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मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद पति ने खोली आंख की पट्टी तो बगल के बेड पर भर्ती मिली 25 दिन से लापता पत्नी - MISSING WIFE MEETS HUSBAND

घर से अचानक कहीं चली गई थी महिला, कई जिलों में तलाश कर थक चुका था पति.

अस्पताल में पत्नी शांति के साथ राकेश.
अस्पताल में पत्नी शांति के साथ राकेश. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 13, 2025, 1:34 PM IST

उन्नाव : 'मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. पत्नी मानसिक तनाव में थी. वह घर से अचानक निकली, फिर लौटी नहीं. काफी तलाश किया, लेकिन वह नहीं मिली. दौड़ते-भागते मैं खुद बीमार हो गया. आंखों में समस्या होने लगी. जिला अस्पताल पहुंचा तो पता चला कि मोतियाबिंद हो गया है. इसके बाद ऑपरेशन करवा लिया. आंख की पट्टी खोलते ही मेरे बगल वाले बेड पर पत्नी भर्ती मिली. अब अपना दर्द भूलकर उसकी देखभाल कर रहा हूं'.

ये बताते हुए जिले के केवटा तालाब बस्ती के रहने वाले राकेश कुमार की आंखें भर आईं. 25 दिनों से जिस पत्नी की खोजबीन करते-करते वह नाउम्मीद हो चले थे, वह इस तरह उन्हें मिल जाएगी, उन्होंने कभी सोचा नहीं था. ऑपरेशन के बाद खुद की तकलीफों को भूलकर वह पत्नी की सेवा में जुटे हैं. उनका प्रयास है कि पत्नी किसी तरह स्वस्थ हो जाए.

बीमार पत्नी की देखभाल कर रहे राकेश. (Video Credit; ETV Bharat)

अब पढ़िए बिछड़ने और फिर मिलने की पूरी कहानी : राकेश ने बताया कि 13 जनवरी तारीख को पत्नी शांति देवी घर से कहीं निकल गई. वह मानसिक रूप से परेशान थी. इसके बाद लौटी नहीं. हम काफी तलाश करते रहे. कुछ पता न चलने पर गुमशुदगी दर्ज कराई. ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज कराई. फोटो भी निकलवा दिए. कानपुर, लखनऊ, कन्नौज भी जाकर ढूंढा. कई रात सोया नहीं. पत्नी के बिना मेरा जीवन ठहर सा गया. घर लौटने का भी मन नहीं किया. इसकी वजह से मैं दोस्त के पास चला गया.

राकेश ने आगे बताया कि दोस्त के यहां रहते हुए कुछ ही दिन बीते थे कि मेरी आंखों में परेशानी होने लगी. जिला अस्पताल में जांच कराया तो चिकित्सक बोले मोतियाबिंद हो गया है. जल्द ऑपरेशन करना पड़ेगा. चिकित्सक की सलाह पर 6 फरवरी को आंख का ऑपरेशन करवा लिया. इसके बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. वह बेड नंबर 20 पर भर्ती थे. बाद में 7 फरवरी को चिकित्सकों ने उनकी आंख की पट्टी खोली तो उन्हें पास के बेड नंबर 19 से एक महिला की जानी-पहचान आवाज सुनाई दी. वह पानी मांग रही थी.

अगल-बगल हैं पति-पत्नी के बेड.
अगल-बगल हैं पति-पत्नी के बेड. (Photo Credit; ETV Bharat)

राकेश ने बताया कि गौर करने पर पता चला कि यह तो पत्नी की आवाज है. इसके बाद धीरे-धीरे उसके बेड तक पहुंचा, देखा तो वह वाकई में पत्नी ही थी. उसके सिर पर चोट लगी थी. वह मुझे पहचान नहीं पा रही थी. वह कुछ कहने की स्थिति में भी नहीं थी. खुशी इस बात की थी वह मिल गई थी. उसे चोट कैसे लगी, वह इतने दिनों तक कहां रही, इसके बारे वह अभी कुछ नहीं बता पा रही है.

बहुत परेशान हूं, खाने-पीने की भी तंगी है : राकेश ने बताया कि हम लोगों को कोई देखने-सुनने वाला नहीं है. मैं वेल्डिंग का काम करता हूं. लेकिन आमदनी उतनी नहीं है. खाने-पीने की भी तंगी है. हम कह रहे कि पत्नी का एक्स-रे करवा दो, उसके पैर में चोट बहुत लगी है. हम खुद अपनी आंख से परेशान हैं. पत्नी अपने से परेशान है. बताइए क्या करें?, परिवार में कोई तीसरा है नहीं, हमें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा. जब सरकारी में इलाज नहीं होगा तो प्राइवेट में कैसे करा पाएंगे. पत्नी मिल गई तो सेवा तो करनी पड़ेगी. उसके लिए पैसे चाहिए, मदद चाहिए, कहां से होगा ये.

पत्नी के मिलने पर भूल बैठा अपना दर्द : राकेश के अनुसार पत्नी के मिलने पर वह अपना दुख-दर्द भूल बैठे हैं. अब वह पत्नी की देखभाल कर रहे हैं. पत्नी अब बोलने लगी है. उन्हें भरोसा नहीं था कि पत्नी इस तरह मिल जाएगी. पत्नी सही-सलामत आंखों के सामने रहे, अब बस यही तमन्ना है. वहीं डॉक्टर कौशलेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक शांति देवी को सिर पर गंभीर चोट लगी थी. जिस समय उन्हें यहां लाया गया वह कुछ बेहोशी की हालत में थी. इलाज से धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.

