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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पहली पत्नी के होते दूसरी पत्नी नहीं दर्ज करा सकती हिंसा का केस - high court news

high court news: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है. आखिर क्या है ये फैसला चलिए जानते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 4, 2024, 10:19 AM IST

Updated : Apr 4, 2024, 12:56 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि किसी हिंदू व्यक्ति की दूसरी पत्नी को आईपीसी के तहत उत्पीड़न या क्रूरता का केस दर्ज करने का अधिकार नहीं है मगर दूसरी पत्नी दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा सकती है क्योंकि दहेज मांगने के लिए शादी का होना जरूरी नहीं है. कोर्ट का कहना है कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी शून्य मानी जाएगी इसलिए दूसरी पत्नी हिंसा का केस नहीं दर्ज करा सकती है.

रॉबर्ट्सगंज सोनभद्र निवसी अखिलेश केसरी की याचिका पर सुनवाई करते न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने कहा कि आईपीसी की धारा 498 ए के तहत दूसरी पत्नी को पति के खिलाफ क्रूरता का केस दर्ज करने का अधिकार नहीं है मगर वह दहेज उत्पीड़न की धारा 3/4 के तहत दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कर सकती है.

कोर्ट का कहना है कि यदि दोनों के बीच शादी करने का वादा हुआ है और पुरुष इसके लिए दहेज मांगता है तो दहेज उत्पीड़न का केस चलाया जा सकता है. कोर्ट ने 498 ए आईपीसी के तहत दर्ज मामले को रद्द करते हुए कहा कि याची के विरुद्ध मारपीट, धमकी देने और दहेज उत्पीड़न का मुक़दमा चलेगा और विचारण न्यायालय इसकी कार्रवाई पूरी करें. इस मामले में पुलिस ने याची के खिलाफ मारपीट करने, धमकाने व जान से मारने की धमकी देने के अलावा पत्नी के साथ क्रूरता करने की धारा 498 ए आईपीसी के तहत भी मामला दर्ज किया था. कोर्ट ने 498 ए की धारा को रद्द कर दी है तथा अन्य धाराओं के साथ दहेज उत्पीड़न की धारा में मुकदमे का विचारण करने का निर्देश दिया है.

Last Updated : Apr 4, 2024, 12:56 PM IST

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