ETV Bharat / state

त्योहार की रंगीन मिठाइयां कहीं बीमार न कर दें; लीवर-किडनी को सबसे ज्यादा खतरा, FSDA की कवायद फेल - HARMFUL SWEET COLORS

मिठाइयों के खूबसूरत रंग कई घातक रोगों को दे सकते हैं दावत, जानिए एक्सपर्ट ने क्या सलाह दी.

मिठाईयों के रंग से लीवर व किडनी खराब हो सकते हैं.
मिठाईयों के रंग से लीवर व किडनी खराब हो सकते हैं. (Photo Credit: ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 13, 2025, 10:17 AM IST

Updated : Feb 13, 2025, 11:53 AM IST

लखनऊ: होली का त्योहार आने वाला है. इस पर्व पर मिठाइयां, खोया, गुझिया, पनीर, दही सहित तमाम खाने वाले और डेयरी प्रोडक्ट्स की खरीदारी की जाती है. रंग-बिरंगी मिठाइयां बच्चों को भी लुभाती हैं, लेकिन बाजार से पैसा कमाने के लालच में इनमें खूब मिलावट की जाती है. सिंथेटिक और केमिकल वाले कलर डालकर यह प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं, जो धीमा जहर से कम नहीं है. यह पेट के साथ हमारी किडनी और लीवर के लिए भी घातक है.

ETV भारत ने केमिकल कलर से बनी मिठाइयों से होने वाले नुकसान को लेकर एक्सपर्ट्स से बात की. आम लोगों से भी जाना कि आखिरकार इन जहरीले सामानों की खरीद-बिक्री पर रोक कैसे लग सकती है? एक्सपर्ट ने जहां सावधानी बरतने और बाजार के प्रोडक्ट से दूरी बनाने की सलाह दी. वहीं, आम लोगों का साफ कहना है कि सरकारी एजेंसियों को ईमानदारी से इन प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगानी चाहिए. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

मिठाइयों के खूबसूरत रंग आपको कर सकते हैं गंभीर बीमार. (Video Credit: ETV Bharat)

कलरफुल मिठाइयों से किडनी-लीवर पर खतरा: लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में कैंसर विभाग के डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि आजकल त्यौहारों पर ही नहीं बल्कि रोजाना यूज होने वाली मिठाइयों और खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर केमिकल रंगों का प्रयोग होता है. यह रंग मिठाई व खाद्य पदार्थों को खूबसूरत तो बनाते हैं, लेकिन उससे कहीं ज्यादा खतरनाक बना देते हैं. सिंथेटिक कलर से बनाए गए खाद्य पदार्थ को मिठाइयों के खाने से लीवर व किडनी पर निगेटिव प्रभाव पड़ता है. केमिकल वाले रंगों से बनाए गए खाद्य पदार्थ के लगातार उपयोग से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी होती है. लोगों को खुद ही यह तय करना चाहिए कि जो प्रोडक्ट वो ले रहे हैं, उसमें केमिकल, रंग या कोई दूसरी मिलावट न हो.

धड़ल्ले से परोसा जा रहा केमिकल: राजधानी लखनऊ के लोगों ने बताया कि हर कोई यह जानता है कि मिठाई वह खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग हो रहा है. इतना ही नहीं बड़ी दुकानों से लेकर ठेले, खोमचे तक मिलावटी खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से परोसे जा रहे हैं. नौकरीपेशा वाले लोग, जो अपने घरों से दूर हैं, वो मजबूरी में इन खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं. होली जैसे त्यौहार पर तो मिठाई खरीदना लोगों के लिए मजबूरी बन जाता है. इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को कड़े कदम उठाने चाहिए.

क्या होता है सिंथेटिक कलर और कहां-कहां हो रहा उपयोग: सामान्य भाषा में समझें तो केमिकल के प्रयोग से जो रंग बनाए जाते हैं, उसे ही कृत्रिम रंग कहा जाता है. यह केमिकल ही होते हैं, जो खाद्य पदार्थ के रंग को खूबसूरत, आकर्षक बना देता है. केमिकल के बारे में जानकारी रखने वाले अतुल शुक्ला ने ईटीवी को बताया कि खाद्य पदार्थ में ऐसे केमिकल का प्रयोग किया जाता है, जो काफी नुकसानदेह है. इन कृत्रिम रंगों में कोलतार, पेट्रोलियम से मिले केमिकल का प्रयोग किया जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.

