शिमला: पहाड़ और हथियार के रिश्ते ने एक दशक में खूब विस्तार लिया है. हिमाचल की जनता के पास बंदूक, पिस्टल और राइफल के तौर पर 97303 लाइसेंसी हथियार हैं. वर्ष 2022 में जिस समय हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुए, तब राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर थानों में 97303 लाइसेंसी हथियारों में से 88405 हथियार जमा करवाए गए थे. यानी हिमाचल में 71 लोगों पर एक बंदूक या पिस्टल अथवा राइफल है.
70 लाख की आबादी में 97303 लाइसेंसी हथियार: एक दशक पहले की बात करें तो हिमाचल की जनता के पास वर्ष 2014 में जितने लाइसेंसी हथियार थे, उस समय विधानसभा चुनाव के दौरान लाइसेंस धारकों ने उनमें से 36793 लाइसेंसी हथियार संबंधित जिला के थानों में जमा करवाए थे. यानी एक दशक से कुछ ही कम समय में हथियारों का आंकड़ा दोगुना से अधिक हो गया है. लाइसेंसी हथियार रखने के मामले में हिमाचल का नंबर देश में तीसरा है.
लाइसेंसी हथियार मामले में हिमाचल का चौथा नंबर: केंद्रीय गृह मंत्रालय के वर्ष 2019 के आंकड़ों के अनुसार पहले नंबर पर जेएंडके, दूसरे पर पंजाब और तीसरे पर हिमाचल था. उसके बाद यूपी पहले नंबर पर आ गया था. फिर जम्मू-कश्मीर और पंजाब का नंबर है. हिमाचल पहले तीसरे नंबर पर था, फिर चौथे पर आ गया. खैर, ये नंबर गेम बदलती रहती है, क्योंकि हथियारों की संख्या राज्य सरकार की तरफ से दिए जाने वाले लाइसेंस पर निर्भर करती है. हिमाचल में एक लाइसेंस पर दो हथियार मिल सकते हैं.
आयोग के पास आता है हथियारों के जमा होने का आंकड़ा:दरअसल, लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही निर्वाचन आयोग की सक्रियता बढ़ जाती है. चुनाव से संबंधित सारा आंकड़ा जारी किया जाता है. इसी आंकड़े में लाइसेंसी हथियारों का ब्यौरा भी होता है. चूंकि चुनाव की घोषणा के साथ ही चुनाव संपन्न होने तक लाइसेंसी हथियार संबंधित जिला के तयशुदा थानों में जमा करवाने होते हैं, लिहाजा जिला निर्वाचन अधिकारी इस बारे में निर्देश जारी करते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग के पास पूरे प्रदेश के लाइसेंसी हथियारों की संख्या मौजूद होती है. इसी आंकड़े के अनुसार वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में हिमाचल के लोगों के पास कुल 97303 लाइसेंसी हथियारों में से 88405 हथियार थानों में जमा कराए गए थे.
हर 71वें हिमाचली के पास एक लाइसेंसी हथियार: इससे पहले वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार प्रदेश भर में कुल लाइसेंसी हथियारों में से 36793 लाइसेंसी हथियार जमा हुए थे. फिर 2017 में जमा करवाए गए हथियारों का ये आंकड़ा 81261 हो गया. यानी पांच साल में ही हथियारों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई थी. फिर दो साल बाद ही वर्ष 2019 यानी पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान जमा किए गए लाइसेंसी हथियारों का ये आंकड़ा 85572 हथियारों का हो गया. तीन साल बाद यानी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की अवधि में हिमाचल में कुल लाइसेंसी हथियारों की जमा की गई संख्या 88405 हो गयी. अब नए आंकड़े आएंगे तो वर्ष 2024 में ये संख्या एक लाख से अधिक पहुंच जाएगी. इस तरह औसत निकालें तो इस समय हर 71वें हिमाचली के पास एक लाइसेंसी हथियार है.
फसलों की रखवाली के लिए किसानों के पास हैं बंदूकें:हिमाचल की नब्बे फीसदी जनता ग्रामीण इलाकों में रहती है. ग्रामीण जनता खेती-बागवानी से जुड़ी है. हिमाचल में फसलों और फलों को बंदर और जंगली जानवर नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में बंदरों को डरा कर भगाने के लिए किसान बंदूक का इस्तेमाल करते हैं. बंदूकों में बारूद भरकर दागा जाता है. इससे बंदर और जंगली जानवर खेतों में आने से डरते हैं.
क्रॉप प्रोटेक्शन के लिए बंदूकों का इस्तेमाल: वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और हमीरपुर के डीसी अमरजीत सिंह के अनुसार हिमाचल में मुख्य तौर पर हथियारों में बंदूकों का इस्तेमाल क्रॉप प्रोटेक्शन के लिए होता है. किसान क्रॉप प्रोटेक्शन के तहत बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं. प्रदेश में मौजूद हथियारों में एक बड़ा हिस्सा क्रॉप प्रोटेक्शन के लिए इस्तेमाल होता है.
हिमाचल में स्टेट्स सिंबल भी है पिस्टल और राइफल:हिमाचल में हथियार रखना स्टेट्स सिंबल भी बन रहा है. लोग महंगी पिस्टलों और राइफलों को रखने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं. इसके अलावा खेलों में शूटिंग स्पर्धा में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के पास भी लाइसेंसी राइफल्स होती हैं. विभिन्न राइफल्स एसोसिएशन के पास भी लाइसेंसी वेपन होते हैं. लेकिन सबसे अधिक हथियार क्रॉप प्रोटेक्शन के लिए रखे जाते हैं. सेल्फ प्रोटेक्शन के लिए भी लोग हथियारों के लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं. हिमाचल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग के अनुसार चुनाव आयोग के पास जमा किए गए हथियारों का ब्यौरा मौजूद होता है. हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान ये कसरत की जाती है.
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