श्रीनगर: उत्तराखंड में कई प्रकार के मेले और त्यौहारों का आयोजन किया जाता है. यहां की संस्कृति ना केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ती है. यही कारण है कि विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में यहां आते हैं. इसी बीच जर्मनी के पॉल उत्तराखंड की संस्कृति और बोली से प्रभावित होकर पौड़ी और श्रीनगर की रामलीला पर शोध करने के लिए सात समुद्र पार आ गए हैं. हालांकि इससे पहले उत्तराखंड की संस्कृति को देखने के लिए जर्मनी से कई लोग आ चुके हैं.
उत्तराखंड की रामलीला पर जर्मनी के पॉल कर रहे शोध:जर्मनी के रामेल्सबर्ग माइंस में 4 सितंबर 1999 को जन्मे शोधकर्ता पॉल ने बताया कि वो जर्मनी की योहानेस गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी से एंथ्रोपोलॉजी में मास्टर्स कर रहे हैं. वे कई बार उत्तराखंड घूम चुके हैं और यहां की संस्कृति उन्हें बहुत पसंद आई है. इसी वजह से वो उत्तराखंड आकर यहां की संस्कृति और रामलीला पर शोध करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस शोध में रामलीलाओं का दर्शकों पर किस प्रकार से प्रभाव पड़ता है, इस पर उनका विशेष ध्यान है.
शोध से पहले उत्तराखंड आ चुके हैं पॉल:पॉल ने बताया कि वो दो साल पहले गढ़वाल विश्वविद्यालय के लोककला एवं सांस्कृतिक निष्पादन केंद्र में उत्तराखंड की संस्कृति को समझने के लिए आ चुके हैं. इस बार वे विशेष रूप से रामलीला पर शोध कर रहे हैं और गढ़वाल की रामलीला का गहराई से अध्ययन करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि शोध के लिए रामलीला को देखना जरूरी है, इसलिए वो पौड़ी और श्रीनगर में रामलीला देखेंगे. इसके बाद वो अल्मोड़ा भी जाएंगे.