कृत्रिम रंग का प्रयोग मार्केट में मिलने वाली मिठाई में किया जाता है. साथ ही रेस्टोरेंट व ठेले, खोमचे पर मिलने वाले खाद्य पदार्थ में भी बड़े पैमाने पर कृत्रिम रंग का प्रयोग किया जाता है. रेस्टोरेंट में निम्न क्वालिटी का सॉस प्रयोग होता है. इसमें भी कृत्रिम रंग का प्रयोग होता है. रेस्टोरेंट में मिलने वाला रंगीन पुलाव, रंगीन मिठाई, केसरिया दूध, डेयरी प्रोडक्ट में मिलावट होती है. पैकेट फूड जैसे कि पैक्ड मिठाई, पैक्ड चिप्स, पैक्ड सोया आदि में भी यही जहर मिला होता है.


प्राकृतिक रंगों का करें प्रयोग: खाने में प्रयोग करने के लिए हमारे पास कई विकल्प हैं. प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करकते खाद्य पदार्थों को स्वास्थ्यवर्धक बनाया जा सकता है. लेकिन कम लागत और कम मेहनत के कारण दुकानदार कृत्रिम रंगों का प्रयोग करते हैं और लोगों की जान पर जोखिम पैदा करते हैं. जबकि लाल रंग के लिए चुकंदर या टमाटर, हरे रंग के लिए पालक, ग्रीन टी का पाउडर, पीले रंग के लिए हल्दी और केसर, गुलाबी रंग के लिए रस भरी या स्ट्रॉबेरी, नारंगी रंग के लिए शकरकंद, गाजर, लाल शिमला मिर्च, जामुनी रंग के लिए जामुनी शकरकंद, ब्लूबेरी और भूरे रंग के लिए कोक चाय या कॉफी का प्रयोग करना चाहिए.

जिम्मेदार विभाग और जांच एजेंसिया फेल: खाद्य पदार्थों के उत्पादन व बिक्री की निगरानी के लिए फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) जैसी संस्थाएं हैं. हर जिले में एक डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर की तैनाती इसीलिए की जाती है. एफएसडीए की जिम्मेदारी है कि वह मार्केट में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की जांच करें. जो भी लोग मानक के अनुरूप खाद्य पदार्थों का उत्पादन या बिक्री नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद शहर में बड़े पैमाने पर सिंथेटिक कलर का उपयोग हो रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए लोगों ने आरोप लगाया कि अगर जिम्मेदार अधिकारी चाहें तो मार्केट से सिंथेटिक कलर का उपयोग खत्म किया जा सकता है. लेकिन अधिकारियों की कमजोर इच्छाशक्ति व भ्रष्टाचार के चलते लोगों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है. लोग मजबूरी में धीमे जहर का शिकार हो रहे हैं. दूषित खाद्य पदार्थ आज हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या है.

आप भी कर सकते हैं शिकायत: अगर आपको लगता है कि आपके घर के आस-पास कोई ऐसी दुकान या उत्पादन केंद्र है, जहां पर खाद्य सामग्री का निर्माण किया जाता है. निर्माण के दौरान केमिकल युक्त मिलावटी सामान बनाकर बिक्री किया जाता है, तो आप इसके लिए जिले के फूड ऑफिसर को शिकायत कर सकते हैं. अगर आपकी शिकायत पर समय रहते संज्ञान नहीं लिया जाता, तो आप जिले के जिला मजिस्ट्रेट को शिकायत करें.

लखनऊ एफएसडीए के डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर विजय प्रताप सिंह ने बताया कि हम समय-समय पर अभियान चलाकर सिंथेटिक कलर का उपयोग करने व बिक्री करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. यदि कहीं दूषित व मिलावटी खाद्य पदार्थ का निर्माण व बिक्री होती है, तो उसकी जानकारी कलेक्ट्रेट स्थिति एफएसडीए कार्यालय में की जा सकती है. शिकायत के आधार पर कार्रवाई जरुर की जाएगी.

