पटना: पिछले कई दिनों से बिहार केमुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं. बिहार की राजनीतिक परिस्थितियां कमोबेश उसी दिशा में आगे बढ़ रही है. जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह में नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ कुछ नहीं बोला. यहां तक कि प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया.
फिर एनडीए में जाएंगे नीतीश?: वहीं लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस पर परिवारवाद को लेकर बिना नाम लिए नीतीश कुमार ने सीधा हमला किया है. लालू प्रसाद यादव की बेटी ने उसके बाद कई ट्वीट किये. ट्वीट पर विवाद बढ़ता देख हालांकि उसे डिलीट भी कर दिया गया. रोहिणी आचार्य के ट्वीट के बाद यह साफ हो गया कि जेडीयू-आरजेडी के बीच खटास बढ़ रही है.
पाला बदलना नहीं होगा आसान:वहीं हम पार्टी सुप्रीमो जीतन राम मांझी का बयान लगातार आ रहा है जो बिहार में सियासी हलचल बढ़ाने का संकेत दे रहे हैं. राजनीतिक पंडितों की राय में बिहार में इस बार नीतीश कुमार के लिए पाला बदलना उतना आसान नहीं होने वाला है.
बहुमत नहीं.. लेकिन जलवा कायम : राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि 7 अगस्त 2022 में जब नीतीश कुमार ने राजद और महागठबंधन के घटक दलों के साथ सरकार बनाई थी तो उससे पहले बीजेपी के साथ जो सरकार चल रही थी वह बहुमत की सरकार थी. हालांकि बहुमत बहुत ज्यादा नहीं थी.
"यही कारण था कि कई बार बिहार में उलटफेर की आशंका भी लगाई जाती रही है. लेकिन बहुमत रहने के कारण लगातार सरकार चलती रही. कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई. उथल पुथल नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद ही शुरू होती है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ
विधानसभा में पार्टियों की स्थिति: बिहार में अभी आरजेडी विधानसभा में 79 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है तो वहीं भाजपा 78 सीटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी है. जदयू के पास 45 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के 19 विधायक हैं. वामपंथी दलों के 16 विधायक हैं. जीतन राम मांझी की पार्टी हम के चार विधायक हैं. वहीं एआईएमआईएम के एक विधायक हैं और एक निर्दलीय है.
नीतीश के एनडीए में वापसी के बाद की स्थिति: यदि नीतीश कुमार राजद के मंत्रियों को बर्खास्त कर फिर से बीजेपी और हम के साथ सरकार बनाते हैं तो कहीं दिक्कत नहीं होगी. क्योंकि बीजेपी के 78 और जदयू के 45 के साथ हम के चार विधायक और एक निर्दलीय विधायक मिलकर बहुमत के आंकड़ें को आसानी से छू सकते हैं. संख्या 122 से अधिक हो जाती है.