यह भी पढ़ें : कानपुर में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे बुजुर्ग दंपति, रोते हुये बोले- 'छह माह से बेटी लापता, जिंदा है या नहीं'

उन्नाव : 'मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. पत्नी मानसिक तनाव में थी. वह घर से अचानक निकली, फिर लौटी नहीं. काफी तलाश किया, लेकिन वह नहीं मिली. दौड़ते-भागते मैं खुद बीमार हो गया. आंखों में समस्या होने लगी. जिला अस्पताल पहुंचा तो पता चला कि मोतियाबिंद हो गया है. इसके बाद ऑपरेशन करवा लिया. आंख की पट्टी खोलते ही मेरे बगल वाले बेड पर पत्नी भर्ती मिली. अब अपना दर्द भूलकर उसकी देखभाल कर रहा हूं'.

ये बताते हुए जिले के केवटा तालाब बस्ती के रहने वाले राकेश कुमार की आंखें भर आईं. 25 दिनों से जिस पत्नी की खोजबीन करते-करते वह नाउम्मीद हो चले थे, वह इस तरह उन्हें मिल जाएगी, उन्होंने कभी सोचा नहीं था. ऑपरेशन के बाद खुद की तकलीफों को भूलकर वह पत्नी की सेवा में जुटे हैं. उनका प्रयास है कि पत्नी किसी तरह स्वस्थ हो जाए.

बीमार पत्नी की देखभाल कर रहे राकेश. (Video Credit; ETV Bharat)

अब पढ़िए बिछड़ने और फिर मिलने की पूरी कहानी : राकेश ने बताया कि 13 जनवरी तारीख को पत्नी शांति देवी घर से कहीं निकल गई. वह मानसिक रूप से परेशान थी. इसके बाद लौटी नहीं. हम काफी तलाश करते रहे. कुछ पता न चलने पर गुमशुदगी दर्ज कराई. ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज कराई. फोटो भी निकलवा दिए. कानपुर, लखनऊ, कन्नौज भी जाकर ढूंढा. कई रात सोया नहीं. पत्नी के बिना मेरा जीवन ठहर सा गया. घर लौटने का भी मन नहीं किया. इसकी वजह से मैं दोस्त के पास चला गया.

राकेश ने आगे बताया कि दोस्त के यहां रहते हुए कुछ ही दिन बीते थे कि मेरी आंखों में परेशानी होने लगी. जिला अस्पताल में जांच कराया तो चिकित्सक बोले मोतियाबिंद हो गया है. जल्द ऑपरेशन करना पड़ेगा. चिकित्सक की सलाह पर 6 फरवरी को आंख का ऑपरेशन करवा लिया. इसके बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. वह बेड नंबर 20 पर भर्ती थे. बाद में 7 फरवरी को चिकित्सकों ने उनकी आंख की पट्टी खोली तो उन्हें पास के बेड नंबर 19 से एक महिला की जानी-पहचान आवाज सुनाई दी. वह पानी मांग रही थी.

अगल-बगल हैं पति-पत्नी के बेड.
अगल-बगल हैं पति-पत्नी के बेड. (Photo Credit; ETV Bharat)

राकेश ने बताया कि गौर करने पर पता चला कि यह तो पत्नी की आवाज है. इसके बाद धीरे-धीरे उसके बेड तक पहुंचा, देखा तो वह वाकई में पत्नी ही थी. उसके सिर पर चोट लगी थी. वह मुझे पहचान नहीं पा रही थी. वह कुछ कहने की स्थिति में भी नहीं थी. खुशी इस बात की थी वह मिल गई थी. उसे चोट कैसे लगी, वह इतने दिनों तक कहां रही, इसके बारे वह अभी कुछ नहीं बता पा रही है.

बहुत परेशान हूं, खाने-पीने की भी तंगी है : राकेश ने बताया कि हम लोगों को कोई देखने-सुनने वाला नहीं है. मैं वेल्डिंग का काम करता हूं. लेकिन आमदनी उतनी नहीं है. खाने-पीने की भी तंगी है. हम कह रहे कि पत्नी का एक्स-रे करवा दो, उसके पैर में चोट बहुत लगी है. हम खुद अपनी आंख से परेशान हैं. पत्नी अपने से परेशान है. बताइए क्या करें?, परिवार में कोई तीसरा है नहीं, हमें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा. जब सरकारी में इलाज नहीं होगा तो प्राइवेट में कैसे करा पाएंगे. पत्नी मिल गई तो सेवा तो करनी पड़ेगी. उसके लिए पैसे चाहिए, मदद चाहिए, कहां से होगा ये.

पत्नी के मिलने पर भूल बैठा अपना दर्द : राकेश के अनुसार पत्नी के मिलने पर वह अपना दुख-दर्द भूल बैठे हैं. अब वह पत्नी की देखभाल कर रहे हैं. पत्नी अब बोलने लगी है. उन्हें भरोसा नहीं था कि पत्नी इस तरह मिल जाएगी. पत्नी सही-सलामत आंखों के सामने रहे, अब बस यही तमन्ना है. वहीं डॉक्टर कौशलेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक शांति देवी को सिर पर गंभीर चोट लगी थी. जिस समय उन्हें यहां लाया गया वह कुछ बेहोशी की हालत में थी. इलाज से धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.

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