यह भी पढ़ें: लखनऊ: त्यौहारी सीजन में मिलावटखोरों के खिलाफ FSDA का मास्टर प्लान - खाद्य सामग्री में मिलावट

लखनऊ: होली का त्योहार आने वाला है. इस पर्व पर मिठाइयां, खोया, गुझिया, पनीर, दही सहित तमाम खाने वाले और डेयरी प्रोडक्ट्स की खरीदारी की जाती है. रंग-बिरंगी मिठाइयां बच्चों को भी लुभाती हैं, लेकिन बाजार से पैसा कमाने के लालच में इनमें खूब मिलावट की जाती है. सिंथेटिक और केमिकल वाले कलर डालकर यह प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं, जो धीमा जहर से कम नहीं है. यह पेट के साथ हमारी किडनी और लीवर के लिए भी घातक है.

ETV भारत ने केमिकल कलर से बनी मिठाइयों से होने वाले नुकसान को लेकर एक्सपर्ट्स से बात की. आम लोगों से भी जाना कि आखिरकार इन जहरीले सामानों की खरीद-बिक्री पर रोक कैसे लग सकती है? एक्सपर्ट ने जहां सावधानी बरतने और बाजार के प्रोडक्ट से दूरी बनाने की सलाह दी. वहीं, आम लोगों का साफ कहना है कि सरकारी एजेंसियों को ईमानदारी से इन प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगानी चाहिए. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

मिठाइयों के खूबसूरत रंग आपको कर सकते हैं गंभीर बीमार. (Video Credit: ETV Bharat)

कलरफुल मिठाइयों से किडनी-लीवर पर खतरा: लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में कैंसर विभाग के डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि आजकल त्यौहारों पर ही नहीं बल्कि रोजाना यूज होने वाली मिठाइयों और खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर केमिकल रंगों का प्रयोग होता है. यह रंग मिठाई व खाद्य पदार्थों को खूबसूरत तो बनाते हैं, लेकिन उससे कहीं ज्यादा खतरनाक बना देते हैं. सिंथेटिक कलर से बनाए गए खाद्य पदार्थ को मिठाइयों के खाने से लीवर व किडनी पर निगेटिव प्रभाव पड़ता है. केमिकल वाले रंगों से बनाए गए खाद्य पदार्थ के लगातार उपयोग से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी होती है. लोगों को खुद ही यह तय करना चाहिए कि जो प्रोडक्ट वो ले रहे हैं, उसमें केमिकल, रंग या कोई दूसरी मिलावट न हो.

धड़ल्ले से परोसा जा रहा केमिकल: राजधानी लखनऊ के लोगों ने बताया कि हर कोई यह जानता है कि मिठाई वह खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग हो रहा है. इतना ही नहीं बड़ी दुकानों से लेकर ठेले, खोमचे तक मिलावटी खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से परोसे जा रहे हैं. नौकरीपेशा वाले लोग, जो अपने घरों से दूर हैं, वो मजबूरी में इन खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं. होली जैसे त्यौहार पर तो मिठाई खरीदना लोगों के लिए मजबूरी बन जाता है. इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को कड़े कदम उठाने चाहिए.

क्या होता है सिंथेटिक कलर और कहां-कहां हो रहा उपयोग: सामान्य भाषा में समझें तो केमिकल के प्रयोग से जो रंग बनाए जाते हैं, उसे ही कृत्रिम रंग कहा जाता है. यह केमिकल ही होते हैं, जो खाद्य पदार्थ के रंग को खूबसूरत, आकर्षक बना देता है. केमिकल के बारे में जानकारी रखने वाले अतुल शुक्ला ने ईटीवी को बताया कि खाद्य पदार्थ में ऐसे केमिकल का प्रयोग किया जाता है, जो काफी नुकसानदेह है. इन कृत्रिम रंगों में कोलतार, पेट्रोलियम से मिले केमिकल का प्रयोग किया जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.

