लिए नए पंख नहीं मिल रहे हैं. राज्य सरकार साल भर में पांच करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य लेकर चल रही है. इधर, हालात ये हैं कि राज्य सरकार के पर्यटन विकास निगम के नामी होटलों में ऑक्यूपेंसी निरंतर गिर रही है. पर्यटन विकास निगम अपने होटलों की हालत सुधारने में कामयाब नहीं हो पा रहा है. वहीं, सेवानिवृत कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद के वित्तीय लाभ जारी करने के लिए भी निगम के पास पैसे नहीं है.

मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां सरकार ने आर्थिक तंगी का रोना रोया. अदालत कानून का पालन करवाती है. जब स्थितियां सुधरती नहीं दिखी तो हाईकोर्ट ने पर्यटन विकास निगम के कम ऑक्यूपेंसी वाले होटलों को बंद करने के आदेश दे दिए. अदालत का मानना है कि जब निगम अपने रिटायरीज के फाइनेंशियल बेनिफिट्स नहीं दे पा रही है तो ये सफेद हाथी (आलीशान होटल) पालने का क्या लाभ है? प्रकृति ने हिमाचल को अनंत सुंदरता दी है. आखिर यहां की व्यवस्था पर्यटन सेक्टर को एक लाभ का सौदा क्यों नहीं बना पा रही? हिमाचल के पर्यटन के लिए सुख की खबर कैसे आएगी, इसी पर आगे की पंक्तियों में पड़ताल का प्रयास है.

हाईकोर्ट ने पर्यटन निगम के 18 होटलों को बंद करने के निर्देश दिए (FILE)

हिमाचल में पर्यटन की एक तस्वीर:हिमाचल का ख्याल आते ही पहाड़, नदियां, झरने, घाटियां, हरियाली, सेब के बागीचे और मंदिरों-शक्तिपीठों की तस्वीर में मस्तिष्क में उभर आती है. सत्तर लाख से अधिक की जनसंख्या वाले शांतिप्रिय छोटे राज्य हिमाचल में कई पौराणिक स्थान, ऐतिहासिक इमारतें व मंदिर हैं. यहां की राजधानी शिमला ब्रिटिश राज के समय देश की समर कैपिटल रही है. शिमला में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक इमारतें हैं. चूंकि हिमाचल एक छोटा पहाड़ी राज्य है, लिहाजा यहां के टूरिस्ट डेस्टीनेशन अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं.

हिमाचल की खूबसूरत पहाड़ियों का दीदार करने आते हैं पर्यटक (FILE)

शिमला, कुल्लू-मनाली, चायल, मंडी, चंबा, डलहौजी, धर्मशाला, पालमपुर जैसे स्थल मनोरम हैं. इसके अलावा यहां धार्मिक पर्यटन की व्यापक संभावनाएं हैं. मंडी शहर छोटी काशी के नाम से विख्यात है. यहां पंचवक्त्र महादेव, भूतनाथ मंदिर, बाबा महामृत्युंजय मंदिर आस्था का प्रतीक हैं. कुल्लू में भगवान रघुनाथ सहित बिजली महादेव, शंगचूल महादेव सहित अन्य कई आस्था से प्रतीक मंदिर हैं. भरमौर में चौरासी टेंपल मशहूर हैं. चंबा एक हजार साल से भी अधिक पुराना शहर है. धर्मशाला में दलाई लामा का निवास है. मनाली का प्रीणी गांव भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का गांव भी कहलाता है. कुल्लू में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क है. यानी विविधता से भरा है हिमाचल का पर्यटन सेक्टर. इतना होने पर भी ये उद्योग के रूप में विकसित नहीं हो पाया है, जबकि दुनिया के कई छोटे देश पर्यटन से ही कमाई कर रहे हैं.

शिमला स्थित एपचीटीडीसी का होटल पीटर हॉफ (FILE)

पर्यटन सेक्टर पर एक नजर:हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग है. इसके साथ ही पर्यटन विकास निगम होटल संचालित करता है. निगम 56 होटलों का संचालन करता है. इसमें से कई घाटे में हैं. कुछ यदि घाटे में नहीं हैं तो उनकी ऑक्यूपेंसी भी पचास फीसदी से अधिक नहीं है. निगम के पास शिमला, कुल्लू, मनाली, मंडी, चंबा, खजियार, धर्मशाला, पालमपुर आदि प्रमुख शहरों में होटल हैं. दूसरी तरफ, हिमाचल में कुल होटलों, होम स्टे आदि की बात की जाए तो ये संख्या क्रमश: 4662 व 4146 है. यानी होटल व होम स्टे मिलाकर 8808 हैं. इनमें कुल कमरों की संख्या 76697 हैं. साथ ही बेड कैपेस्टी यानी बिस्तरों की संख्या 154448 है.

