लखनऊ: प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 (PM Awas Yojana) में जमीन होने की दशा में सब्सिडी देने के कड़े नियम होंगे. शहरी क्षेत्र में मकान का हाउस टैक्स और बिजली का बिल मान्य नहीं होगा. यह मालिकाना हक का प्रमाण नहीं माना जाएगा. बिना वैध रजिस्ट्री के लाभ नहीं मिलेगा. यह व्यवस्था ऐसे आवेदकों पर लागू होगी जो अपनी जमीन पर निर्माण करके प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सब्सिडी (PMAY Subsidy) लेना चाहते हैं. दूसरी ओर सरकार का यह स्पष्ट निर्देश है कि मात्र कब्जे के आधार पर किसी जमीन पर रह रहे लोगों को इस योजना का लाभ न दिया जाए.
यूपी में जल्द लागू करने की तैयारीः यूपी में जल्द ही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी-2) लागू करने की तैयारी है. इसके लिए वे लोग पात्र माने जाएंगे, जिन्हें शहरों में 20 सालों में केंद्र, राज्य की किसी भी आवासीय योजना में लाभ नहीं मिला है. इस बार योजना में ईडब्ल्यूएस, एलआईजी के साथ मध्य आय वर्ग के लोग भी पात्र माने जाएंगे. इसके दायरे में सालाना छह से नौ लाख रुपये कमाने वाले पात्र माने जाएंगे. इस योजना में मध्य वर्ग के लोगों को शामिल करते हुए मकान दिया जाएगा. दो से बढ़ाकर तीन श्रेणी बनाई गईं हैं. यूपी में इस योजना के तहत इस बार 75 जिलों में करीब एक लाख प्रधानमंत्री आवास का निर्माण किया जाएगा.
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कौन है नोडल एजेंसीः प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए नोडल विभाग राज्य शहरी विकास अभिकरण (सूडा) है. सूडा की पात्रता के आधार पर विकास पर अधिकार और हाउसिंग बोर्ड आवंटन करते हैं. इसके अतिरिक्त ऐसे लोग जिनके पास अपना एक जमीन का टुकड़ा है और उस पर निर्माण करके प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेना चाहते हैं उनको ढाई लाख रुपए तक की सब्सिडी सरकार की ओर से दी जाती है. इस योजना में कुछ अन्य लाभ भी जुड़े हैं मगर ऐसे लोग जो कब्जे के आधार पर किसी भूमि पर रह रहे हैं और उनको बिजली कनेक्शन मिल चुका और वे हाउस टैक्स जमा कर रहे हैं, ऐसे लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा.
फिर कैसे प्रमाणित होगी पात्रताः आवेदकों की पात्रता केवल मालिकाना हक प्रमाणित होने पर ही दी जाएगी. इससे पहले अकबरनगर जैसी कॉलोनी में सरकार को काफी नुकसान हो चुका है. जहां लाभ देने के बाद ऐसे आवासों को ध्वस्त कर दिया गया. राज्य शहरी विकास अभिकरण के निदेशक अनिल पाठक ने बताया कि मालिकाना हक प्रमाणित होने. वैध रजिस्ट्री होने की दशा में ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ मिल सकेंगे.
यूपी में कौन होंगे पात्रः केंद्र सरकार ने 2015-16 से प्रधानमंत्री आवास योजना एक की शुरुआत की थी. यह योजना समाप्त हो गई है. अब नई योजना पीएम आवास-दो की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा की गई है. उत्तर प्रदेश में इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. योजना में दो की जगह तीन श्रेणियों में लोगों को पात्र माना जाएगा. दुर्बल आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) तीन लाख, निम्न आय वर्ग (एलआईजी) तीन से छह लाख और मध्य आय वर्ग छह से नौ लाख रुपये तक कई आय सीमा वालों को आवास दिए जाएंगे. उच्च स्तर पर सहमति बनने के बाद कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराने की तैयारी है.
उत्तर प्रदेश में 300 से 500 वर्ग फ़ीट के होंगे आवासः योजना शहरी एक के तहत 31 दिसंबर 2023 के बाद केंद्रीय स्वीकृति निगरानी समिति द्वारा आवंटन खारिज होता है, तो वे इसमें पात्र नहीं होंगे. हर जिले में तीन सदस्यीय समिति की देखरेख में पात्र चुने जाएंगे. उत्तर प्रदेश में EWS श्रेणी के PM आवास 300 वर्ग फ़ीट, LIG श्रेणी के 400 वर्ग फ़ीट और MIG श्रेणी के 500 वर्ग फ़ीट के होंगे. उत्तर प्रदेश शहरी के तहत PM आवास में लगभग 100000 आवासों का निर्माण किया जाएगा. बड़े जिलों में अधिक और छोटे जिलों में कम आवास का निर्माण होगा. मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना में आवंटन में सभी तरह की पारदर्शिता बरतने का निर्देश दिया गया है. अधिक से अधिक लोगों को आवास मिल सके इसका हर संभव प्रयास किया जाएगा. जिसके लिए केंद्र सरकार पूरी मदद कर रही है.
इतना खर्च करेगी सरकारः PMAY 2.0 के तहत केंद्र सरकार ने 2.30 लाख करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है. योजना के पहले चरण में 1.18 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई थी, जिनमें से 85.5 लाख घर लाभार्थियों को सौंपे जा चुके हैं. इस चरण में पात्र लाभार्थियों को चार कैटेगरी के तहत किफायती घर बनाने, खरीदने और किराए पर लेने में मदद मिलेगी.
कैसे करें आवेदनः योजना के तहत आवेदन करने के लिए www.pmay-urban.gov.in वेबसाइट पर जाएं. PMAY-U 2.0 पर क्लिक करें और अपनी आय, पता और अन्य दस्तावेज अपलोड करें. आधार नंबर का प्रमाणीकरण करने के बाद फॉर्म जमा करें. आवेदन की स्थिति को पोर्टल पर ट्रैक किया जा सकता है. प्रधानमंत्री आवास योजना का दूसरा चरण शहरी क्षेत्रों में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए किफायती घर का सपना साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे न केवल लोगों को घर मिलेंगे, बल्कि शहरी क्षेत्र में रहने की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.
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