कृत्रिम रंग का प्रयोग मार्केट में मिलने वाली मिठाई में किया जाता है. साथ ही रेस्टोरेंट व ठेले, खोमचे पर मिलने वाले खाद्य पदार्थ में भी बड़े पैमाने पर कृत्रिम रंग का प्रयोग किया जाता है. रेस्टोरेंट में निम्न क्वालिटी का सॉस प्रयोग होता है. इसमें भी कृत्रिम रंग का प्रयोग होता है. रेस्टोरेंट में मिलने वाला रंगीन पुलाव, रंगीन मिठाई, केसरिया दूध, डेयरी प्रोडक्ट में मिलावट होती है. पैकेट फूड जैसे कि पैक्ड मिठाई, पैक्ड चिप्स, पैक्ड सोया आदि में भी यही जहर मिला होता है.


प्राकृतिक रंगों का करें प्रयोग: खाने में प्रयोग करने के लिए हमारे पास कई विकल्प हैं. प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करकते खाद्य पदार्थों को स्वास्थ्यवर्धक बनाया जा सकता है. लेकिन कम लागत और कम मेहनत के कारण दुकानदार कृत्रिम रंगों का प्रयोग करते हैं और लोगों की जान पर जोखिम पैदा करते हैं. जबकि लाल रंग के लिए चुकंदर या टमाटर, हरे रंग के लिए पालक, ग्रीन टी का पाउडर, पीले रंग के लिए हल्दी और केसर, गुलाबी रंग के लिए रस भरी या स्ट्रॉबेरी, नारंगी रंग के लिए शकरकंद, गाजर, लाल शिमला मिर्च, जामुनी रंग के लिए जामुनी शकरकंद, ब्लूबेरी और भूरे रंग के लिए कोक चाय या कॉफी का प्रयोग करना चाहिए.

जिम्मेदार विभाग और जांच एजेंसिया फेल: खाद्य पदार्थों के उत्पादन व बिक्री की निगरानी के लिए फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) जैसी संस्थाएं हैं. हर जिले में एक डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर की तैनाती इसीलिए की जाती है. एफएसडीए की जिम्मेदारी है कि वह मार्केट में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की जांच करें. जो भी लोग मानक के अनुरूप खाद्य पदार्थों का उत्पादन या बिक्री नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद शहर में बड़े पैमाने पर सिंथेटिक कलर का उपयोग हो रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए लोगों ने आरोप लगाया कि अगर जिम्मेदार अधिकारी चाहें तो मार्केट से सिंथेटिक कलर का उपयोग खत्म किया जा सकता है. लेकिन अधिकारियों की कमजोर इच्छाशक्ति व भ्रष्टाचार के चलते लोगों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है. लोग मजबूरी में धीमे जहर का शिकार हो रहे हैं. दूषित खाद्य पदार्थ आज हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या है.

आप भी कर सकते हैं शिकायत: अगर आपको लगता है कि आपके घर के आस-पास कोई ऐसी दुकान या उत्पादन केंद्र है, जहां पर खाद्य सामग्री का निर्माण किया जाता है. निर्माण के दौरान केमिकल युक्त मिलावटी सामान बनाकर बिक्री किया जाता है, तो आप इसके लिए जिले के फूड ऑफिसर को शिकायत कर सकते हैं. अगर आपकी शिकायत पर समय रहते संज्ञान नहीं लिया जाता, तो आप जिले के जिला मजिस्ट्रेट को शिकायत करें.

लखनऊ एफएसडीए के डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर विजय प्रताप सिंह ने बताया कि हम समय-समय पर अभियान चलाकर सिंथेटिक कलर का उपयोग करने व बिक्री करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. यदि कहीं दूषित व मिलावटी खाद्य पदार्थ का निर्माण व बिक्री होती है, तो उसकी जानकारी कलेक्ट्रेट स्थिति एफएसडीए कार्यालय में की जा सकती है. शिकायत के आधार पर कार्रवाई जरुर की जाएगी.

यह भी पढ़ें: लखनऊ: त्यौहारी सीजन में मिलावटखोरों के खिलाफ FSDA का मास्टर प्लान - खाद्य सामग्री में मिलावट

Last Updated : Feb 13, 2025, 11:53 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.