हिमाचल में शिमला, कुल्लू, धर्मशाला में हवाई अड्डे हैं, लेकिन यहां बड़ी उड़ानें नहीं होती हैं. यहां मंडी में इंटरनेशनल ग्रीन एयरपोर्ट स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है. साथ ही शिमला के जुब्बड़हट्टी अड्डे के विस्तार पर भी काम चला हुआ है. यदि शिमला हवाई अड्डा बड़े विमानों के लिए फंक्शनल हो जाए तो दिल्ली से 55 मिनट में शिमला पहुंचा जा सकता है. ऐसे में साल भर में अनुमानित सैलानियों की संख्या में तीस लाख से अधिक की बढ़ोतरी होगी. पूर्व में जब शिमला से दिल्ली व दिल्ली से शिमला हवाई यात्रा नियमित थी तो साल भर में अकेले इसी रूट पर आठ लाख सैलानी आते थे. बड़े विमान शुरू होने से ये संख्या तीस लाख से अधिक होगी.

हिमाचल में हर साल लाखों की संख्या में आते हैं सैलानी (FILE)

सवाल, जिनका जवाब जरूरी:अब यहीं पर सवाल उठते हैं कि जब प्राइवेट सेक्टर के होटल लाभ कमा रहे हैं तो सरकारी सेक्टर में क्या कमी है? पर्यटन कारोबार से जुड़े महेश प्रकाश का मानना है कि पर्यटन विकास निगम के होटलों में प्रोफेशनलिज्म का अभाव है. दुनिया बदल गई है. भारत में ही नया मध्यम वर्ग विकसित हो गया है. इस वर्ग के पास पैसा आया है तो ये सैर-सपाटे की तरफ आकर्षित हुआ है. इस वर्ग को साफ-सुथरी एकोमोडेशन चाहिए.

पर्यटन विकास निगम के होटलों में हॉस्पिटेलिटी के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है. साफ-सुथरे कमरे, स्टाफ का स्पोर्टिव व विनम्र व्यवहार और प्रॉपर गाइडेंस, समय की जरूरत है. यदि सैलानी को बेटर हॉस्पिटेलिटी एक्सपीरियंस नहीं मिलेगा तो वो दोबारा उस स्थान पर नहीं आएगा. साथ ही वो सोशल मीडिया पर अन्य लोगों के साथ अपने बुरे अनुभव शेयर करेगा. ऐसा नहीं है कि हिमाचल में पर्यटन विकास निगम के सभी होटल लाभ नहीं कमा रहे. कुल 56 में से 35 होटल घाटे में हैं और बाकी लाभ कमा रहे हैं. घाटे वाले होटलों की पड़ताल की जरूरत है.

ऑक्यूपेंस कम, लेकिन चायल पैलेस लाभ में:हाईकोर्ट के मंगलवार 19 नवंबर के आदेश में जिन होटलों की कम ऑक्यूपेंसी का जिक्र है, उनमें चायल पैलेस पहले नंबर पर है. दिलचस्प बात ये है कि चायल पैलेस होटल लाभ में है. लाभ कमाने में अव्वल नंबर शिमला के ट्रिपल एच यानी होटल होलीडे होम का है. दूसरा नंबर चायल पैलेस का है. यहां प्रवेश के लिए ही 100 रुपए प्रति व्यक्ति टिकट है.

भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने हाईकोर्ट में चल रहे केस और सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने केवल ऑक्यूपेंसी का ही ब्यौरा दिया है. सरकार को लाभ में चलने वाले होटल, घाटे में चलने वाले होटल, यहां होने वाले आयोजनों व अन्य पहलुओं पर भी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी. सुधीर शर्मा का आरोप है कि सरकार की मंशा कहीं इन होटलों की अकूत संपत्ति को औने-पौने दामों पर बेचने की तो नहीं?

