शिमला: आर्थिक संसाधनों की कमी वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के पर्यटन को उड़ान भरने के लिए नए पंख नहीं मिल रहे हैं. राज्य सरकार साल भर में पांच करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य लेकर चल रही है. इधर, हालात ये हैं कि राज्य सरकार के पर्यटन विकास निगम के नामी होटलों में ऑक्यूपेंसी निरंतर गिर रही है. पर्यटन विकास निगम अपने होटलों की हालत सुधारने में कामयाब नहीं हो पा रहा है. वहीं, सेवानिवृत कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद के वित्तीय लाभ जारी करने के लिए भी निगम के पास पैसे नहीं है.
मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां सरकार ने आर्थिक तंगी का रोना रोया. अदालत कानून का पालन करवाती है. जब स्थितियां सुधरती नहीं दिखी तो हाईकोर्ट ने पर्यटन विकास निगम के कम ऑक्यूपेंसी वाले होटलों को बंद करने के आदेश दे दिए. अदालत का मानना है कि जब निगम अपने रिटायरीज के फाइनेंशियल बेनिफिट्स नहीं दे पा रही है तो ये सफेद हाथी (आलीशान होटल) पालने का क्या लाभ है? प्रकृति ने हिमाचल को अनंत सुंदरता दी है. आखिर यहां की व्यवस्था पर्यटन सेक्टर को एक लाभ का सौदा क्यों नहीं बना पा रही? हिमाचल के पर्यटन के लिए सुख की खबर कैसे आएगी, इसी पर आगे की पंक्तियों में पड़ताल का प्रयास है.
हिमाचल में पर्यटन की एक तस्वीर:हिमाचल का ख्याल आते ही पहाड़, नदियां, झरने, घाटियां, हरियाली, सेब के बागीचे और मंदिरों-शक्तिपीठों की तस्वीर में मस्तिष्क में उभर आती है. सत्तर लाख से अधिक की जनसंख्या वाले शांतिप्रिय छोटे राज्य हिमाचल में कई पौराणिक स्थान, ऐतिहासिक इमारतें व मंदिर हैं. यहां की राजधानी शिमला ब्रिटिश राज के समय देश की समर कैपिटल रही है. शिमला में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक इमारतें हैं. चूंकि हिमाचल एक छोटा पहाड़ी राज्य है, लिहाजा यहां के टूरिस्ट डेस्टीनेशन अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं.
शिमला, कुल्लू-मनाली, चायल, मंडी, चंबा, डलहौजी, धर्मशाला, पालमपुर जैसे स्थल मनोरम हैं. इसके अलावा यहां धार्मिक पर्यटन की व्यापक संभावनाएं हैं. मंडी शहर छोटी काशी के नाम से विख्यात है. यहां पंचवक्त्र महादेव, भूतनाथ मंदिर, बाबा महामृत्युंजय मंदिर आस्था का प्रतीक हैं. कुल्लू में भगवान रघुनाथ सहित बिजली महादेव, शंगचूल महादेव सहित अन्य कई आस्था से प्रतीक मंदिर हैं. भरमौर में चौरासी टेंपल मशहूर हैं. चंबा एक हजार साल से भी अधिक पुराना शहर है. धर्मशाला में दलाई लामा का निवास है. मनाली का प्रीणी गांव भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का गांव भी कहलाता है. कुल्लू में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क है. यानी विविधता से भरा है हिमाचल का पर्यटन सेक्टर. इतना होने पर भी ये उद्योग के रूप में विकसित नहीं हो पाया है, जबकि दुनिया के कई छोटे देश पर्यटन से ही कमाई कर रहे हैं.
पर्यटन सेक्टर पर एक नजर:हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग है. इसके साथ ही पर्यटन विकास निगम होटल संचालित करता है. निगम 56 होटलों का संचालन करता है. इसमें से कई घाटे में हैं. कुछ यदि घाटे में नहीं हैं तो उनकी ऑक्यूपेंसी भी पचास फीसदी से अधिक नहीं है. निगम के पास शिमला, कुल्लू, मनाली, मंडी, चंबा, खजियार, धर्मशाला, पालमपुर आदि प्रमुख शहरों में होटल हैं. दूसरी तरफ, हिमाचल में कुल होटलों, होम स्टे आदि की बात की जाए तो ये संख्या क्रमश: 4662 व 4146 है. यानी होटल व होम स्टे मिलाकर 8808 हैं. इनमें कुल कमरों की संख्या 76697 हैं. साथ ही बेड कैपेस्टी यानी बिस्तरों की संख्या 154448 है.
हिमाचल में शिमला, कुल्लू, धर्मशाला में हवाई अड्डे हैं, लेकिन यहां बड़ी उड़ानें नहीं होती हैं. यहां मंडी में इंटरनेशनल ग्रीन एयरपोर्ट स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है. साथ ही शिमला के जुब्बड़हट्टी अड्डे के विस्तार पर भी काम चला हुआ है. यदि शिमला हवाई अड्डा बड़े विमानों के लिए फंक्शनल हो जाए तो दिल्ली से 55 मिनट में शिमला पहुंचा जा सकता है. ऐसे में साल भर में अनुमानित सैलानियों की संख्या में तीस लाख से अधिक की बढ़ोतरी होगी. पूर्व में जब शिमला से दिल्ली व दिल्ली से शिमला हवाई यात्रा नियमित थी तो साल भर में अकेले इसी रूट पर आठ लाख सैलानी आते थे. बड़े विमान शुरू होने से ये संख्या तीस लाख से अधिक होगी.
सवाल, जिनका जवाब जरूरी:अब यहीं पर सवाल उठते हैं कि जब प्राइवेट सेक्टर के होटल लाभ कमा रहे हैं तो सरकारी सेक्टर में क्या कमी है? पर्यटन कारोबार से जुड़े महेश प्रकाश का मानना है कि पर्यटन विकास निगम के होटलों में प्रोफेशनलिज्म का अभाव है. दुनिया बदल गई है. भारत में ही नया मध्यम वर्ग विकसित हो गया है. इस वर्ग के पास पैसा आया है तो ये सैर-सपाटे की तरफ आकर्षित हुआ है. इस वर्ग को साफ-सुथरी एकोमोडेशन चाहिए.
पर्यटन विकास निगम के होटलों में हॉस्पिटेलिटी के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है. साफ-सुथरे कमरे, स्टाफ का स्पोर्टिव व विनम्र व्यवहार और प्रॉपर गाइडेंस, समय की जरूरत है. यदि सैलानी को बेटर हॉस्पिटेलिटी एक्सपीरियंस नहीं मिलेगा तो वो दोबारा उस स्थान पर नहीं आएगा. साथ ही वो सोशल मीडिया पर अन्य लोगों के साथ अपने बुरे अनुभव शेयर करेगा. ऐसा नहीं है कि हिमाचल में पर्यटन विकास निगम के सभी होटल लाभ नहीं कमा रहे. कुल 56 में से 35 होटल घाटे में हैं और बाकी लाभ कमा रहे हैं. घाटे वाले होटलों की पड़ताल की जरूरत है.