सुखविंदर सरकार ने रखा है 5 करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य (FILE)

पर्यटन बढ़ाने को क्या करे सरकार:हिमाचल सरकार पर्यटन सेक्टर को मजबूती प्रदान कर रोजगार व राजस्व दोनों ही कमा सकती है. पर्यटन की संभावनाओं को समीप से परखने वाले कवि-संपादक और वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का कहना है कि सरकार को नए व अनछुए टूरिस्ट डेस्टीनेशन खोजने होंगे. पर्यटन का अर्थ केवल बहुमंजिला होटल ही नहीं है. हिमाचल की कला-संस्कृति, लोक परंपराओं से सैलानियों को परिचित करवाने के लिए क्रिएटिव विचार लागू करने होंगे. हिमाचल में पर्यटन का बड़ा स्रोत यहां की प्रकृति है. प्रकृति दर्शन के नए उपाय तलाशने पड़ेंगे. शक्तिपीठों में सुविधाओं का विस्तार करना होगा. साथ ही पर्यटकों को और अधिक समय के लिए बांधे रखने के उपाय करने होंगे. केवल वीकेंड टूरिज्म से काम नहीं बनेगा.

हिमाचल में पांच दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय बलदेव शर्मा का कहना है कि इस पहाड़ी राज्य की यूएसपी हिम यानी बर्फ है, लेकिन कंक्रीट के जंगल खड़े कर बर्फ की संभावनाओं को निरंतर कम किया जा रहा है. इसके अलावा पर्यटकों के लिए जाम आफत की तरह है. शिमला में प्रवेश करते ही जाम के साथ सामना होता है. इससे पर्यटक मानसिक तनाव झेलता है. पर्याप्त पार्किंग नहीं होने के कारण सैलानी परेशान होते हैं. पर्यटन स्थलों पर लूट की प्रवृति को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं है. ये समय सोशल मीडिया का है. यदि कोई कमी है तो वो सोशल मीडिया के जरिए पल भर में दुनिया के कोने-कोने में पहुंच जाती है. इससे प्रदेश की छवि पर असर पड़ता है. ऐसे अनेक बिंदु हैं, जिन पर फोकस करने की जरूरत है.

हिमाचल में पर्यटन विकास निगम की गाड़ी को पटरी पर लाने और सरपट दौड़ाने के लिए नियुक्त पूर्व आईएएस अफसर तरुण श्रीधर कहते हैं-पर्यटक शिमला क्यों आता है? क्या वो रिज पर कानफाड़ू संगीत सुनने, चाट-पापड़ी खाने, तंबोला खेलने आता है? नहीं, वो हिमाचल की संस्कृति, खान-पान से परिचय हासिल करने के लिए आता है. समर फेस्टीवल जैसे आयोजनों के दौरान कानफाड़ू संगीत आदि तो पर्यटक देश के अन्य शहरों में भी सुन सकता है.

श्रीधर कहते हैं कि हिमाचल के लिए पहाड़ ही प्राकृतिक सौंदर्य आरंभ है और यही अंत. ऐसे में नेचुरल ब्यूटी पर काम करने की अधिक जरूरत है. पर्यटकों को पहाड़ पर पर्यावरण का आनंद लेने के लिए बुलाया जाना चाहिए. साथ ही ये भी देखना चाहिए कि पर्यटन से हम क्या कमा रहे हैं और उसका क्या मूल्य चुका रहे हैं. होटल कारोबार से जुड़े पंकज चौहान का कहना है कि सरकारी सेक्टर के होटलों में प्रोफेशनल वर्क कल्चर की जरूरत है. सैलानियों की जिज्ञासा और सहूलियत के हिसाब से काम करने की जरूरत है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कई बार कह चुके हैं कि कांगड़ा को हिमाचल की टूरिज्म कैपिटल बनाया जा रहा है. इसके लिए सरकार कई कदम उठा रही है. टूरिज्म को लेकर कांग्रेस सरकार का विजन स्पष्ट है. राज्य सरकार सालाना पांच करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य लेकर चली है. फिलहाल, पर्यटन सेक्टर से जुड़ा हर व्यक्ति यही चाहता है, लेकिन ये संभव होगा तो कैसे? सवाल यही है.

ये भी पढ़ें:"हाईकोर्ट में जानबूझकर केस को किया कमजोर, विदेशी ग्रुप को प्रॉपर्टी बेचने की तैयारी" HPTDC के 18 होटल बंद होने पर भड़के सुधीर शर्मा

Last Updated : Nov 20, 2024, 8:50 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details